अभिनेत, फिल्म मेकर मनोज कुमार हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार्स में से एक थे। आज वह हमारे बीच में नहीं है। कुछ ही दिनों पहले उनका निधन हुआ था। उन्होंने अपने करियर में एक से बढ़कर एक फिल्में दी थी। उन्होंने अपने करियर में कई दिल छू जाने वाली देशभक्ति फिल्में की थी जिस वजह से उन्हें फैंस प्यार से भारत कुमार बुलाते थे। मनोज कुमार के छोटे भाई और प्रोड्यूसर मनीष गोस्वामी ने विक्की लालवानी को दिए इंटरव्यू में अपने भाई के बारे में बात की।
मनीष गोस्वामी ने कहा, 'मेरे भाई ने कभी किसी चीज को लेकर समझौता नहीं किया है। वह अपनी फिल्म के एक- एक शॉट को परफेक्ट करते थे फिर चाहे उसे करने में 30, 40 या 50 टेक ही क्यों ना लग जाए। उन्होंने फिल्म 'क्रांति' से जुड़ा एक किस्सा भी सुनाया।
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परवीन को एक सीन करने में लगे थे 66 टेक
मनीष ने बताया, 'हम 'क्रांति' फिल्म की शूटिंग जोधपुर में कर रहे थे। एक शॉट था जब परवीन बाबी को दीवार की तरफ हाथ उठाकर बोलना था क्रांति जिंदाबाद लेकिन कुछ कारणों से वह वैसा नहीं कर पा रही थी जैसा चाहिए था। हमने करीब 66 टेक किए थे और वह शॉट करीब 2 बजे कंप्लीट हुआ था। अगर कोई अन्य निर्देशक होता तो एक बार को अपना आपा खो देता लेकिन मनोज कुमार बहुत शांत रहते थे। वह उस परेफक्ट शॉट का इंतजार करते थे'।
उन्होंने आगे कहा, 'जब मेरे भाई अपने माथे पर रुमाल बांध लेते थे तो इसका मतलब है कि कोई भी यूनिट में से यह नहीं पहुंचेगा कि शूटिंग कब तक चलेगी। अक्सर ज्यादातर सभी चीजें प्लान के साथ होती थी लेकिन अगर कभी ऐसा होता था तो इसका मतलब है कि शूटिंग पूरी होने के बाद ही पैकअप होगा।
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समय के पांबद थे मनोज कुमार
अगर आप सुबह की शिफ्ट में 9 बजे आ रहे हैं तो आप काम खत्म करके जा सकते हैं क्योंकि वह समय के पाबंद थे। वहीं, अगर आप 9 बजे की शिफ्ट में 12 बज आ रहे हैं तो फिर वह बताएंगे कि आप कब जाओगे। मनोज कुमार के काम करने का तरीका सभी जानते थे। मनोज साब को कौन मना कर सकता था जिसने 'उपकार', 'रोटी कपड़ा और मकान' और 'क्रांति' जैसी फिल्में बनाई थी।