logo

ट्रेंडिंग:

बागी तेवर, ढेरों विवाद फिर भी BJP के लिए जरूरी क्यों पवन सिंह?

पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा की एक तस्वीर खूब सुर्खियों में रही। पवन सिंह थोड़ा झुके थे, उपेंद्र कुशवाहा आशीर्वाद दे रहे थे। सियासत के लिए खास क्यों थी यह तस्वीर, आइए समझते हैं।

Pawan Singh

गृहमंत्री अमित शाह और पवन सिंह। (Photo Credit: PawanSingh/X)

भोजपुरी फिल्मों के पावर स्टार के तौर पर मशहूर गायक और अभिनेता पवन सिंह इन दिनों सुर्खियों में हैं। उनका सियासी 'राइज एंड फाल' चर्चा में है। बिहार के काराकाट संसदीय क्षेत्र में साल 2024 में जिस उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ वह सियासी मैदान में उतरे थे, उन्हीं के साथ उनकी एक झुकी हुई तस्वीर सोशल मीडिया वायरल हो रही है। पवन सिंह झुके हैं, उपेंद्र कुशवाहा गले लगा रहे हैं। राजपूत समाज के कुछ नेताओं को यह तस्वीर खटक गई। चुटकी तो तेज प्रताप यादव ने भी ली कि पवन सिंह झुकते रहते हैं।

भोजपुरी का यह पावर स्टार क्या सियासी पावर स्टार है, जिसकी वजह से भारतीय जनता पार्टी ने पवन सिंह को बगावत के बाद भी अपना लिया? जवाब हां में है। जिस दिन, पवन सिंह दोबारा बीजेपी में शामिल हुए, उसी दिन उन्होंने जेपी नड्डा और अमित शाह जैसे दिग्गजों बीजेपी नेताओं से मुलाकात भी कर ली। पवन सिंह, मंचों पर खुलकर बोलते हैं, कई बार ऐसी हरकतें कर चुके हैं, जिनकी वजह से उन्हें शर्मिंदगी का शिकार होना पड़ा है, महिलाओं पर कई अभद्र गाने गा चुके हैं फिर भी क्यों बीजेपी उन्हें अपना रही है? आइए इसका जवाब तलाशते हैं-

यह भी पढ़ें: उपेंद्र कुशवाहा से मिले पवन सिंह, तावड़े बोले, 'BJP में हैं और रहेंगे'

बागी को बीजेपी ने अपनाया

पवन सिंह को 2024 के चुनाव में आसनसोल संसदीय सीट से टिकट दिया था। यह सीट, बाबुल सुप्रियो की रही है। इस सीट से शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव लड़ रहे थे। पवन सिंह ने बीजेपी का टिकट होते हुए भी वहां से लड़ना स्वीकार नहीं किया। पवन सिंह की मजबूत पश्चिम बंगाल में भी है, लोग उन्हें पसंद करते हैं। बंगाली महिलाओं पर उनके गानों को लेकर विवाद हुआ तो वह पीछे हट गए। उन्होंने कुछ दिनों बाद एलान किया कि वह काराटाक से चुनाव लड़ेंगे। अब, बिहार विधानसभा चुनाव से पहले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और एनडीए के सहयोगी उपेंद्र कुश्वाहा की मौजूदगी में पवन सिंह की पार्टी में वापसी हुई। 

कहां से चुनाव लड़ेंगे पवन सिंह?

कई मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि पवन सिंह को अररिया विधानसभा सीट से बीजेपी टिकट दे सकती है। बीजेपी को उम्मीद है कि राजपूत और कुशवाहा के फॉर्मूले से यहां जीत पक्की होगी। पवन सिंह राजपूत समाज से आते हैं, उपेंद्र कुशवाहा, कोइरी समुदाय से। कोइरी समुदाय की मजबूत पकड़, कुर्मी समाज पर भी है। 

पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा। (Photo Credit: PawanSingh/X)

पवन सिंह के आने से क्या हो सकता है?

