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तेजस्वी यादव के 25 वादे, 25 चुनौतियां, CM बन भी गए तो पूरा कैसे करेंगे?

बिहार विधानसभा में नेता विपक्ष तेजस्वी यादव की अगुवाई में इंडिया गठबंधन के घटक दलों ने एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया है। इसे 'तेजस्वी प्रण' नाम दिया गया है। चुनौतियां क्या हैं, आइए जानते हैं।

Mahagathbandhan

मुकेश सहनी, राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और दीपांकर भट्टाचार्य। (Photo Credit: Khabargaon)

बिहार विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के सहयोगियों ने साझा घोषणापत्र जारी किया है। इसे गठबंधन ने 'तेजस्वी प्रण' बताया है। तेजस्वी यादव ने हर घर सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। जीविका दीदियों से लेकर बिहार के किसानों तक के लिए उन्होंने कई बड़े वादे किए हैं। आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि जिन वादों का एलान किया गया है, उन्हें अगर महागठबंधन की सरकार बन भी जाए पूरा कर पाना मुश्किल है। यह बिहार की अर्थव्यवस्था को डगमगाने जैसा होगा। बिहार सरकार का राजस्व इतना नहीं है, जितने चुनावी वादे किए जा रहे हैं। 

तेजस्वी प्रण में कई वादे ऐसे हैं, जिन्हें क्रांतिकारी कहा जा रहा है। उनसे पहले किसी भी सियासी दल या गठबंधन ने ऐसे ऐलान नहीं किए हैं। उनकी योजनाओं में हर घर नौकरी, पुरानी पेंशन योजना, 200 यूनिट फ्री बिजली, अनुबंधित कर्मचारियों को स्थाई नौकरी, 25 लाख तक स्वास्थ्य बीमा देना भी शामिल है। तेजस्वी प्रण में यह भी वादा किया है कि श्रम जनगणना कराई जाएगी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार है। वह आरक्षण और भूमि सुधार के लिए भी क्रांतिकारी वादे कर गए हैं। 

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आर्थिक विश्लेषकों ने कहा है कि तेजस्वी यादव के वादे महत्वाकांक्षी हैं लेकिन बिहार की आर्थिक वास्तविकताएं इनकी इजाजत नहीं देती हैं। बिहार की वित्तीय स्थिति मुनाफे में नहीं है। 2025-26 के बजट में GSDP 10.97 लाख करोड़ अनुमानित है, लेकिन राजकोषीय घाटा  32,718 करोड़ के आसपास है। सार्वजनिक ऋण GSDP का 38.94 फीसदी के आसपास है। कुल करीब 3.48 लाख करोड़ रुपये। बजट के लिए केंद्र पर निर्भरता 75 फीसदी है, वहीं राजस्व केवल 25.8 फीसदी है। इतने सीमित संसाधनों में 2.5 करोड़ परिवारों को नौकरी देना मुश्किल है। आरक्षण, भूमि सुधार और वक्फ के वादे भी जटिलताओं का सामना कर रहे हैं। 

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'तेजस्वी प्रण' के 25 वादे, 25 चुनौतियां?

  • वादा नंबर 1: इंडिया गठबंधन की सरकार बनते ही 20 दिनों के अंदर प्रदेश के हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का अधिनियम लाया जाएगा और हमारी सरकार युवाओं को नौकरी देने के अपने संकल्प पर अमल करते हुए 20 महीने के भीतर नौकरी प्रदान करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर देगी।
  • चुनौती: बिहार में 2 अक्टूबर,2023 को हुई जाति आधारित जनगणना में यह तथ्य सामने आया कि कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है। बिहार के 2.7 करोड़ परिवारों को नौकरी देने के लिए 20 दिनों में कानून और 20 महीनों में भर्ती प्रक्रिया शुरू करना चुनौतीपूर्ण है। अभी बिहार में सिर्फ अधिकतम रिक्तियां ही 4-5 लाख हैं। बिहार का बजट साल 2025-26 के लिए 3,16,895 करोड़ रुपये है। सरकार ने 2,00,135 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा है। सरकार को 2025 से 2026 में 22,819.87 करोड़ रुपये की राशि लोन के तौर पर वापस करनी है। बिहार सरकार पर 1694.96 करोड़ रुपये का कर्ज केंद्र सरकार पर है जिसे लौटना है। पुराना कर्ज भी 21,124.91 करोड़ रुपये है। अब अगर तेजस्वी सत्ता में भी आए तो वह अलग से 2.7 करोड़ परिवारों के लिए नौकरी का इंतजाम कैसे करेंगे। योग्यता आधारित चयन की कमी से मेरिट प्रभावित हो सकती है, भ्रष्टाचार बढ़ सकता है। प्रशासनिक ढांचे के लिए इसे संभालना भी आसान नहीं है। 

