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'द बंगाल फाइल्स' से शाश्वत चटर्जी ने खींचा नाम, क्यों विवाद में फिल्म?

विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' को लेकर जमकर विरोध हो रहा है। अब अभिनेता शाश्वत चटर्जी ने फिल्म से दूरी बना ली है। उन्होंने कहा कि मुझे सिर्फ अपने किरदार के बारे में पता था। मुझे फिल्म की कहानी नहीं बताई गई थी।

Vivek Agnihotri The Bengal Files

शाश्वत चटर्जी और विवेक अग्निहोत्री (Photo Credit: Celebs Insta Handle)

विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द बंगाल फाइल्स' विवादों में है। कोलकाता में फिल्म के ट्रेलर लॉन्च पर जमकर हंगामा हुआ था। अभी भी फिल्म को लेकर विवाद नहीं रुक रहा है। इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, अनुपम खेर, पल्लवी जोशी और शाश्वत चटर्जी मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री पर आरोप लगाया है कि उन्होंने 1964 में हुए कोलकाता दंगों को तोड़मोड़ कर पेश किया है।

 

फिल्म के अभिनेता शाश्वत चटर्जी ने खुद को इस विवाद से अलग कर दिया है। उन्होंने अपने इंटरव्यू में बताया कि मुझे फिल्म का नाम 'द दिल्ली फाइल्स' बताया था जिसे बदलकर बाद में 'द बंगाल फाइल्स' कर दिया गया। मुझे फिल्म की कहानी भी नहीं बताई गई थी। मुझे सिर्फ अपने रोल के बारे में जानकारी थी।

 

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शाश्वत चटर्जी ने फिल्म से किया किनारा

जब शाश्वत से फिल्म की कहानी की पोलिटिकल करेक्टनेस को लेकर सवाल पूछा गया? तो उन्होंने कहा, 'मैं अभिनेता हूं। मैं इतिहासकार नहीं हूं कि सोचूं इतिहास क्या कहता है या इतिहास को गलत दिखाया जा रहा है। यह मेरा काम नहीं है। जिन्हें लगता है कि बंगाल के इतिहास को गलत दिखाया गया है तो कोर्ट जा सकते हैं। सिर्फ शोर मचाने से कुछ नहीं होगा'।

 

उन्होंने आगे कहा, 'आज कल ट्रेंड बन गया है कि पूरी कहानी कोई बताता नहीं है। आपको सिर्फ ट्रैक और किरदार बताया जाता है। जब मुझे फिल्म में मेरी भूमिका के बारे में बताया तो मुझे वह किरदार पसंद आया। यह एक विलेन का किरदार है। ऐसा बहुत कम होता है जब आपको इस तरह का किरदार मिलता है। जब फिल्म की शूटिंग हो रही थी जब इसका नाम 'द दिल्ली फाइल्स' था। बाद में इसका नाम क्यों बदला गया। मुझे इसके बारे में जानकारी नहीं है। फिल्म का नाम बदलना मेरे हाथ में नहीं था। इसका नाम क्यों बदला गया तब बता पाऊंगा जब फिल्म देखूंगा'।

गोपाल मुखर्जी को लेकर बहस क्यों?

फिल्म में बंगाली स्वतंत्रता सेनानी गोपाल मुखर्जी को लेकर बहस हो रही है। उन्होंने 1946 के दंगों और हिंदुओं पर हुए अत्यचारों को रोकने में अहम भूमिका निभाई थी। उनके पोते शांतनु मुखर्जी का कहना है कि विवेक अग्रिहोत्री ने तथ्यों को गलत तरीके से दिखाया गया है। 

 

शांतनु का कहना है, 'विवके ने एक रील में गोपाल मु्खर्जी को 'एक था गोपाल पाठा' कहा है। मेरे दादा को कसाई और पाठा कहना आपत्तिजनक है। यह गलत जानकारी कहां से आई। उन्होंने हमसे कोई संपर्क नहीं किया उन्हें और रिसर्च करनी चाहिए थी। वह स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा थे और उनकी विचारधारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस से मिलती थी। उन्होंने कई स्वतंत्रता सेनानियों के साथ काम किया था। उन्हें कोई कसाई या पाठा कैसे कह सकता है'। उन्होंने कहा, विवेक को माफी मांगेनी पड़ेगी और उनके चरित्र को गलत तरीके से दिखाने के लिए लीगल नोटिस भेजा है।

 

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ट्रेलर के दिन भी हुआ था हंगामा

16 अगस्त को फिल्म का ट्रेलर रिलीज किया गया था। ट्रेलर लॉन्च से एक दिन पहले मल्टीप्लेक्स ने इवेंट को कैंसिल कर दिया था। हालांकि उन्होंने बाद में ट्रेलर लॉन्च का इवेंट एक प्राइवेट होटल में रखवाया था। इवेंट के दौरान विवके ने कहा था, 'मुझे इवेंट के दौरान बताया गया था कि सभी वायर कट कर दिए गए हैं। यह सब किसके कहने पर हो रहा है? मैं नहीं जानता हूं। हमारे खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं। हमारे पास सभी चीजों की परमिशन होने के बाद ऐसा किया जा रहा है। अगर यह तानाशाही नहीं है तो क्या है? यहां इतनी पुलिस आई है जैसे हम कोई क्रिमिनल हो'।

फिल्म की कहानी

फिल्म में 1964 में हुए कोलकाता के दंगों को दिखाया गया जिस समय भारत और पाकिस्तान में बंटवारा हुआ था। यह फिल्म 5 सितंबर को रिलीज होने वाली है। इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, अनुपम खेर, पल्लवी जोशी और शाश्वत चटर्जी मुख्य भूमिका में हैं।

 

 

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