बॉलीवुड निर्देशक अनुराग कश्यप को लीक से हटकर फिल्में देने के लिए जाना जाता है। उनके करिय को 'देव डी', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' जैसी फिल्मों से पहचान मिली थी। उन्हें अपनी फिल्मों के साथ एक्सपेरिमेंट करना बहुत पसंद है। वह सिर्फ निर्देशक ही नहीं अभिनेता भी हैं। साल 2024 में उन्होंने साउथ की कई फिल्मों में विलेन का रोल प्ले किया है। उनके काम को लोगों ने खूब पसंद किया है। वह अपने बेबाक अंदाज की वजह से अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। अपने लेटेस्ट इंटरव्यू में अनुराग ने बॉलीवुड पर तंज कसा है।
उन्होंने बताया कि आखिर क्यों सउथ इंडस्ट्री बॉलीवुड से बेहतर है। उनका कहना है कि बॉलीवुड में कभी 'पुष्पा' जैसी फिल्में ही नहीं बन सकती है। वह अपनी ही इंडस्ट्री से निराश और दुखी क्यों है?
अनुराग ने कहा, 'बॉलीवुड में हर किसी को स्टार वाला ट्रीटमेंट चाहिए। किसी को एक्टिंग नहीं करनी है लेकिन सभी को स्टारडम की चकाचौंध वाली जिंदगी चाहिए। इस इंडस्ट्री की आधी दिक्कत ही यही है। अगर इंडस्ट्री के दो एक्टर्स साथ काम कर रहे हैं। दोनों चाहेंगे मुझे सेकेंडरी एक्टर के तौर पर ट्रीट नहीं किया जाना चाहिए। वहीं, साउथ में ऐसा नहीं है। हर किसी को अपने किरदार से मतलब है।
अनुराग बॉलीवुड इंडस्ट्री से क्यों है निराश?
उन्होंने कहा, 'आज के समय में अगर मैं 'मुक्केबाजट बनाऊं तो मुझे ओरिजनल से 5 या 6 गुना ज्यादा पैसे खर्चने होंगे। इसलिए मेरे लिए एक्सपेरिमेंट करना बहुत मुश्किल। प्रोड्यूसर को सिर्फ उससे पैसा बनाना है। वो हर पल यही कहेगा कि मेरा मार्जिन कहां बच रहा है। इसी कारण से फिल्में नहीं बना रहा हूं। अगले साल तक मैं मुंबई छोड़ दूंगा और साउथ में रहने लगूंगा। मैं अपनी इंडस्ट्री की सोच से बहुत दुखी और निराश हूं।
उन्होंने कहा कि हमारी इंडस्ट्री कुछ नया नहीं करना चाहती हैं। अगर 'मंजुम्मेल बॉयज' वहां हिट हो गई तो प्रोड्यूसर्स उसका रीमेक बनाने की कोशिश करेंगे। आज के समय में एजेंसी स्टार बेच रही हैं। वो एक्टर्स नहीं बना रहे हैं। वह बस उनसे पैसा कामना चाहती है।
कैसे बेहतर है साउथ सिनेमा
पिछले कुछ सालों में बॉलीवुड में साउथ की फिल्मों का रीमेक बनाने का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। हमारे यहां के राइटर्स कुछ नया लिखना ही नहीं चाहते हैं। उनके पास कोई कहानी नहीं है जिसे ऑडियंस उनसे कनेक्ट कर पाए। कांतारा वहां के कल्चर की कहानी है जिसे हर किसी ने खूब पसंद किया। इसके अलावा उनकी फिल्मों में जिस तरह का एक्शन है। वहां तक हमारे एक्शन डायरक्टर पहुंच नहीं पाए हैं। उनकी फिल्मों के विजुअल्स कमाल के हैं। फिर चाहे वो 'बाहुबली' हो, 'मगधीरा' हो या फिर 'आरआरआर'। साउथ में भी मलयालम सिनेमा ने अपने क्रॉफ्ट को बहुत बेहतर बनाया है। उनकी फिल्मों की स्टोरी कमाल की होती है।