पिता आतंकी, बेटा PAK सेना का प्रवक्ता; जनरल अहमद शरीफ चौधरी की कहानी
दुनिया
• NEW DELHI 12 May 2025, (अपडेटेड 12 May 2025, 2:52 PM IST)
इस समय पाकिस्तानी सेना का चेहरा बना हुआ हैं अहमद शरीफ चौधरी। जनरल चौधरी के पिता महमूद के अल-कायदा से संबंध रखने के आरोप थे। आखिर कैसे एक आतंकी का बेटा बना पाकिस्तान का लेफ्टिनेंट जनरल, पढ़ें कहानी।

अहमद शरीफ चौधरी, Photo Credit: X/@DGISPR98
पहुलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव ने नया मोड़ ले लिया। जवाबी कार्रवाई में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) स्थित 9 आतंकी ठिकानों पर मिसाइलें दागीं, जिसमें करीब 100 आतंकियों के मारे जाने की खबर है। इसके जवाब में पाकिस्तान ने जम्मू, राजस्थान, पंजाब और गुजरात के कई इलाकों में हवाई हमले किए, जिनमें जम्मू के पूंछ और अखनूर क्षेत्रों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा। लगभग 19 दिनों तक चले इस टकराव के बाद आखिरकार भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर समझौता हुआ। इसके परिणामस्वरूप 11 मई की रात सीमावर्ती इलाकों में पहली बार शांति देखी गई।
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान एक नाम लगातार चर्चा में रहा- पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी। वह पाकिस्तानी सेना की ओर से मीडिया में बयान देने वाले सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं और मौजूदा हालात पर अपने देश की मीडिया को लगातार जानकारी देते आ रहे हैं लेकिन अहम सवाल यह है कि एक ऐसे व्यक्ति ने, जिसका पिता खुद एक आतंकवादी था, कैसे पाकिस्तानी सेना में इतना ऊंचा ओहदा हासिल किया? आइए जानते हैं लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी की कहानी।
लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी
लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी पाकिस्तानी सेना की मीडिया ब्रांच इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (ISPR) के महानिदेशक (DG-ISPR) हैं। अहमद शरीफ चौधरी का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ, जिसका इतिहास विवादों से भरा है। उनके पिता, सुल्तान बशीरुद्दीन महमूद पाकिस्तान के एक प्रमुख वैज्ञानिक थे, जिन्होंने पाकिस्तान के परमाणु हथियार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें पाकिस्तान में तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, सितारा-ए-इम्तियाज से भी नवाजा गया था। हालांकि, महमूद का करियर तब विवादों में घिर गया जब साल 2000 की शुरुआत में उनके आतंकी संगठनों, जैसे अल-कायदा से संबंधों का खुलासा हुआ।
यह भी पढ़ें: 150 वांटेड आतंकियों का 'अड्डा' है PAK, फिर भी IMF से कैसे मिल गया लोन?
सुल्तान बशीरुद्दीन महमूद और आतंकवाद
1999 में, महमूद ने उम्माह तमीर-ए-नौ (UTN) नाम की एक संगठन की स्थापना की, जिसे शुरू में एक इस्लामी मानवीय संगठन के रूप में पेश किया गया। बाद में, अमेरिकी और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने पाया कि यह संगठन तालिबान और अल-कायदा के साथ मिलकर काम कर रहा था। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, महमूद ने अगस्त 2001 में ओसामा बिन लादेन और अयमान अल-जवाहिरी से मुलाकात की थी और उन्हें परमाणु, जैविक और रासायनिक हथियारों की जानकारी दी थी।
बैन
दिसंबर 2001 में, संयुक्त राष्ट्र की अल-कायदा प्रतिबंध समिति ने महमूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया। अमेरिका के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (OFAC) ने भी उन्हें विशेश रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (SDGT) के रूप में सूचीबद्ध किया। हालांकि, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI ने महमूद को यह कहकर रिहा कर दिया कि उनके पास स्वतंत्र रूप से परमाणु हथियार बनाने की तकनीकी क्षमता नहीं थी। इसके बाद, महमूद ने इस्लामाबाद में एक गुमनाम जीवन जीना शुरू कर दिया।
बेटे अहमद शरीफ चौधरी का सैन्य करियर
अपने पिता के विवादास्पद इतिहास के बावजूद अहमद शरीफ चौधरी ने पाकिस्तान सेना में एक प्रभावशाली करियर बनाया। चौधरी पाकिस्तान सेना के इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर से जुड़े हैं। चौधरी ने पाकिस्तान की रक्षा विज्ञान और प्रौद्योगिकी संगठन (DESTO) के प्रमुख के रूप में कार्य किया, जो सैन्य अनुसंधान और विकास के लिए जिम्मेदार है। यह संस्था पहले भी अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर चुकी है।
यह भी पढ़ें: मालदीव को 423 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद देगा भारत, वजह जान लीजिए
DG-ISPR के रूप में नियुक्ति
वर्ष 2022 में, पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर ने चौधरी को ISPR का महानिदेशक नियुक्त किया। इस रोल में, वह पाकिस्तान सेना के आधिकारिक प्रवक्ता हैं और सेना की पॉलिसी को मीडिया के सामने पेश करते हैं।
आतंकवादी के बेटे से लेफ्टिनेंट जनरल तक: कैसे हुआ संभव?
अहमद शरीफ चौधरी के सेना में उच्च पद तक पहुंचने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जो पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक संरचना को दर्शाते हैं, जैसे: पाकिस्तान की सेना में भर्ती और पदोन्नति प्रक्रिया में पारिवारिक बैकग्राउंड की गहन जांच होती है लेकिन सुल्तान बशीरूद्दीन महमूद जैसे व्यक्तियों को पाकिस्तान में अभी भी सम्मान मिला हुआ है, क्योंकि उन्होंने देश के परमाणु कार्यक्रम में योगदान दिया था। कई रिपोर्ट्स और विश्लेषकों का दावा है कि पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी ISI का आतंकवादी संगठनों के साथ गहरा संबंध रहा है। चौधरी का इतनी बड़ी पॉजिशन में आना इस बात का संकेत हो सकता है कि सेना में कुछ लोग ऐसी पृष्ठभूमि को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हैं, खासकर अगर व्यक्ति देश के लिए जरूरी हो।
ISPR के प्रमुख के रूप में, चौधरी का काम पाकिस्तान सेना की छवि को बनाए रखना और भारत जैसे देशों के खिलाफ प्रचार करना है। उनकी नियुक्ति को कुछ लोग इस बात का सबूत मानते हैं कि सेना अपने प्रचार को मजबूत करने के लिए विवादास्पद पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों को भी चुन सकती है।
यह भी पढ़ें: संघर्षविराम के बाद पाकिस्तान ने खोला एयर स्पेस, भारत का अभी भी बंद
विवाद और आलोचना
अहमद शरीफ चौधरी का नाम तब और चर्चा में आया जब भारत के ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव बढ़ा। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और PoK में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। भारतीय मीडिया और सोशल मीडिया पर चौधरी के पिता के आतंकी कनेक्शन सामने आए, जिससे पाकिस्तान की सेना की विश्वसनीयता पर सवाल उठे। अहमद शरीफ चौधरी का पाकिस्तान सेना में लेफ्टिनेंट जनरल और DG-ISPR बनना कई सवाल उठाता है, खासकर यह कि कैसे एक वैश्विक आतंकवादी के बेटे को इतना महत्वपूर्ण पद सौंपा गया।
और पढ़ें
Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies
CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap