अरविंद श्रीनिवास के नेतृत्व वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कंपनी परप्लेक्सिटी ने गूगल के क्रोम ब्राउज़र को खरीदने के लिए 34.5 अरब डॉलर (लगभग 2.9 लाख करोड़ रुपये) का एक बड़ा ऑफर दिया है। यह ऑफर पूरी तरह कैश के लिए है और कंपनी ने इसे गूगल को औपचारिक रूप से भेजा है। केवल तीन साल पुरानी यह स्टार्टअप, जिसकी खुद की कीमत 18 अरब डॉलर है, इस सौदे के जरिए दुनिया भर में 3 अरब से ज्यादा लोगों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले गूगल क्रोम ब्राउजर को अपने नाम करना चाहती है।
परप्लेक्सिटी ने इस डील में कई वादे किए हैं ताकि रेग्युलेटर और यूजर की चिंताओं को दूर किया जा सके। कंपनी ने कहा है कि वह अगले दो साल में क्रोम के डेवलेपमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर में 3 अरब डॉलर का निवेश करेगी। साथ ही, क्रोम का क्रोमियम कोड ओपन सोर्स रखा जाएगा, ताकि अन्य ब्राउज़र निर्माता इसका इस्तेमाल कर सकें। सबसे खास बात, परप्लेक्सिटी ने वादा किया है कि वह क्रोम के डिफॉल्ट सर्च इंजन को नहीं बदलेगी। कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हम यूजर्स के लिए स्टेबिलिटी और ऑप्शन सुनिश्चित करना चाहते हैं, जिससे गूगल और इसके ऐडवरटाइजर्स को भी फायदा होगा।’
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क्यों है यह सौदा इतना खास?
यह ऑफर ऐसे समय में आया है जब गूगल एक बड़े कानूनी मामले का सामना कर रहा है। पिछले साल एक अमेरिकी जज ने फैसला दिया था कि गूगल का इंटरनेट सर्च में एकाधिकार (Monopoly) अवैध है। अब अमेरिका का न्याय विभाग चाहता है कि गूगल क्रोम को बेच दे। क्रोम दुनिया भर में 65% से ज्यादा ब्राउज़र मार्केट पर कब्जा रखता है और गूगल के 300 अरब डॉलर के विज्ञापन कारोबार का एक बड़ा हिस्सा इसी से आता है। अगर गूगल क्रोम को खो देता है, तो उसे यूज़र्स का डेटा इकट्ठा करने और सर्च में 90% की हिस्सेदारी बनाए रखने में मुश्किल हो सकती है।
परप्लेक्सिटी के लिए क्या फायदा?
परप्लेक्सिटी जैसी AI सर्च कंपनियों के लिए क्रोम को खरीदना एक बड़ा मौका है। इससे उन्हें अरबों यूज़र्स तक तुरंत पहुंच मिल सकती है, जो अभी गूगल सर्च का इस्तेमाल करते हैं। यह गूगल के ब्राउज़र मार्केट पर एकाधिकार को भी तोड़ सकता है। परप्लेक्सिटी के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर दिमित्री शेवेलेन्को ने कहा, ‘कई बड़े निवेशक फंड इस सौदे को पूरी तरह से वित्तपोषित करने के लिए तैयार हैं।’ कंपनी ने पहले ही Nvidia और जापान की सॉफ्टबैंक जैसे बड़े निवेशकों से 1 अरब डॉलर जुटाए हैं, लेकिन इस सौदे के लिए फंड देने वाले निवेशकों के नाम नहीं बताए।
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कम नहीं चुनौतियां
हालांकि, यह सौदा आसान नहीं होगा। गूगल ने क्रोम बेचने में कोई रुचि नहीं दिखाई है और वह इस कानूनी फैसले के खिलाफ अपील करने की योजना बना रहा है। इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि क्रोम की कीमत 50 अरब डॉलर से ज्यादा हो सकती है, जो परप्लेक्सिटी के ऑफर से काफी अधिक है। यह इस साल परप्लेक्सिटी का दूसरा बड़ा अधिग्रहण प्रयास है। इससे पहले जनवरी में कंपनी ने टिकटॉक के अमेरिकी कारोबार को खरीदने की कोशिश की थी।