  • वादा नंबर 2: सभी जीविका दीदियों को स्थाई किया जाएगा। उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाएगा। उनका वेतन 30,000 रुपये प्रतिमाह निर्धारित किया जाएगा। उनके द्वारा लिए गए ऋण पर ब्याज माफ किया जाएगा। दो वर्षों तक बिना ब्याज का ऋण प्रदान किया जाएगा। जीविका कैडर की दीदियों को अन्य कार्यों के निष्पादन हेतु प्रति माह 2,000 रुपये का भत्ता दिया जाएगा। जीविका कैडर के अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष को भी मानदेय दिया जाएगा।
  • चुनौती: बिहार में जीविका दीदियों की कुल संख्या लगभग 1.30 करोड़ के करीब है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसे दोहरा चुके हैं। इतनी बड़ी संख्या में अगर इन्हें स्थाई किया गया, सरकारी कर्मचारी का दर्जा मिला और वेतन 30 हजार रुपये प्रतिमाह हुआ तो यह सरकार की अर्थव्यवस्था पर असर डालेगा।

  • वादा नंबर 3: सभी संविदाकर्मियों और आउटसोर्सिंग पर कार्यरत कर्मचारियों को स्थाई किया जाएगा।
  • चुनौती: बिहार में संविदा और आउटसोर्सिंग पर काम कर रहे कर्मचारियों की संख्या लाखों में हैं। बिहार में सरकारी कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी करीब 18,000 रुपये से 19,900 रुपये के बीच में है। अगर 8वां वेतन आयोग के लागू होता है तो यह और बढ़ सकती है। सरकार पर अचानक से सैकड़ों करोड़ का आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा। केंद्र से बिहार को और ज्यादा बजट हासिल करना होगा। 

  • वादा नंबर 4: आईटी पार्क, स्पेशल इकोनॉमिक जोन (SEZ), डेयरी बेस्ड इंडस्ट्रीज, एग्रो बेस्ड इंडस्ट्रीज,स्वास्थ्य सेवा, कृषि उद्योग, फूड प्रोसेसिंग, नवीकरणीय ऊर्जा, लॉजिस्टिक्स, विनिर्माण और पर्यटन के क्षेत्रों में कौशल आधारित रोजगार का सृजन किया जाएगा। लघु और मध्यम उद्योग समूहों के वित्तीय एवं कौशल विकास के लिए सुसंगत नीति बनाई जाएगी। प्रदेश में 2000 एकड़ में एजुकेशनल सिटी, इंडस्ट्री क्लस्टर्स, 5 नए एक्सप्रेसवे बनाए जाएंगे। मतस्य पालन एवं पशुपालन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
  • चुनौती: तेजस्वी यादव, अपने सारे क्रांतिकारी फैसले 20 महीनों के अदंर ही लागू करने का वादा कर रहे हैं। बिहार में इतने वक्त में जमीन का अधिग्रहण कर पाना थोड़ा कठिन है। इनमें लंबा वक्त लग सकता है।

  • वादा नंबर 5: पुरानी पेंशन योजना को लागू किया जाएगा।
  • चुनौती: पुरानी पेंशन योजना, सरकार पर कर्ज बढ़ा सकती है। हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना बहाल हुई तो CAG ने कहा कि वित्तीय बोझ को ध्यान में रखकर ऐसे वादे किए जाने चाहिए। हिमाचल प्रदेश में सार्वजनिक कर्ज बढ़ता जा रहा है। हिमाचल प्रदेश सरकार 3 हजार करोड़ से ज्यादा ऋण हाल में ले चुकी है। बिहार का भी हाल ऐसा हो सकता है।

