logo

ट्रेंडिंग:

मिस्र में मिले शराब के 5 हजार साल पुराने जार, इससे क्या हासिल होगा?

मिस्र से वैज्ञानिकों ने 5 हजार पुराने शराब के जार खोजे हैं। यह 3 हजार ईसा पूर्व के समय के शराब के जार हैं। इसे एक अहम खोज माना जा रहा है, क्योंकि इससे हजारों साल पुरानी तकनीक का पता लगाया जा सकेगा।

wine jar

शराब के सीलबंद जार मिले हैं। (Photo Credit: phys.org)

मिस्र के आर्कियोलॉजिस्ट ने पांच हजार साल पुराने वाइन जार की खोज की है। यह एबिडोस में बनी क्वीन मेरेट नीट की कब्र से मिले हैं। इससे पता चला है कि 5 हजार साल पहले शराब किस तरह बनाई जाती थी। इन वाइन जार को यूनिवर्सिटी ऑफ विएना और ऑस्ट्रियाई एकेडमी ऑफ साइंसेज की टीम ने खोजी हैं। इस टीम ने जो वाइन जार यानी मटकों की खोज की है, उनमें से कई अब भी बंद हैं। इस खोज से पता चलता है कि पांच हजार साल पहले मिस्र के लोग किस तरह से शराब बनाते थे और उसे किस तरह स्टोर करते थे।


इन वाइन जार में अंगूर के बीज और कुछ रसायन मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि हजारों साल पहले भी अंगूर से ही शराब बनाई जाती थी। आज भी अंगूर से ही शराब बनती है।


यह वाइन जारी मिस्र की रानी मेरेट नीथ की कब्र के आसपास से मिले हैं। यहां से सैकडों जार बरामद हुए हैं, जिनमें से कई अब भी सीलबंद हैं। माना जा रहा है कि 3000 ईसा पूर्व यानी आज से 5 हजार साल पहले मिस्र में अंगूर से बनी शराब पी जाती थी। माना जा रहा है कि उस वक्त के मिस्र के रसूखदारों की जिंदगी में शराब अहम हिस्सा थी।

 

यह भी पढ़ें-- मौसम का अंदाजा लगाने वाला ऐसा सिस्टम जो सिर्फ भारत ने बनाया

शराब के जार क्या इशारा करते हैं?

शाही मकबरे में शराब के जार का रखा जाना इस बात की तरफ इशारा करता है कि प्राचीन मिस्र के समाज में शराब सांस्कृतिक के साथ-साथ आध्यात्मिक महत्व भी रखती थी। शराब सिर्फ पीने की चीज नहीं थी, बल्कि यह हैसियत भी बताती थी। इनसे पता चलता है कि प्राचीन सभ्यताएं शराब को एक चीज से ज्यादा मानती थीं और यह एक शाही तोहफा हुआ करती थी। माना जा रहा है कि उस वक्त शराब का इस्तेमाल शायद एक मुद्रा के रूप में हुआ करता था।


पांच हजार साल पुराने यह जार मिस्र के कारोबारी नेटवर्क के बारे में भी बताते हैं। शराब एक महंगी और खास चीज थी, जिसे अमीर लोग और राजा-रानी इस्तेमाल करते थे। इसका व्यापार होने से पता चलता है कि मिस्र की अर्थव्यवस्था और व्यापार नेटवर्क काफी उन्नत थे। इससे यह भी पता चलता है कि उस समय के मिस्रवासियों को कई तकनीकों की जानकारी थी, जिससे वे शराब बनाते थे।

 

यह भी पढ़ें-- दिल्ली का डूबता 'मिंटो ब्रिज', 1958 से हर मानसून की वही कहानी

इससे क्या पता चलेगा?

वैज्ञानिक इन 5,000 साल पुराने मटकों में बची शराब के अवशेषों का रासायनिक विश्लेषण करेंगे। जार में मिले अंगूर के बीज और रासायनिक निशान बताएंगे कि उस समय कौन से अंगूर इस्तेमाल होते थे। इससे पता चलेगा कि प्राचीन मिस्र में अंगूर की कौन सी प्रजातियां उगती थीं। साथ ही यह भी पता चलेगा कि प्राचीन मिस्रवासियों के पास शराब को संरक्षित रखने की कौनसी तकनीक थी। शराब बनाने के लिए किस प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता था। यह भी पता लगेगा कि उस वक्त शराब बनाने में कोई खास चीज भी डाली जाती थी या नहीं।


वैज्ञानिकों को जो सीलबंद जार मिले हैं, उनका विश्लेषण कर यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि प्राचीन मिस्रवासियों की शराब बनाने की तकनीक आज के तरीकों से कितनी अलग थी। कुल मिलाकर इससे हजारों साल पहले की वाइनमेकिंग की तकनीक का पता चलेगा। इससे यह पता चलेगा कि जिन तकनीकों को हम आज का बताते हैं, उनकी जड़ें पहले से जुड़ी हुई हैं।

Related Topic:#Science News

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap