फिल्म निर्देशक अनुराग कश्यप ने 'ब्राह्मणों पर पेशाब' वाले बयान पर माफी मांग ली है। उन्होंने कहा है कि भावना में वह अपनी मर्यादा भूल गए गए थे, जो गलत था। उन्होंने यह भी कहा कि उनके बयान से उनके परिवार के लोग, अपने और समाज के कई लोग आहत हुए हैं, जिससे वह दुखी हैं।
अनुराग कश्पय ने कहा कि वह गुस्से में थे, इसलिए ऐसा बयान दे बैठे। उन्होंने कहा कि मैंने पूरे ब्राह्मण समाज को बुरा बोला है, जिस समाज के कई लोग मेरी जिंदगी में शामिल रहे है, लोग मेरे बोलने के तरीके से आहत हो गए हैं। अनुराग कश्यप ने कहा है कि उम्मीद है कि इस समाज के लोग उन्हें माफ कर देंगे।
अनुराग कश्यप ने X पर एक लंबी पोस्ट लिखी। उन्होंने लिखा, 'मैं गुस्से में किसी को एक जवाब देने में अपनी मर्यादा भूल गया। और पूरे ब्राह्मण समाज को बुरा बोल डाला। वह समाज जिसके तमाम लोग मेरी जिंदगी में रहे हैं, आज भी हैं और बहुत कॉन्ट्रीब्यूट करते हैं।'
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अनुराग कश्यप ने लिखा, 'आज वह सब मुझसे आहत हैं। मेरा परिवार मुझसे आहत है। बहुत सारे बुद्धिजीवी, जिनकी मैं इज्जत करता हूं मेरे उस गुस्से में, मेरे बोलने के तरीके से आहत हैं। मैंने खुद ही ऐसी बात करके, अपनी ही बात को मुद्दे से भटका दिया।'
अनुराग कश्यप ने कहा, 'मैं तहे दिल से माफी मांगता हूं, इस समाज से जिनको मैं ये नहीं कहना चाह रहा था, लेकिन आवेश में किसी की घटिया टिप्पणी का जवाब देते हुए लिख दिया। मैं माफी मांगता हूं अपने उन तमाम सहयोगी दोस्तों से, अपने परिवार से और उस समाज से, अपने बोलने के तरीके के लिए, अभद्र भाषा के लिए।'
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अनुराग कश्यप ने कहा, 'अब आगे से ऐसा न हो, मैं उस पर काम करूंगा। अपने गुस्से पर काम करूंगा। और मुद्दे की बात अगर करनी हो तो सही शब्दों का इस्तेमाल करूंगा। आशा है आप मुझे माफ कर देंगे।'
अनुराग कश्यप ने कहा क्या था?
अनुराग कश्यप ने एक शख्स के कमेंट पर कहा था कि, 'मैं ब्राह्मणों पे पेशाब करूंगा कोई दिक्कत'। इस बयान के बाद जमकर हंगामा हुआ। अलग-अलग संगठनों ने उनकी आलोचना की थी। सिर्फ यही नहीं, उन्होंने एक और बयान दिया था, 'धड़क 2 की स्क्रीनिंग के दौरान सेंसर बोर्ड ने कहा था मोदी जी ने इंडिया में कास्ट सिस्टम खत्म कर दिया है। उसी आधार पे संतोष इंडिया में रिलीज नहीं हुई। अब ब्राह्मणों को फुले से दिक्कत है। भाई जब कास्ट सिस्टम है ही नहीं तो काहे के ब्राह्मण, कौन हो आप, आपकी क्यों सुलग रही है। जब कास्ट सिस्टम था ही नहीं तो ज्योतिबा और सावित्री बाई फुले क्यों थे।'