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ग्राउंड रिपोर्ट: CM, LG घूम आए लेकिन बदहाल ही है रंगपुरी पहाड़ी इलाका

चुनावी माहौल में दिल्ली की राजनीतिक पार्टियां हर दिन आरोप-प्रत्यारोप में व्यस्त हैं। ऐसा ही कुछ दिल्ली के रंगपुरी पहाड़ी इलाके में हुआ लेकिन हालात नहीं बदले। इस ग्राउंड रिपोर्ट में पढ़िए कि रंगपुरी की समस्याएं क्या हैं।

Rangpuri pahadi area

रंगपुरी पहाड़ी क्षेत्र (बिजवासन विधानसभा), Photo: Khabargaon

दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना अपने ट्विटर हैंडल पर 22 दिसंबर को एक वीडियो अपलोड करते हैं। इस वीडियो में दिल्ली की बिजवासन विधानसभा के अंतर्गत आने वाले रंगपुरी पहाड़ी इलाके की समस्याओं का जिक्र किया गया। टूटी नालियां, सड़क पर भरा पानी, पीने के पानी की समस्या आदि को दर्शाता यह वीडियो एलजी वी के सक्सेना के एक दिन बाद आया था। 21 दिसंबर को ही वीके सक्सेना, स्थानीय सांसद रामवीर बिधूड़ी और दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री और अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता कैलाश गहलोत ने इस इलाके का दौरा किया था। चर्चाएं हैं कि कैलाश गहलोत अब अपनी नजफगढ़ विधानसभा को छोड़कर इसी सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। इस वीडियो के सामने आते ही मुख्यमंत्री आतिशी भी इस इलाके में पहुंच गईं। आतिशी और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने एलजी के लिए ट्विटर पर लिखा कि आप ऐसे ही समस्याएं बताते रहिए, हम तुरंत समाधान कर देंगे। माहौल ऐसा बना कि समस्या का पता चल चुका है अब एक-दो दिन में समाधान हो ही जाएगा। राजनीतिक सवाल-जवाब के 3 दिन बाद यानी 25 दिसंबर को भी रंगपुरी पहाड़ी अपने पुराने रूप में ही दिखी जिसके लिए कि वह मशहूर या यूं कहें कि बदनाम है।

 

जब अरविंद केजरीवाल और आतिशी ने वादा किया कि रंगपुरी पहाड़ी की समस्या दूर कर दी जाएंगी तो प्रशासनिक अमला थोड़ा सक्रिय हुआ। यहां से AAP के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे सुरेंद्र भारद्वाज अपने सामने जेसीबी मशीनों से कूड़ा हटवाते दिखे। इंदर कैंप में चल रहे काम के दौरान भी वह वहां पहुंचे। सोशल मीडिया पर उन्हीं की तस्वीरें और वीडियो भी वायरल हुईं। इन तस्वीरों को AAP की ओर से प्रचारित किया गया कि रंगपुरी पहाड़ी में काम हो रहा है और जल्द ही सारा समाधान हो जाएगा। हालांकि, जब हमने रंगपुरी पहाड़ी क्षेत्र की जमीनी हकीकत जानने के लिए वहां का दौरा किया तो पता चला कि जितना तस्वीरों में दिखा था, बस उतना ही काम हुआ। 

 

अगर आप इस इलाके में पहुंचना चाहें तो दिल्ली-गुरुग्राम रोड से महिपालपुर की ओर मुड़कर वसंत कुंज की ओर चलें। महिपालपुर माता चौक से ठीक आगे जहां मेट्रो स्टेशन का काम चल रहा है उसी के ठीक पीछे यह बस्ती बसी हुई है। थोड़ी ही दूर पर वसंत कुंज का एम्बिएंस मॉल है। दिल्ली का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी कुछ ही किलोमीटर दूर है। अगर आप मेट्रो से यहां जाना चाहें तो फिलहाल आपके लिए एक समस्या ही है। सबसे नजदीक मेट्रो वसंत विहार है लेकिन वहां से भी ऑटो लेकर ही यहां तक पहुंच सकते हैं।

 

कहां है रंगपुरी पहाड़ी?

 

वसंत कुंज से आप महिपालपुर की ओर बढ़ेंगे तो महिपालपुर माता चौक से पहले एक छोटी की रेड लाइट पड़ेगी, यहीं से बाईं ओर एक रास्ता जाता है। घोषित वन क्षेत्र में बसी इस घनी बस्ती में जाने के लिए पक्की सड़क है। बाकायदा स्थानीय विधायक के नाम का बोर्ड लगा है कि उनके फंड से यह काम करवाया गया है। इस रेड लाइट के ठीक आगे दिल्ली मेट्रो का काम चल रहा है और महिपालपुर का स्टेशन भी यहीं बनना है। सड़क के इधर-उधर गंदगी,  दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) की ओर से रखे गए टूटे पड़े शौचालय और बहुत सारी टैक्सी गाड़ियां इस इलाके को अलग पहचान देती हैं। इसी सड़क पर सीधे जाएं तो थोड़ा सा ऊपर चढ़ने पर इस्राइल कैंप आता है। दाहिने मुड़ जाएं तो इंदर कैंप आता है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना और अन्य नेता इसी इंदर कैंप में गए थे, जहां की तस्वीरें वायरल हुईं।

 

रंगपुरी पहाड़ी की ओर जाने वाली मुख्य सड़क का हाल, Photo: Khabargaon

 

 

DUSIB के बारे में बात करें तो दिल्ली की 675 झुग्गी-बस्तियों में काम की जिम्मेदार यही संस्था है। यही संस्था बेघर लोगों के लिए सर्दियों में रैन बसेरा बनाने और उन्हें आसरा देने का भी काम करती है। जिस तरह दिल्ली का कामकाज देखने के लिए दिल्ली सरकार, नगर निगम के काम के लिए एमसीडी, ठीक वैसे ही DUSIB एक तरह से झुग्गी बस्ती वालों के लिए 'सरकार' है। यह संस्था दिल्ली सरकार के अधीन ही काम करती है। उपराज्यपाल वी के सक्सेना का दौरा हो या फिर सीएम आतिशी का, दोनों के ही साथ मौजूद रहे तमाम अधिकारियों में DUSIB के अधिकारी भी रहे। 

 

रंगपुरी के इस पूरे इलाके में कम से कम एक हजार घर और लगभग 15 से 20 हजार की आबादी है। चारों तरफ कूड़ा फेंका हुआ है, लोगों ने अपने घर में शौचालय बनाए हैं लेकिन DUSIB की ओर से भी शौचालयों का इंतजाम किया गया है। इतनी संकरी गलियां हैं कि उनमें चार पहिया गाड़ियां नहीं जा सकती हैं। काम के नाम पर एमसीडी, DUSIB, पार्षद और विधायक एक-दूसरे का नाम लेते हुए जिम्मेदारी मढ़ देते हैं। स्थानीय लोग पुराने विधायकों को भी याद करके उन्हें कोसते हैं कि सबने यहां से वोट तो लिया लेकिन काम नहीं किया। नए काम के नाम पर एक मुख्य सड़क है जिस पर बीएस जून के नाम का बोर्ड लगा है। कुछ गलियों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं।   

 

गूगल मैप पर रंगपुरी पहाड़ी, Photo: Google Maps

 

समस्या क्या है?

 

जैसा कि उपराज्यपाल ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा था, ठीक वैसा ही दिखा। जो नहीं दिखा वह यह कि एलजी और फिर मुख्यमंत्री ने वादा किया था कि यहां कल से सफाई शुरू हो जाएगी। कहीं पर भी सफाई हुई या होती हुई नहीं दिखी। चौड़ी सड़क से कटती पतली-पतली गलियां, गलियों से निकलती गाद भरी नालियां और सड़क पर भरा कीचड़ वाला पानी। यह देखते ही एक सेकेंड में आप भूल जाते हैं कि आप देश की राजधानी दिल्ली में हैं जिसे लंदन बनाने का वादा पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किया था। वन क्षेत्र में बनी इस बस्ती में पीने के पानी के लिए लोग जल बोर्ड के टैंकर पर आश्रित हैं। जल बोर्ड के टैंकर वितरण में गड़बड़ी के आरोप एलजी वी के सक्सेना ने भी अपने पोस्ट में लगाए थे।

 

इंदर कैंप में रहने वाले राजेंद्र ने खबरगांव को बताया, 'स्थानीय विधायक का एक करीबी यह सब काम देखता है और अपनी मर्जी से टैंकर भिजवाता है। पीने के पानी के अलावा अन्य इस्तेमाल के लिए हम लोगों ने पुराने बोर में मोटर डलवा रखे हैं लेकिन पानी इतना खराब है कि हम इसे पी नहीं सकते हैं।' स्थानीय लोगों ने बताया कि पीने के पानी के लिए टैंकर न आने की स्थिति में 20 लीटर वाली बोतलें खरीदनी पड़ती हैं। दिहाड़ी-मजदूरी करने वाले कुछ लोगों ने बताया कि 8-10 लोगों के परिवार के लिए 20 लीटर की बोतलें खरीदना भी महंगा पड़ता है। यह स्थिति तब है जब दिल्ली की मौजूदा सरकार हर घर को मुफ्त और साफ पानी पहुंचाने का वादा करती है।

 

पीने का पानी सिर्फ टैंकर से आता है, Photo: Khabargaon

 

 

स्कूल की गाड़ी चलाने वाले मनीष खबरगांव की टीम को वहां लेकर गए जहां मेट्रो का काम चल रहा है। मनीष ने समझाया कि मेट्रो के इसी काम की वजह से मुख्य नाला बंद हो गया। नाले के पानी को इकट्ठा करने के लिए एक गड्ढे में डायवर्ट किया गया है जहां से मेट्रो का काम कर रही कंपनी इसे पंप करके दूसरे इलाके में पहुंचाती है। मनीष ने दीवार पर बना निशान दिखाते हुए कहा, 'अभी तो यह गड्ढा कम भरा है लेकिन बारिश के समय में यह गड्ढा इतना भर जाता है कि उन दीवारों तक पानी पहुंच जाता है। नाले चोक हो जाते हैं और पूरा पानी गलियों और सड़कों में भी भरने लगा है।'

 

बिजली को लेकर भी लोगों का कहना है कि यहां 24 घंटे बिजली ही नहीं आती है। बिजली का काम करने वाले एक शख्स ने बताया, 'दिन में कई-कई घंटों की कटौती होती है। शिकायत करने पर फिर लाइट आ जाता है।' हालांकि, दिन के समय जब खबरगांव की टीम इंदर कैंप में थी तब वहां पर बिजली थी लेकिन उस बीच भी कई बार लाइट कटी।

अब तक क्या काम हुआ?

 

जहां जलभराव की तस्वीर एलजी ने दिखाई थी, वहीं पर दो दिन बार AAP नेता सुरेंद्र भारद्वाज पहुंचे थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि जो पाइप डाला गया है वह पहले से ही था, काम के नाम पर सिर्फ यह हुआ कि इस पाइप को काफी ऊंचा करके लगा दिया गया। यह ऊंचाई साफ दिख रही है जिससे पता चल रहा है कि बारिश होने की स्थिति में यहां और पानी भर सकता है और इसका निकलना मुश्किल हो जाएगा। स्थानीय लोगों का कहना है कि एक बार आने के बाद दोबारा यहां कोई आ भी नहीं रहा। बगल में ही दुकान चलाने वाले लोगों ने कहा कि अगर सड़क नहीं बनाई जाती तो इस पाइप का कोई मतलब नहीं है।

 

LG के दौरे के समय इसी जगह पर था जलभराव, Photo: Khabargaon

 

क्या बोले स्थानीय विधायक?

 

पानी के टैंकर वितरण में गड़बड़ी के सवाल पर बिजवासन के मौजूदा विधायक भूपेंद्र सिंह जून कहते हैं, 'हमने इस कैंप के लिए अलग से टैंकर निर्धारित कर रखे हैं जो सिर्फ यहां पानी की सप्लाई करती हैं। हर दिन टैंकर जाते हैं, पानी न पहुंचने की बात गलत है।' खबरगांव की टीम जब 25 दिसंबर को इस इलाके में पहुंची तो जल बोर्ड का टैंकर दिखा जिसमें पानी के लिए वैसी ही लाइन लगी थी जैसी कि अन्य इलाकों में टैंकर के पीछे लगती है। हालांकि, आगे जाने पर इस्राइल कॉलोनी के आखिरी छोर पर खड़े अहमद ने कहा कि यह टैंकर भी हर दिन नहीं आता। अहमद ने कहा, 'एक आदमी है जो दादागिरी चलाता है और दूसरों के नाम पर पानी का टैंकर मंगाकर अपने हिसाब से बांटता है। हम लोग तो मस्जिद में लगे मोटर का पानी इस्तेमाल करते हैं।'

 

पानी की ये पाइपें लोगों ने खुद लगवाईं हैं, यहां जल बोर्ड की सप्लाई नहीं है, Photo: Khabargaon

 

 

एलजी वी के सक्सेना ने यहां की नालियों की गंदगी, सड़कों पर कीचड़ और टूटी सड़कों की समस्या भी उठाई थी। खबरगांव की टीम को मौके पर एक भी ऐसा शख्स नहीं मिला जो नालियों को ठीक करने, सफाई करने या सड़क निर्माण के काम में लगा हो। स्थानीय लोगों ने भी इस बात की पुष्टि की कि अभी तक ऐसा कोई काम शुरू नहीं हुआ है। हालांकि, AAP ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जो तस्वीरें डाली थीं उनमें सुरेंद्र भारद्वाज काम कराते दिखे थे।

 

 

इस बारे में बिजवासन विधानसभा सीट से AAP के प्रत्याशी सुरेंद्र भारद्वाज ने खबरगांव से कहा, 'अब ग्रैप-4 हट गया है तो अब सड़कें बनाने का काम शुरू होगा। हम खराब सड़कों को ठीक करवाएंगे और गलियां भी दुरुस्त करेंगे। एलजी साहब ने जो काम गिनाए थे उनमें से हमने ज्यादातर काम करवा दिए हैं और नालियों की डीसिल्टिंग के लिए DUSIB के अधिकारियों को भी बोला है। एमसीडी की ओर से DUSIB को एनओसी भी दिलवा दिया है।' पिछले 10 साल में काम क्यों नहीं हुआ? इस सवाल के जवाब में सुरेंद्र भारद्वाज ने कहा, 'वहां का पार्षद बीजेपी का है, उसने कुछ काम ही नहीं करवाया, एलजी साहब को आरोप लगाने से पहले यह भी देखना चाहिए कि कौन क्या कर रहा है और कौन नहीं कर रहा है।'

 

जल निकासी की समस्या को लेकर बीएस जून ने कहा, ‘यह समस्या बगल में चल रहे मेट्रो कार्य की वजह से है। DUSIB को पहले ही प्रपोजल दिया गया है कि वह की व्यवस्था दुरुस्त कराए। यहां की सड़कें ठीक करवाने और गलियों का निर्माण कराने के लिए 25 लाख रुपये अलॉट किए गए हैं। अब ग्रैप 4 खत्म होने के बाद काम जल्द ही शुरू हो जाएगा।’


पार्षद क्या कहते हैं?

 

पार्षद पर लगे इन आरोपों के बारे में जानने के लिए हमने बीजेपी के स्थानीय पार्षद इंद्रजीत सहरावत से भी बात की। रंगपुरी पहाड़ी के बारे में पूछे गए सवालों के बारे में इंद्रजीत सहरावत ने कहा, 'झुग्गी क्लस्टर का पूरा काम DUSIB के जिम्मे है और वह दिल्ली सरकार के अधीन काम करता है। 5 साल इनके निकम्मे विधायक ने काम नहीं किया तभी तो टिकट काटी गई। ये लोग हमें काम करने नहीं देते और खुद कुछ करते नहीं हैं।'

 

हर तरफ पसरी है गंदगी, Photo: Khabargaon

 

 

DUSIB के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर टी आर मीणा ने खबरगांव से बातचीत में बताया, 'जहां जलभराव था, उसे निकलवा दिया है। बाकी अभी हम प्लान तैयार कर रहे हैं। एलजी साहब ने निर्देश दिए हैं और सीएम मैडम भी आई थीं तो काम तो हम करवा देंगे।' काम एमसीडी को करवाना है या DUSIB को, इसको लेकर पूछे गए सवाल पर टी आर मीणा ने कहा, 'दिल्ली की 675 झुग्गी क्लस्टर में साफ-सफाई का काम एमसीडी का ही है। DUSIB इन नालियों और गलियों को रिपेयर कराने का काम करा सकता है। अब इस बार ग्रैप-4 हटने के बाद हम काम करवाएंगे।'

 

साफ-सफाई के बारे में विधायक बी एस जून कहते हैं, 'लोगों को खुद भी कुछ काम करने होंगे या उन्हें संभालना होगा। यहां जितनी भी सफाई करवा दी जाए लोग फिर कूड़ा डाल देते हैं।'

संशय में रहते हैं लोग?

 

इन समस्याओं से जूझते लोगों को लगभग हर साल दिल्ली सरकार के वन विभाग से नोटिस मिल जाता है कि वे इसे खाली कर दें। दरअसल, यह पश्चिमी फॉरेस्ट डिवीजन के अंतर्गत आता है। वन विभाग के अधिकारी बार-बार यह बात कहते रहे हैं कि इंडियन फॉरेस्ट ऐक्ट 1927 के तहत यह संरक्षित वन क्षेत्र है और यहां निर्माण को अवैध अतिक्रमण माना जाएगा। हालांकि, बार-बार अदालतें इस झुग्गी-बस्ती के लोगों को संरक्षण देती रही हैं। 2015 में तो यहां अतिक्रमण हटाने पहुंची टीम पर लोग हमला भी कर चुके हैं।

 

अधिकारियों के इन जवाब और नेताओं के आरोप-प्रत्यारोप से ऐसा ही लग रहा है कि एक बार फिर रंगपुरी पहाड़ी का मुद्दा चंद दिनों में ही दब जाएगा। स्थानीय लोगों का भी कहना है कि अगर उन्होंने चुनाव तक ये काम नहीं करवा लिए तो ये फिर लटक जाएंगे। इसी के बारे में मनीष कहते हैं, 'चुनाव के दौरान ही नेता मिलते हैं, अगर इसी माहौल में काम हो गया तो ठीक, वरना हम फिर जूझते ही रह जाएंगे।'

 

रंगपुरी पहाड़ी दिल्ली शहर की की सिविक हालत का एकमात्र उदाहरण है। यह उदाहरण दिखाता है कि बजबजाती नालियों, कीचड़ से भरी गलियों और जल निकास की समस्या से जूझती इन बस्तियों में दिल्ली के हजारों लोग रह रहे हैं और बताने को उनके पास यही है कि वे देश की राजधानी दिल्ली के निवासी हैं।

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