  • वादा नंबर 6: माई-बहिन मान योजना के तहत महिलाओं को दिसंबर से प्रति माह 22,500 की आर्थिक सहायता दी जाएगी। अगले 5 साल तक महिलाओं को प्रतिवर्ष 30,000 रुपये दिए जाएंगे। सरकार BETI और MAI योजनाएं लाएगी, जिससे बेटियों के लिए 'बेनिफिट, एजुकेशन, ट्रेनिंग' और 'इनकम की व्यवस्था होगी। माताओं के लिए मकान, अन्न और इनकम की व्यवस्था की जाएगी।'
  • चुनौती: बिहार बजट में सरकार ने बजट में अपना खर्च साल 2024-25 के लिए 2,94,075 करोड़ रुपये बताया था। सरकार 22,820 करोड़ रुपये का लोन भी चुकाएगी। ऐसे में इन योजनाओं का एलान, किसी भी सरकार की आर्थिक मुसीबत ही बढ़ाएगी।

  • वादा नंबर 7: सामाजिक सुरक्षा पेंशन के अंतर्गत विधवा और वृद्धजनों को 1500 रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी, जिसमें हर वर्ष साल 200 की वृद्धि की जाएगी। दिव्यांग जनों को 3000 रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी।
  • चुनौती: राज्य के वित्तीय संसाधनों पर भारी खर्च आएगा। इसे स्थायी रूप से जारी रखने के लिए पर्याप्त बजट आवंटन होना चाहिए। बिहार की आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है, जिसमें करीब 23 लाख दिव्यांग हैं। विधवा महिलाओं की संख्या भी ज्यादा है। आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे राज्य के लिए यह आर्थिक बोझ और बढ़ा सकता है।

  • वादा नंबर 8: हर परिवार को 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी।
  • चुनौती: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 120 यूनिट तक फ्री बिजली योजना लागू की है। सरकार को इसके लिए अतिरिक्त 15,343 करोड़ रुपये छूट के तौर पर देने पड़ रहे हैं। इसे बढ़ाने से सरकार का वित्तीय बोझ और बढ़ सकता है। 

  • वादा नंबर 9: माइक्रोफाइनेंस कंपनियों द्वारा किस्त वसूली के दौरान महिलाओं की प्रताड़ना को रोकने तथा मनमाने ब्याज दरों पर नियंत्रण के लिए नियामक कानून बनाया जाएगा। सहारा इंडिया मेंनिवेशकोंकी फंसी जमा राशिको वापस दिलाने का उच्चस्तरीय प्रयास होगा।
  • चुनौती: माइक्रोफाइनेंस कंपनियां पैसे वसूलने के लिए वसूली गैंग तक का इस्तेमाल करती हैं। बिहार के रहन वाले एक कैब ड्राइवर ने कार के लिए लोन लिया था। किसी वजह से 2 किश्त रुक गई थी। बैंक को भी बताया था। वसूली एजेंड उसकी गाड़ी नहीं निकलने दे रहे थे। 4 से 5 की संख्या में आते हैं, बदजुबानी करते हैं, मारपीट की धमकी देती हैं। सुप्रीम कोर्ट का रवैया इस मामले में उदार है लेकिन प्राइवेट बैंकिंग कंपनियों के पैसे वसूलने के तरीके पीड़ादायक हैं। 

  • वादा नंबर 10: प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए फॉर्म एवं परीक्षा शुल्क समाप्त किया जाएगा। परीक्षा केंद्र तक आने-जाने के लिए मुफ्त यात्रा सुविधा दी प्रदान की जाएगी। पेपर लीक और परीक्षा अनियमितताओं को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। रोजगार में बिहार के निवासियों की प्राथमिकता सुनिश्चित करने के लिए सुसंगत डोमिसाइल नीति लागू की जाएगी।
  • चुनौती: बिहार पुलिस कांस्टेबल भर्ती की परीक्षा जुलाई में आयोजित की गई थी। 19,838 पदों के लिए लगभग 16.73 लाख उम्मीदवारों ने आवेदन किया था। आवेदन करने वालों में यूपी के लोग भी शामिल थे। इतनी बड़ी संख्या में कैसे लोगों को साधन मुहैया कराएंगे, यह अपने आप में एक सवाल है। 

  • वादा नंबर 11: प्रत्येक अनुमंडल में महिला कॉलेज की स्थापना की जाएगी। जिन 136 प्रखंडों में डिग्री कॉलेज नहीं है, उन प्रखंडों में डिग्री कॉलेज खोले जाएंगे।
  • चुनौती: बिहार सरकार, बजट और फंडिंग की कमी से पहले जूझ रही है। नए कॉलेज के लिए जमीन ढूंढना चुनौती है, पहले हजारों पद शिक्षकों के रिक्त हैं, फिर नए पदों का सृजन भी चुनौती बनेगी। कई पुराने कॉलेज और विश्वविद्यालों को UGC और NAAC मान्यता ही नहीं मिली है। 

