मनोज बाजपेयी इंडस्ट्री के बेहतरीन एक्टर्स में एक हैं। वह बिहार के वेस्ट चंपारण के बेलवा गांव से आते हैं। उनके पिता किसान थे। उन्होंने लोगों को प्रेरित किया कि हर कोई अपने बड़े सपनों को पूरा कर सकता हैं। वह हमेशा से स्टार बनना चाहते थे। उनके माता-पिता ने मनोज नाम सुपरस्टार 'मनोज कुमार' के नाम पर रखा था। आज मनोज इंडस्ट्री के टॉप एक्टर हैं। उन्होंने अपने करियर में 100 से अधिक फिल्मों में काम किया है। फिल्मों से लेकर वेब सीरीज तक में उनके काम का डंका बजता है। वो पिछले 30 साल से इंडस्ट्री का हिस्सा है। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया है। 12वीं की पढ़ाई पूरी करने के वह बाद दिल्ली आ गए थे।
वह देश के चर्चित एक्टिंग स्कूल नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडिमिशन लेना चाहते थे। लेकिन उनका ये सपना नहीं पूरा हो पाया। उन्हें एक-दो बार नहीं तीन बार एनसीडी से रिजेक्ट कर दिया था। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
क्यों मनोज का हाथ पकड़ कर सोते थे दोस्त
मनोज ने अपने इंटरव्यू में बताया, 'पहली बार जब मुझे एनएसडी से रिजेक्ट कर दिया था तो उसके बाद मैं डिप्रेशन में चला गया था। मैं इतना टूट चुका था। मेरे दोस्त को लगता था कि कहीं मैं खुद को कुछ कर ना लूं। मैं सुसाइड ना कर लूं इसलिए वो रात को मेरा हाथ पकड़ कर सोते थे। मेरे लिए वो हमेशा तैयार रहते थे। ऐसा कुछ दिनों तक चला था। फिर मैं ठीक हो गया। मैंने दोबारा काम करना शुरू कर दिया।
'सत्या' से मिली थी पहचान
मनोज ने कहा, 'मैं टीवी शो 'कलाकार' कर रहा था। मेरी महिलाओं और बच्चों में फैन फॉलोइंग थी। उस शो के प्रोड्यूसर मेहश भट्ट थे। इसके बाद मैंने फिल्मों में ट्राई किया। लेकिन मेरे काम को पहचान फिल्म 'सत्या' से मिली। उस फिल्म ने मुझे रातोंरात स्टार बना दिया। वो फिल्म मेरे करियर के लिए सबसे बड़ा ब्रेक थी। इसके बाद मुझे लोग वैसे ही रोल देने लगे थे। लेकिन मैंने उस समय उन फिल्मों को साइन नहीं किया। मैंने अपने स्किल्स पर काम किया।
उन्होंने आगे बताया कि 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' मेरे करियर का टर्निंग प्वाइंट थी। उस फिल्म में सरदार खान का किरदार लोगों को खूब पसंद आया था। वहीं, वर्क फ्रंट की बात करें तो उनकी फिल्म 'डिस्पैच' जी 5 पर रिलीज हुई है जिसमें वह खोजी पत्रकार की भूमिका निभा रहे हैं।