आर माधवन इंडस्ट्री के बेहतरीन एक्टर्स में से एक हैं। वह अपने हर किरदार में जान फूंक देते हैं। उन्होंने सिर्फ हिंदी ही नहीं साउथ की फिल्म में भी काम किया है। उनकी जबरदस्त फैन फॉलोइंग है। वह एक्टर ही नहीं निर्देशक भी रह चुके हैं। उन्होंने साइंस फिक्शन फिल्म 'रॉकेट्री: द नम्बी इफेक्ट' का निर्देशन किया था। फिल्म में उनके काम को दर्शकों ने खूब पसंद किया था। वह इन दिनों अपनी फिल्म हिसाब बराबरा के प्रमोशन में बिजी है।
माधवन तमिल ब्रह्माण परिवार से आते हैं। उनकी फैमली झारखंड के जमशेदपुर में ही रहती थी। उन्होंने अपनी स्कूलिंग जमशेदपूर के डीबीएमएस इंग्लिश स्कूल से की है। उनसे इंटरव्यू में पूछा गया कि आपको कौन सा स्लैग याद और उससे जुड़ा किस्सा क्या है?
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आर माधवन की स्कूल में नहीं थी अच्छी हिंदी
उन्होंने बताया कि कहा जाता है कि बिहार में रहने वालों की हिंदी अच्छी होती है। मेरी हिंदी अच्छी ही नहीं हुई। मैं पेपर में पुल्लिंग भाषा में ही हर वाक्य लिख देता था क्योंकि वहां लोग उसी तरह से बात करते थे। मैं जैसे बोलता था वैसी ही पेपर में लिख देता था।
मेरी टीचर ने कहा कि तुम कभी हिंदी में पास नहीं हो सकते हो। मैं 25 साल बाद वापस गया और स्टेज पर हिंदी में भाषण दिया और उनसे कहा कि अब हिंदी फिल्में करता हूं और उसी में डायलॉग बोलता हूं और करोड़ों रुपये कमाता हूं। इसके जवाब में मेरी टीचर ने कहा था कि तभी तो हिंदी में पास नहीं किया था मैंने।
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माधवन ने कितनी पढ़ाई की है?
बता दें कि माधवन बहुत पढ़ें- लिखे हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के कोल्हापुर के राजाराम कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स में बीएससी में ग्रेजुएशन किया था। इसके अलावा 'शैतान' अभिनेता ने मुंबई के किशनचंद चेल्लाराम कॉलेज से पब्लिक स्पीकिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन भी कंप्लीट किया है। वह पढ़ाई के दिनों में एनसीसी कैडेट भी रह चुके हैं। वह फौज में जाना चाहते थे लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। उन्होंने 2001 में तमिल फिल्म 'मिन्नाले' से अपने करियर की शुरुआत की थी। 2002 में फिल्म 'रहना है तेरे दिल में' से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। उन्हें इस इंडस्ट्री में 25 साल हो गए हैं।