  • वादा नंबर 12: शिक्षकों,स्वास्थ्यकर्मियों सहित अन्य सेवाओं के कर्मियों के गृह जिला के 70 किलोमीटर के दायरे में ट्रांसफर और तैनाती से जुड़ी नीति बनाई जाएगी। राज्य के सभी वित्त रहित सम्बद्ध महाविद्यालयों को वित्त सहित महाविद्यालय का मान्यता देते हुए प्राध्यापकों एवं अन्य कर्मियों को सरकारी वित्त सहित महाविद्यालयों के समान वेतन, भत्ता प्रदान करना।
  • चुनौती: ग्रामीण क्षेत्रों में स्टाफ की पहले से कमी है। ट्रांसफर-पोस्टिंग का राजनीतिक खेल बिहार में होता रहा है। वित्त रहित कॉलेजों को वित्त प्राप्त बनाने से बजट पर असर पड़ेगा। फर्जीवाड़ा, भ्रष्टाचार और कम वित्तीय संसाधनों से जूझते राज्य के लिए यह मुश्किल होगा।

  • वादा नंबर 13: किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सभी फसलों की खरीद की गारंटी दी जाएगी तथा मंडी और बाज़ार समिति को पुनर्जीवित किया जाएगा। प्रमंडल, अनुमंडल और प्रखंड स्तर पर मंडियां खोली जाएंगी। APMC अधिनियम को बहाल किया जाएगा।
  • चुनौती: बिहार में APMC हटने से मंडी, गोदाम संस्कृति प्रचलन में नहीं रही। पंजाब जैसे राज्यों ने खुद को इसमें बेहतर किया लेकिन बिहार में इसमें नए सिरे से निवेश की जरूरत होगी। सरकारी MSP खरीद नेटवर्क कमजोर रही है, किसान निजी व्यापारियों पर निर्भर हैं। 

  • वादा नंबर 14: हर व्यक्ति को जन स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत 25 लाख रुपये तक का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जाएगा। स्वास्थ्य व्यवस्था को जिला स्तर पर अपग्रेड किया जाएगा, जिला अस्पतालों और सभी मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशलिटी सुविधाएं दी जाएंगी। विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति सुनिश्चित की जाएगी। राज्य के मरीजों को इलाज के लिए जिसकी वजह से बाहर न जाना पड़े। राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए CGHS तर्ज पर स्वास्थ्य सुविधा दी जाएगी।
  • चुनौती: CAG की रिपोर्ट बताती है कि बिहार के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य विभाग में 50 फीसदी से ज्यादा पद रिक्त हैं। डॉक्टर, स्टाफ नर्स,  पैरामेडिकल की भारी कमी; WHO मानक से आधे से कम डॉक्टर हैं। सुपर स्पेशलिटी यूनिट्स सीमित हैं, गंभीर मरीज दिल्ली-कोलकाता जाते हैं। आयुष्मान भारत योजना का ही सही से क्रियान्यवन नहीं हो पाता है।
     
  • वादा नंबर 15: मनरेगा में मौजूदा 255 रुपये की दैनिक मजदूरी को बढ़ाकर तुरंत 300 रुपये किया जाएगा। 100 दिन के कार्य को बढ़ाकर 200 दिन किया जाएगा। बिहार सहित पूरे देश में मनरेगा मजदूरी 400 रुपये करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाया जाएगा। सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाया जाएगा।
    चुनौती: मनरेगा के तहत मजदूरी कितनी मिलेगी, यह केंद्र तय करता है, राज्य नहीं। 

  • वादा नंबर 16: 'अतिपिछड़ा अत्याचार निवारण अधिनियम'पारित किया जाएगा। अनुसूचित जाति /जनजाति के 200 छात्रछात्राओं को छात्रवृति के लिए विदेश भेजा जाएगा।
    चुनौती: SC/ST के लिए केंद्रीय कानून है, लेकिन EBC की सुरक्षा के लिए नया कानून बनाना मुश्किल है। इसे कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है, राज्य और केंद्र के अधिकार संबंधी विवाद टकरा सकते हैं। छात्रावृत्ति के लिए भी अलग से तंत्र बनाने की जरूरत पड़ेगी।

