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थिएटर और OTT के बीच 'फंसे' अनुराग कश्यप तलाश रहे अपनी जमीन

फिलकर अनुराग कश्यप ने बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में थिएटर और OTT में बड़ा अंतर बताया है। साथ ही उन्होंने भारतीय सिनेमाघर से अच्छा फिल्म फेस्टिवल को कहा है, जानिए कारण।

Image of Anurag Kashyap

फिल्मकार अनुराग कश्यप।(Photo Credit: PTI File Photo)

गैंग्स ऑफ वासेपुर, देव डी जैसी फिल्मों के लिए मशहूर फिल्मकार अनुराग कश्यप ने हाल ही में अपने करियर और फिल्म इंडस्ट्री के आने वाले समय पर विचार साझा किए हैं। उन्होंने कहा कि वह भविष्य के बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकते क्योंकि वह नास्त्रेदमस नहीं हैं। यह बात उन्होंने बर्लिन फिल्म फेस्टिवल के दौरान एक इंटरव्यू में कही। अनुराग का मानना है कि उनके फास कई ऐसे अधिकार हैं जो दूसरे फिल्म निर्माताओं के पास नहीं हैं। 

कैसे अनुराग करते हैं परेशानियों का सामना

अनुराग कश्यप ने अपनी यात्रा को याद करते हुए कहा कि जब भी उनके लिए चीजें मुश्किल हो जाती हैं, तो वह खुद को यह याद दिलाते हैं कि वह कहां से आए हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास आज कई ऐसे विशेषाधिकार हैं जो अन्य स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं को नहीं मिलते। इसलिए, वह बाधाओं पर ध्यान देने के बजाय, अपने स्वतंत्र सिनेमा को आगे बढ़ाने में मेहनत करना पसंद करते हैं।

 

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जब उनसे इस बारे में पूछा गया कि आज के दर्शक सिर्फ बड़े बजट की फिल्मों को ही सिनेमाघरों में देखना पसंद करते हैं, जबकि छोटी फिल्मों के लिए वे ओटीटी का इंतजार करते हैं, तो अनुराग ने कहा कि उन्होंने आने वाले समय के बारे में सोचना बंद कर दिया है। उनका कहना है कि वह सिर्फ उन परेशानियों पर ध्यान देते हैं जिनका वह और दूसरे फिल्म निर्माता सामना कर रहे हैं।

फिल्में देखने का अनुभव और नई चुनौतियां

अनुराग ने कहा कि उन्हें सिनेमा हॉल में फिल्में देखना पसंद है, लेकिन भारत में इंटरवल और दूसरे रुकावटों की वजह से उनकी फिल्म देखने का एक्सपीरियंस खराब हो जाता है। उन्होंने कहा कि इस वजह से वह फिल्म फेस्टिवल में फिल्में देखना पसंद करते हैं, जहां उन्हें बिना किसी परेशानी के पूरी फिल्म देखने का मौका मिलता है।

 

उन्होंने यह भी माना कि भले ही उन्हें फिल्में बनाने में कई परेशानियां आती हैं लेकिन उनके पास फिर भी कई सुविधाएं हैं जो अन्य स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं को नहीं मिल पातीं। उन्होंने कहा कि अगर उनका करियर पूरी तरह से असफल भी हो जाता है, तो वह वहीं वापस लौट जाएंगे जहां से उन्होंने अपने सफर की शुरुआत की थी – एक नौसिखिए फिल्मकार के तौर पर, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा था।

स्वतंत्र सिनेमा के लिए समर्थन

अनुराग का मानना है कि अगर ज्यादा स्वतंत्र फिल्मकार उभरकर सामने आते हैं, तो उन्हें भी फिल्में बनाने का मौका मिलता रहेगा। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने शुरुआत की थी, तब स्वतंत्र सिनेमा के लिए कोई मंच नहीं था लेकिन अब माहौल बदल गया है। 

 

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अनुराग ने खुद की तुलना बड़े बजट की फिल्में बनाने वाले निर्देशकों से करने के बजाय छोटे और स्वतंत्र फिल्मकारों से की। उन्होंने कहा कि उनकी स्थिति उन फिल्मकारों से बेहतर है जो सीमित संसाधनों में अपनी कहानियां कहने की कोशिश कर रहे हैं।

बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जा रही है अनुराग की कन्नड़ फिल्म

फिलहाल, अनुराग कश्यप ‘टाइगर पोंड’ नाम की कन्नड़ भाषा की फिल्म के निर्माता हैं, जो बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जा रही है। उनकी पिछली फिल्म ‘केनेडी’ को 2023 में कांस फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया था लेकिन अब तक इसका कोई आधिकारिक रिलीज नहीं हुआ है।

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