ट्रंप सरकार में नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) रहे माइक वॉल्ट्ज अब संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के राजदूत बनाए गए हैं। गुरुवार को उन्होंने NSA के पद से इस्तीफा दे दिया। उनके अचानक इस्तीफे देने पर काफी विवाद भी हो रहा है। इस बीच अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने इसे 'प्रमोशन' बताया है।
हालांकि, मीडिया में ऐसी खबरें चल रही थीं कि उन्हें जबरदस्ती पद से हटाया गया है। मीडिया में चर्चा थी कि माइक वॉल्ट्ज को सिग्नल चैट लीक के चलते पद से हटाया गया है।
हालांकि, जेडी वेंस ने इसे खारिज किया है। फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में वेंस ने कहा, 'नहीं ऐसा नहीं है। मुझे लगता है कि यह प्रमोशन है।' वेंस ने कहा कि वॉल्ट्ज ने वह काम पूरा किया, जिसके लिए राष्ट्रपति ट्रंप ने उन्हें चुना था।
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दरअसल, मार्च में सिग्नल ऐप के ग्रुप में यमन में हूती विद्रोहियों पर अटैक का प्लान लीक हो गया था। न्यूज मैग्जीन 'द अटलांटिक' के एडिटर जेफरी गोल्डबर्ग ने ट्रंप के वार प्लान का लीक होने का दावा किया है। गोल्डबर्ग का दावा है कि यमन में हूती विद्रोहियों पर अमेरिकी हमले के बारे में उन्हें पहले से ही पता चल गया था, क्योंकि इसका प्लान मैसेजिंग ऐप पर ट्रंप की कोर टीम ने लीक कर दिया था।
अटलांटिक के एडिटर-इन-चीफ जेफरी गोल्डबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि उन्हें 13 मार्च को Signal ऐप में एक ग्रुप से जुड़ने की रिक्वेस्ट आई थी। इस ग्रुप का नाम 'Houthi PC small group' था। इस ग्रुप को अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) माइक वॉल्ट्ज ने इसलिए बनाया था ताकि हूती विद्रोहियों पर अटैक का प्लान तैयार किया जा सके।
यह चैट लीक होने के बाद माइक वॉल्ट्ज सवालों के घेरे में आ गए थे। उन्होंने इस मामले की पूरी जिम्मेदारी ली थी। वॉल्ट्ज ने कहा था, 'मैं इसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूं। मैंने ही यह ग्रुप बनाया था।'
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व्हाइट हाउस ने इस चैट लीक को 'शर्मनाक' बताया था। साथ ही वॉल्ट्ज का बचाव करते हुए यह भी कहा था कि इससे अमेरिकियों को कोई नुकसान नहीं हुआ है।
वहीं, अब माइक वॉल्ट्ज के पद से हटने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने विदेश मंत्री मार्को रुबियो को NSA की अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंपी है।