  • वादा नंबर 17: आबादी के अनुपात में आरक्षण की 50% की सीमा को बढ़ाने हेतु, विधान मंडल पारित कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को भेजा जाएगा।
    चुनौती: सुप्रीम कोर्ट 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण के पक्ष में नहीं हैं। हाई कोर्ट भी अपने कुछ फैसलों में इसे नकार चुका है। केंद्र सरकार का भी रुख, अभी ऐसा नहीं है कि आरक्षण की सीमा बढ़ा दी जाए। 

  • वादा नंबर 18: अतिपिछड़ा वर्ग के लिए पंचायत तथा नगर निकाय में वर्तमान 20% आरक्षण को बढ़ाकर 30% किया जाएगा। अनुसूचित जाति के लिए यह सीमा 16% से बढ़ाकर 20% की जाएगी, और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में भी आनुपातिक बढ़ोतरी सुनिश्चित की जाएगी।
    चुनौती: आरक्षण की सीमा बढ़ाना, संवेदनशील मुद्दा रहा है। अदालती चुनौती भी मिल सकती है। 

  • वादा नंबर 19: हमारी सरकार अपराध के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाएगी। अधिकार क्षेत्र के पुलिस अधीक्षकों एवं थानेदारों के लिए निश्चित कार्यकाल निर्धारित किया जाएगा। उन्हें अपराधों के संज्ञान लेने, रोकथाम करने एवं कानून व्यवस्था बनाए रखने में उत्तरदायी ठहराया जाएगा। साथ ही, कमजोर वर्गों की आवश्यकताओं के प्रति उनकी संवेदन शीलता सुनिश्चित की जाएगी।
  • चुनौती: राष्ट्रीय जनता दल और महागठबंधन का शासन 1990 के दशक से 2000 तक रहा। लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी के शासन काल में बिहार, अपराध की वजह से चर्चित रहा। सरकार पर बाहुबलियो के संरक्षण के आरोप लगे। अपहरण, हत्या, जातीय नरसंहार खूब हुए। वामपंथी उग्रवाद अपने चरम पर रहा। तेजस्वी यादव, आरजेडी के कर्ता-धर्ता हैं। उन्होंने अपनी पार्टी से कुख्यात अपराधी शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब को रघुनाथपुर से उतारा है। कुख्यात गैंगस्टर मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला को भी लालगंज से आरजेडी ने उतारा है। नरसंहारों के लिए बदनाम अशोक महतो की पत्नी अनीता देवी को आरजेडी ने वारसलीगंज से उतारा है। अपराध के प्रति जीरो टॉलसेंस को लेकर महागठबंधन की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। 

  • वादा नंबर 20: सभी अल्पसंख्यक समुदायों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जाएगी। वक्फ संशोधन विधेयक पर रोक लगाई जाएगी, और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को पारदर्शी बनाते हुए इसे अधिक कल्याणकारी और उपयोगी बनाया जाएगा। बौद्ध गया स्थित बौद्ध मंदिरों का प्रबंधन बौद्ध समुदाय के लोगों को सुपुर्द किया जाएगा।
  • चुनौती: वक्फ केंद्र सरकार की ओर से बना कानून है। केंद्र-राज्य की ताकत इस पर टकरा सकती है। बौद्ध मंदिर प्रशासन के लिए 'बोध गया मंदिर अधिनियम 1949' बनाया गया था। पहले इसमें संशोधन की जरूरत पड़ेगी, जो जटिल है। 

