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कभी 1 करोड़ डॉलर का था इनामी आतंकी, अब ट्रंप से मिला; अहमद अल-शारा कौन

जिस आतंकी पर अमेरिका ने कभी एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा था, आज उसी शख्स से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाथ मिलाया। सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शारा को ट्रंप ने 'आकर्षक और सख्त नेता' बताया।'

Trump meets Syria al Sharaa

अहमद अल-शारा, Photo Credit: X/@hahussain

सऊदी अरब के रियाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अहमद अल-शारा से मुलाकात की, जो 25 साल में अमेरिका और सीरिया के नेताओ की पहली मुलाकात थी। ट्रंप ने इस दौरान सीरिया पर 1979 से लगे सभी प्रतिबंध हटाने की घोषणा की और अल-शारा की तारीफ करते हुए उन्हें 'युवा, आकर्षक और सख्त नेता' बताया। इस मुलाकात को मिडिल ईस्ट की राजनीति में बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, इजरायल ने इस मुलाकात पर आपत्ति जताई है। अल-शारा ने एक आतंकी से सीरिया के नेता और अब अमेरिका के दोस्त बनने तक का सफर बखूबी तय किया है। एक समय था जब अमेरिका ने अहमद अल-शारा को आतंकी घोषित कर उनके सिर पर 1 करोड़ डॉलर यानी लगभग 85 करोड़ रुपये का इनाम रखा था।

1 करोड़ डॉलर का इनाम- अहमद अल-शारा

अबू मोहम्मद अल-जोलानी के नाम से मशहूर अहमद अल-शारा एक ऐसी शख्सियत हैं जिनकी जिंदगी ने कई हैरतअंगेज मोड़ लिए। 1982 में सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक संपन्न परिवार में जन्मे अल-शारा ने अपनी शुरुआती जिंदगी में उच्च शिक्षा हासिल की लेकिन 9/11 के हमलों और 2003 में अमेरिका के इराक पर आक्रमण के बाद उनकी सोच में कट्टरता आई। वह अल-कायदा से जुड़े और इराक में अमेरिकी सेना के खिलाफ लड़ने वाले विद्रोहियों का हिस्सा बन गए। इसी दौरान अमेरिका ने अल-शारा को आतंकी घोषित किया और उनके ऊपर 1 करोड़ डॉलर का इनाम रख दिया। 

 

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आतंकी संगठन का गठन

अल-शारा ने बाद में सीरिया में विद्रोह का नेतृत्व किया और अल-नुसरा फ्रंट (बाद में हयात तहरीरी अल-शाम या HTS का नाम दिया गया) के प्रमुख बने। HTS को कई देशों और अतंरराष्ट्रीय संगठनों ने आतंकी संगठन घोषित किया। हालांकि, 2016 में अल-शारा ने अल-कायदा से अलग होने का दावा किया और खुद को उदार नेता के रूप में पेश करना शुरू किया। उन्होने सैन्य वर्दी पहनकर और वेस्टर्न मीडिया में इंटरव्यू देकर अपनी छवि बदलने की कोशिश की। दिसंबर 2024 में HTS के नेतृत्व में विद्रोहियों ने दमिश्क पर कब्जा कर बशर अल-असद के 54 साल के शासन को उखाड़ फेंका। जनवरी 2025 में अल-शारा को सीरिया का अंतरिम राष्ट्रपति घोषित किया गया। इसके बाद उन्होंने सऊदी अरब और कतर जैसे सुन्नी देशों का समर्थन हासिल किया।

 

दिसंबर 2024 से जनवरी 2025 तक आए बदलाव

दिसंबर 2024 से जनवरी 2025 तक, अल-शारा सीरिया के वास्तविक नेता रहे और फिर अंतरिम राष्ट्रपति बने। उन्होंने कहा कि सीरिया अब युद्ध से थक चुका है और पड़ोसी या पश्चिमी देशों के लिए खतरा नहीं है। हालांकि, अहमद का अतीत विवादास्पद है। उनके अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट से पुराने रिश्तों की वजह से कई लोग उनके इरादों पर शक करते हैं। एक घटना में, उन्होंने एक महिला से फोटो खिंचवाने से पहले सिर ढकने को कहा, जिससे उनके रूढ़िवादी विचारों पर बहस छिड़ गई थी। 

 

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अमेरिका ने क्यों रखा था 1 करोड़ का इनाम

अमेरिका ने अहमद अल-शारा पर 1 करोड़ डॉलर का इनाम उनकी आतंकवादी गतिविधियों के कारण रखा था। अल-शारा ने 2011 में अल-नुसरा फ्रंट की स्थापना की, जो अल-कायदा की सीरियाई ब्रांच थी। यह संगठन सीरिया में हिंसक हमलों और आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था,जिसे अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा माना। अमेरिका के रिवार्ड्स फॉर जस्टिस प्रोग्राम के तहत, 2017 में अल-शारा की पहचान या ठिकाने की जानकारी के लिए यह इनाम घोषित किया गया था। 

 

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ट्रंप की अल-शारा से मुलाकात, सीरिया को कितना फायदा?

अमेरिकी राष्ट्र्पति ट्रंप की अल-शारा से मुलाकात के बाद दोनों के रिश्तों में बदलाव देखने को मिले हैं, जो भविष्य में और विकसित हो सकते हैं। सीरिया की अर्थव्यवस्था की बात करें तो यह 13 साल के गृहयुद्ध और प्रतिबंधों से तबाह हो चुकी है। इसे फिर से स्थापित करने के लिए विदेशी निवेश और सहायता की सख्त जरूरत है। सऊदी अरब, कतर, और तुर्की जैसे देश अल-शारा को समर्थन दे रहे हैं और अब अमेरिकी प्रतिबंधों में राहत इस समर्थन को और बढ़ा सकती है। बता दें कि अल-शारा ने सऊदी अरब के साथ मजबूत संबंध बनाए हैं, जिसे अमेरिका का प्रमुख सहयोगी माना जाता है। यह रियाद के माध्यम से अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत करने का एक रास्ता हो सकता है।

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