पवन सिंह की लोकप्रियता हर वर्ग में है। राजपूत लॉबी उनके साथ ही रहती है। उपेंद्र कुशवाहा पवन सिंह से सियासी रंजिश भुलाकर माफ कर चुके हैं। राजपूत-कुशवाहा वोटर अगर एक हुए तो भोजपुर, बक्सर, कैमूर और रोहतास जैसी विधानसभाओं में इसका असर देखने को मिल सकता है। पवन सिंह, भोजपुर के बरहरा से हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में पवन सिंह ने कराकट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था। उन्होंने सबसे बड़ा झटका उपेंद्र कुशवाहा को दिया था, वह तीसरे नंबर पर पहुंच गए थे। सीपीआई (एम-एल) लिबरेशन के राजा राम सिंह ने जीत हासिल की थी। इस हार के बाद उपेंद्र कुशवाहा को बीजेपी ने राज्यसभा भेजा। अब दोनों नेताओं की दोस्ती को बीजेपी भुनाना चाहती है।

यह भी पढे़ं: पवन सिंह के Rise And Fall छोड़ते ही डूबी शो की लुटिया! TRP पर पड़ा असर

कैसे बीजेपी में वापस आए पवन सिंह?

बीजेपी के बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने पवन सिंह की वापसी में अहम भूमिका निभाई। पार्टी को उम्मीद है कि पवन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा की जोड़ी शहाबाद और आसपास के मगध क्षेत्र में राजपूत और कुशवाहा वोटों को एकजुट करेगी। 


किन विवादों में पवन सिंह का नाम आया है?

  • हरियाणवी कलाकार अंजलि राघव को मंच पर गलत तरीके से टच किया 
  • पत्नी ज्योति सिंह से तलाक और उन्हें छोड़ देने का आरोप
  • पहली पत्नी की आत्महत्या
  • अक्षरा सिंह से अफेयर और ब्रेकअप
  • डबल मीनिंग गाने गाकर फेम हासिल किया
  • उपेंद्र कुशवाहा के पैर छूने पर सरेंडर का आरोप

पवन सिंह:-
मेरे लिए इंसानियत मायने रखता है। अगर मेरे से बड़ा कोई मेरे सामने खड़ा है और मैंने उनको प्रणाम कर लिया तो क्या उसको झुकना बोलते हैं? अगर ऐसा है तो ठीक है ये मेरा संस्कार है।

 

जेपी नड्डा और पवन सिंह। (Photo Credit: PawanSingh/X)



किस उम्मीद में है बीजेपी?

2024 में एनडीए को शहाबाद की चार लोकसभा सीटों में से एक भी नहीं मिली थी, जबकि 2019 में सभी पर जीत हुई थी। पवन सिंह की स्टार पावर भी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। 1997 में पवन सिंह का पहला एल्बम ओ धनियावाली आया था। पवन सिंह भोजपुरी के सबसे चर्चित सिंगर है। उनके गानों पर सैकड़ों मिलियन व्यू आ चुके हैं। उनकी फिल्मों खूब चलतीं हैं, उनकी दीवानगी का आलम यह है कि जहां भी उनके शोज होते हैं, लोग पेड़ तक पर चढ़कर शो देखने के लिए तैयार हो जाते हैं। 2024 में उनकी रैलियों में भारी भीड़ नजर आई थी। राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और सीपीआई (एम-एल) लिबरेशन के मजबूत गठजोड़ की वजह से पवन सिहं काराकाट लोकसभा सीट से हार गए थे।  

यह भी पढ़ें: बिहार में क्या बीजेपी भोजपुरी कलाकारों के जरिए बना रही जीत की रणनीति?

पवन सिंह की सियासत पर चर्चा क्या है?

विपक्षी नेताओं का कहना है कि पवन सिंह के आने से भी मगध क्षेत्र या भोजपुर क्षेत्र पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि बिहार में वोटर स्टार पावर को नकार देते हैं। शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे भी चुनाव हार चुके हैं। खुद शत्रुघ्न सिन्हा भी चुनाव हार चुके हैं। विपक्ष को उम्मीद है कि अररिया और कराकट दोनों जगहों पर इंडिया गठबंधन को जीत मिली है, यह जीत कायम रहेगी। 

अमित शाह और पवन सिंह।  (Photo Credit: PawanSingh/X)

क्या समीकरण बन रहे हैं?

बिहार की सियासत में दो ताकतवर जातियां हैं, जिनका दबदबा है, राजपूत और कुशवाहा। दोनों समुदाय, सियासी तौर पर बेहद मजबूत हैं। राजपूत समाज की आबादी बिहार में 3.45 प्रतिशत के आसपास है, वहीं कुशवाहा (कोइरी) समुदाय की आबादी 4.21 प्रतिशत के आसपास है। अगर यह समीकरण ठीक बैठा तो पवन सिंह बीजेपी के लिए फायदे का सौदा हो सकते हैं। 

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

design

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap