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Jewel Thief Review: यह फिल्म सिर्फ आपका समय चुराती है

जयदीप अहलावत, सैफ अली खान और कुणाल कपूर की फिल्म 'ज्वेल थीफ' आई तो बड़े जोर-शोर से लेकिन फुस्स हो गई। फिल्म देखना चाहते हैं तो रिव्यू पढ़ लीजिए।

jewel thief

फिल्म ज्वेल थीफ का पोस्टर, Photo Credit: Netflix

सैफ अली खान ने जब फिल्म एजेंट विनोद में काम किया था, तब वह बॉर्न सीरिज के जेसन बॉर्न या मिशन इंपासिबल के इथन हॉक की तरह स्टाइलिश स्टंट करना चाहते थे। इसके लिए निर्देशक भी शानदार थे- श्रीराम राघवन जो बेहतरीन थ्रिलर फिल्में बनाते रहे हैं। इस फिल्म में एक स्टाइलिश गाना भी था- पुंगी बजा के, मीका सिंह की आवाज में, पर वह फिल्म नहीं चली। प्रोडक्शन बढ़िया होने के बावजूद पिट गई क्योंकि इसमें कहानी बहुत कमजोर थी लेकिन सैफ का यह पैशन नहीं मिटा। इस बार सैफ अली खान नेटफ्लिक्स पर एक चोरी और डकैती पर आधारित वेब सीरीज ल्युपिन की तरह मूवी लेकर आए हैं- ज्वे लथीफ। ल्यूपिन में तो ओमर सई ने ओसेन डियोप का रोल करके सबका दिल जीत लिया था। यह कैरेक्टर फ्रेंच लिटरेचर के फेमस चोर ल्यूपिन पर आधारित था लेकिन ज्वेल थीफ का मसला कुछ और है…

 

सबसे पहले तो ज्वेल थीफ बनाने वालों ने नेटफ्लिक्स नाम से ही इंस्पिरेशन ली है। मारफ्लिक्स नाम की कंपनी ने प्रोड्यूस की है फिल्म। इसके ओनर हैं सिद्धार्थ आनंद जो ऐक्शन फिल्में बनाते हैं और उन्होंने पिछले साल ऋतिक रोशन और दीपिका पादुकोण को लेकर फाइटर नाम की फिल्म बनाई थी, जो पिट गई थी। मारफ्लिक्स का मतलब कहीं यह तो नहीं कि सिर्फ मार हो?

 

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जयदीप अहलावत से थी उम्मीद

 

कुकी गुलाटी और रॉबी ग्रेवाल द्वारा निर्देशित और डेविड लोगन के स्क्रीनप्ले वाली फिल्म ज्वेलथीफ का जब टीजर आया, तो लोग इसकी तरफ आकर्षित हुए क्योंकि इसमें जयदीप अहलावत स्टाइलिश लुक में खूबसूरत लड़कियों के साथ स्टाइलिश डांस कर रहे थे। जमुनापार के हाथीराम चौधरी और गैंग्स ऑफ वासेपुर के शाहिद खान की तरह देसी रोल करने के बाद जयदीप को बिल्कुल अलग अंदाज में पेश किया गया था। जयदीप के इंस्टाग्राम पर आयुष्मान खुराना और बादशाह से लेकर तमाम पंजाब हरियाणा दिल्ली के सिंगर्स ऐक्टर्स ने जमकर तारीफ की थी। यही नहीं, जनता ने भी दिल खोल के सराहना की थी कि अपने देसी लड़के को भी स्टाइलिश होने का मौका तो दो फिर वह दिखाएगा अपना दम।

 

जब फिल्म ज्वेलथीफ रिलीज हुई तब पता चला कि स्टाइलिश होने का मामला बस यहीं तक था। फिल्म फुस्स निकली। बहुत पुरानी और घिसी पिटी स्टोरी है। ज्वेल थीफ सैफ अली खान ऐसे तो चोरी करने के अपने हुनर को आर्ट बताते हैं लेकिन जब इनके पिताजी इनको चोर बोल देते हैं तब हर्ट हो जाते हैं और उस गम में परिवार को छोड़ देते हैं। ल्यूपिन जानता है कि वह चोरी कर रहा है पर वह चोर कहलाने से डरता नहीं, हर्ट नहीं होता। यह भी जानता है कि उसकी करनी उसके परिवार को भुगतनी पड़ेगी इसलिए वह लगातार अपने परिवार की सुरक्षा करने में लगा रहता है लेकिन सैफ अली खान को बहुत दिक्कत है। 

