निर्देशक मोहित सूरी की फिल्म 'सैयारा' सिनेमाघरों में 18 जुलाई को रिलीज हुई है। फिल्म में अहान पांडे और अनीत पड्डा ने मुख्य भूमिका निभाई हैं। फिल्म में अहान और अनीत के काम की लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं। दोनों कलाकारों की यह डेब्यू फिल्म है। इस फिल्म की लीड अभिनेत्री वाणी (अनीत पड्डा) को अल्जाइमर से पीड़ित दिखाया गया है। इससे पहले भी बॉलीवुड की कई फिल्मों में इस बीमारी के बारे में दिखाया गया है।
कई फिल्मों में अल्जाइमर का एंग्ल दिखाया गया है जो फिल्म निर्माताओं के लिए हिट फॉर्मूला होता है। इस तरह की कहानी में प्यार के साथ इमोशन का भरपूर डोज देखने को मिलता है। साथ ही लोगों इस बीमारी के बारे में भी जागरूक हो रहे हैं। 'सैयारा' से पहले 'यू मी और हम', 'ब्लैक', 'मैंने गांधी को नहीं मारा है', 'लिसन अमाया', 'गोल्ड फिश' समेत कई फिल्मों में अल्जाइमर को दिखाया गया है।
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अल्जाइमर पर बनी है ये फिल्में
ब्लैक (2005)
संजय लीला भंसाली की कल्ट फिल्म 'ब्लैक' में अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी मुख्य भूमिका में हैं। इस फिल्म में मिशेल (रानी मुखर्जी) ने अंधी लड़की का किरदार निभाया है जो अपने शिक्षक डोबराज सहाय (अमिताभ बच्चन) का ख्याल रखती है जो अल्जाइमर से पीड़ित है।
यू मी और हम (2008)
यह एक रोमकॉम फिल्म है। इस फिल्म से अजय देवगन ने निर्देशन में डेब्यू किया था। हालांकि यह फिल्म कुछ खास कमाल नहीं कर पाई थी। इस फिल्म की कहानी कैप्टन अजय मेहरा (अजय देवगन) और पिया (काजोल) के इर्दगिर्द घूमती है। शादी के कुछ समय बाद अजय की पत्नी पिया को भुलने की बीमारी हो जाती है। पिया चीजें भूलने लगती हैं लेकिन अजय उसे बीमारी में भी अकेले नहीं छोड़ता है।
मैंने गांधी को नहीं मारा (2005)
जाहन बरुआ की फिल्म 'मैंने गांधी की नहीं मारा' एक मनोवैज्ञानिक फिल्म है। इस फिल्म में अनुपम खेर ने रिटायर्ड प्रोफेसर का किरदार निभाया है जो डिमेंशिया से पीड़ित होता है। उन्हें भ्रम होने लगता है कि लोग उन पर महात्मा गांधी को मारने का आरोप लगा रहे हैं। इसलिए वह बार बार कहते हैं मैंने गांधी को नहीं मारा। हालांकि इस फिल्म में भी दिखाया जाता है कि परिवार उनकी ताकत बनता है।
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माई (2013)
आशा भसौला ने 'माई' में लीड भूमिका निभाई है। फिल्म की कहानी में मां और बेटी के रिश्ते को दिखाया गया है। माई की उम्र हो गई हैं और वह अब चीजें भूलने लग गई है। शुरुआत में मां बेटी के बीच में तकरार होती है लेकिन बेटी अपनी मां की परेशानियों को समझने लगती है। इसके अलावा भी कई फिल्में हैं जिसमें अल्जाइमर के बारे में दिखाया गया है। इन फिल्मों के जरिए अल्जाइमर के प्रति लोगों को जागरूक करने की कोशिश की गई।
क्या होता है अल्जाइमर
अल्जाइमर में व्यक्ति की याददाश्त पर प्रभाव पड़ता है। धीरे-धीरे व्यक्ति के सोचने-समझने की क्षमता कम होने लगती है। डिमेंशिया इस बीमारी का मुख्य कारण होती है। आमतौर पर यह बीमारी 60 वर्ष के बाद होती है। कुछ लोगों को कम उम्र में भी यह बीमारी हो सकती है। इस बीमारी में दिमाग में प्रोटीन अमायलॉइड और टाउ अधिक मात्रा में जमने से होती है जिस कारण मस्तिष्क की कोशिकाओं में उलझने बनने लगती है। ये दोनों प्रोटीन दिमाग की कोशिकाओं से चिपक जाते हैं। ये प्रोटीन दिमाग के सेल्स को धीर धीरे खत्म करने की कोशिश करता है।
अल्जाइमर के लक्षण
- याददाशत कमजोर होना
- सोचने समझने की शक्ति कम होना।
- भाषा को समझे और पढ़ने में मुश्किल होना।
- व्यवहार में बदलाव।