  • वादा नंबर 21: श्रम गणना कराएंगे, जिससे हमारे श्रमवीर भाइयों को हर महीना आर्थिक मदद कर सकें। उनके लिए स्किल ट्रेनिंग करा सकें। प्रवासी मजदूरों के कल्याण के लिए एक विभाग स्थापित किया जाएगा जो केवल प्रवासी श्रमिकों के लिए समर्पित होगा। एक केंद्रीकृत डिजिटल डेटाबेस बनाया जाएगा जिसमें प्रवासियों के नाम, पते, पेशे और आपातकालीन संपर्क विवरण दर्ज किए जाएंगे ताकि उनके कल्याण को बढ़ावा दिया जा सके। बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, सूरत, बेंगलुरु, लुधियाना में विशेष रूप से बिहार मित्र केंद्र स्थापित किए जाएंगे जो कानूनी सहायता,कौशल प्रशिक्षण और रोजगार सहायता प्रदान करेंगे।
  • चुनौती: बिहार में 3 करोड़ से ज्यादा आबादी रोजगार के लिए बाहर गई है। साल 2011 में हुई जनगणना में ऐसा कहा गया है। करीब 13 करोड़ की आबादी अब बिहार में है। बड़ी संख्या में बिहार में पूंजी श्रम से ही आता है।  ज्यादातर मजबूत असंगठित हैं, रोजगार के लिए पलायन कर चुके हैं। उनसे जुड़ना फिलहाल मुश्किल है। पुराने रजिस्टर अप्रासंगिक हो गए हैं। दूसरे राज्यों के समन्वयन में भी दिक्कतें आ सकती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने होंगे।
     
  • वादा नंबर 22: त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों एवं ग्राम कचहरी प्रतिनिधियों का मानदेय भत्ता दुगुना किया जाएगा। पूर्व पंचायत एव ग्राम कचहरी प्रतिनिधियों को पेंशन राशिदेने की शुरुआत की जाएगी। त्रिस्तरीय पंचायत और ग्रामकचहरी प्रतिनिधियों का 50 लाख का बीमा किया जाएगा। 2001 में पंचायतप्रतिनिधियोंकी शक्तियों के प्रतिनिधायन हेतु राज्य सरकार द्वारा जारी संकल्प पत्र को पुनःलागू किया जाएगा।
  • चुनौती: बिहार सरकार वित्तीय चुनौती का सामना कर रही है। मानदेय दोगुना करना, पेंशन देना, 50 लाख का बीमा कवर आर्थिक बोझ बढ़ा सकता है।

  • वादा नंबर 23: PDS जनवितरण प्रणाली वितरकों को मानदेय दिया जाएगा। अनुकंपा में 58 वर्ष की सीमा बाध्यता को समाप्त किया जाएगा।
  • चुनौती: PDS वितरकों को कमीशन कम मिलता है। मासिक वेतन देने से राज्य बजट पर भारी बोझ पड़ सकता है, क्योंकि सब्सिडी पहले से ज्यादा है। वितरकों की संख्या बहुत है, नियुक्ति में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद भी होता है। फर्जीवाड़े की खबरें भी सामने आती हैं। अनुकंपा नौकरी में 58 साल की सीमा हटाने से आवेदन तो बढ़ जाएंगे लेकिन नौकरियां सीमित रहेंगी।  

  • वादा नंबर 24: नाई, कुम्हार, बढ़ई, लोहार, मोची, माली  जाति के स्वरोजगार, आर्थिक उत्थान और उन्नति के लिए 5 साल के लिए 5 लाख की एक मुश्त ब्याज रहित राशि प्रदान की जाएगी।
  • चुनौती: सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में लोन की रिकवरी भी मुश्किल है। बिना ब्याज के ऋण देने पर बैंकों पर गैरजरूरी भार बढ़ेगा। इस योजना का लाभ बड़ी आबादी लेना चाहेगी, स्वरोजगार की जगह दूसरे कामों के लिए भी लोग लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं। 

  • वादा नंबर 25: दिव्यांग भाई-बहनों की बेहतरीन सुविधाओं, सुनहरे भविष्य, तथा सरल व सुखी जीवन के लिए दिव्यांग विकास कार्यक्रम लागू करेंगे। दिव्यांग विभाग का गठन किया जाएगा। हर पंचायत में दिव्यांग मित्र की नियुक्ति की जाएगी। दिव्यांगों के लिए सरकारी नौकरियों में विशेष रिक्तता का प्रावधान होगा। दिव्यांगों को लघु व्यापार हेतु विशेष लोन का प्रावधान तथा दिव्यांगों के लिए विशेष बूथ आवंटित किए जाएंगे। वर्तमान सरकारी योजनाएं लागू रहेंगी।
  • चुनौती: पुरानी रिक्तियां सरकार अभी भर नहीं पाई है। अगर सत्ता में आए भी रिक्त पदों पर भर्ती करना सबसे बड़ी चुनौती होगी। नई रिक्तियां निकालना, उसके लिए विभाग बनाना भी तत्काल संभव नहीं लगता है। 

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