 

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पिताजी ने चोर कहा, लो अब मैं तुमसे बात नहीं करूंगा, कोई रिश्ता ही नहीं रखूंगा। इसलिए इस कैरेक्टर में कोई जटिलता आती ही नहीं। यह इतना घटिया चोर है कि अपनी गर्लफ्रेंड का नेकलेस चुरा लेता है और इसे ऐसे दिखाया जाता है मानो कितना शातिर चोर है। मतलब कोई मोरल नहीं है इस चोर का। बस जयदीप अहलावत मानते हैं कि यह बहुत बड़ा चोर है। पता है चोरी इम्मोरल काम ही है पर बेईमानी भी ईमानदारी से करने वाले सन्दर्भ में आप इसे समझ सकते हैं। 

कैसी है फिल्म?

 

जयदीप अहलावत पेंटिंग के शौकीन, उस पर रुपये के शौकीन, स्टाइलिश लेकिन वायलेंट आदमी हैं। वह हर बात में खुद को c-वर्ड से संबोधित करते हैं। वही वाला c-वर्ड… मैं c हूं क्या- यह बात वह इतनी बार बोलते हैं कि आपने मन में आने लगती है यह बात- यह विलेन वाकई निहायती बेवक़ूफ़ है क्या? 

 

कुछ देर बाद आप इसी बात को सही साबित होता हुआ देखते हैं। उनका राइट हैंड चंकी यानी कि सुमित गुलाटी उनके लिए इतनी बार c वर्ड बोल देता है कि जयदीप उसका गला काट देते हैं। इन सबके ऊपर है- मूसा भाई। संजय दत्त इतनी बार मूसा भाई बन चुके हैं कि अब मूसा भाई से डर नहीं लगता। मूसा भाई है भी “इतना खतरनाक” विलेन कि उसे पता ही नहीं चलता कि कोई भी उसका पैसा छीन ले रहा, कोई भी उसे फंसा दे रहा।

 

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निकिता दत्ता विलेन की प्रेमिका रोल अदा करती हैं और सैफ अली खान के प्यार में पड़ जाती हैं। बेतरतीब पेंटिंग बनाती हैं जिससे पता चलता है कि उनकी मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। पर फिल्म में इस पक्ष को ज्यादा उजागर नहीं किया गया है। उनके कैरेक्टर में ज्यादा बदलाव नहीं आता है। कुलभूषण खरबंदा एक बार फिर पिता के रोल में हैं। लुक मिर्जापुर वाला ही है पर इस फिल्म में नैतिकता की प्रतिमूर्ति बने हैं। कुणाल कपूर पुलिस ऑफिसर के रोल में हैं जो किसी को नहीं पकड़ पाते। हमेशा विलेन की प्रशंसा करते रहते हैं।
 
इस फिल्म को स्टाइलिश बनाने की कोशिश की गई है लेकिन बन नहीं पाती है। कहानी पुरानी है, एक्टिंग ओवर द टॉप, म्यूजिक बासी। प्रोडक्शन वैल्यू इसकी अच्छी है पर खराब हो चुकी मिठाई पर लगे चांदी के वर्क की तरह है। दुखद बात यह है कि इस फिल्म का पूरा नाम था-'ज्वेल थीफ: द रेड सन चैप्टर', जो बाद में बदलकर हुआ- 'ज्वेल थीफ: द हाइस् बिगिन्स'और अंत में लिखा आता है- 'द हाइस्ट कंटिन्यूस'। अर्थात्, अभी इसका सीक्वेल भी बनेगा।

 

यह ज्वेलथीफ आपका टाइम चुराता है और कुछ नहीं चुराता। आपका दिल तो बिल्कुल नहीं। सॉरी सैफ अली खान, स्टाइलिश जेसन बॉर्न या इथन हॉक या असेन दियोप बनने के लिए एक बार और फिल्म बनानी होगी पर इसके लिए कहानी अच्छी चुननी होगी।

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