बांग्लादेशः हिंदुओं पर अत्याचार जारी, 4 मंदिरों की 9 मूर्तियां तोड़ीं
दुनिया
• DHAKA 21 Dec 2024, (अपडेटेड 21 Dec 2024, 1:12 PM IST)
भारत और बांग्लादेश में तनाव बढ़ता ही जा रहा है। इस बीच बांग्लादेश में दो दिन के अंदर 4 मंदिरों पर हमले की घटना सामने आई है। कट्टरपंथियों ने इन मंदिरों पर हमला कर 9 मूर्तियां तोड़ दी हैं।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा को लेकर भारत में विरोध प्रदर्शन करते लोग। (फाइल फोटो-PTI)
भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से ही भारत और बांग्लादेश के रिश्ते बिगड़ते जा रहे हैं। एक ओर, बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा बढ़ गई है। दूसरी ओर, वहां की अंतरिम सरकार में शामिल नेता भी भारत के खिलाफ जहर उगलने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। बांग्लादेश में यूनुस सरकार आने के बाद जिस तरह से हिंदुओं पर हिंसा की घटनाएं और वहां के नेताओं की विवादित टिप्पणियां सामने आई हैं, उस पर भारत ने कड़ा विरोध जताया है।
बांग्लादेश में 4 मंदिरों में तोड़फोड़
बांग्लादेश के मैमनसिंह और दिनाजपुर जिले में दो दिन में 4 मंदिरों में तोड़फोड़ की घटना सामने आई है। कट्टरपंथियों ने 4 मंदिरों में हमला कर 9 मूर्तियों को तोड़ दिया है। इस मामले में पुलिस ने अभी एक आरोपी को गिरफ्तार किया है।
स्थानीय मीडिया ने बताया कि मैमनसिंह में गुरुवार और शुक्रवार को 2 मंदिरों में हमला कर 3 मूर्तियों को तोड़ दिया गया। इस घटना के सिलसिले में अभी तक कोई केस भी दर्ज नहीं किया गया है।
दूसरी घटना में कट्टरपंथियों ने मैमनसिंह के ही पोलाशकांदा काली मंदिर में मूर्ति को तोड़ दिया। इस मामले में पुलिस ने अलाल उद्दीन नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है। पूछताछ में उसने मंदिर में तोड़फोड़ की बात कबूल की है।
वहीं, दिनाजपुर में भी झारबार शासन काली मंदिर में कट्टरपंथियों ने 5 मूर्तियां तोड़ डालीं। मंदिर समिति के अध्यक्ष जनार्दन रॉय ने कहा कि उन्होंने इससे पहले इस तरह की घटना कभी नहीं देखी। मंदिर में तोड़फोड़ की ये घटना गुरुवार को हुई थी। पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
बांग्लादेशी नेता की विवादित पोस्ट
हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश की अंतरिम सलाहकार में मंत्रियों की भड़काऊ बयानबाजी बंद नहीं हो रही है। हाल ही में यूनुस सरकार में सलाहकार महफूज आलम ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की थी। इस पोस्ट में आलम ने बांग्लादेश का एक नक्शा दिखाया था। इस नक्शे में पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा के कुछ हिस्सों को बांग्लादेश का हिस्सा बताया था। हालांकि, विवाद बढ़ने पर आलम ने इस पोस्ट को डिलीट कर दिया था।
भारत बोला- सोच-समझकर बोलें
महफूज आलम की पोस्ट पर भारत ने कड़ा विरोध जताया है। शुक्रवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नसीहत देते हुए कहा कि सार्वजनिक बयानबाजी सोच-समझकर की जानी चाहिए।
रणधीर जायसवाल ने कहा, 'हमने इस मुद्दे को बांग्लादेश की सरकार के सामने उठाया है। हमने इस पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। हम समझते हैं कि जिस पोस्ट का जिक्र किया जा रहा है, उसे डिलीट कर लिया गया है।'
उन्होंने कहा, 'हम याद दिलाना चाहते हैं कि सार्वजनिक टिप्पणी या बयानबाजी करते समय सचेत रहना चाहिए। भारत ने हमेशा बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और लोगों के साथ रिश्ते बेहतर करने को बढ़ावा दिया है लेकिन इस तरह की बातों से रिश्तों पर असर पड़ सकता है।'
#WATCH | Delhi: On the (now deleted) post of Bangladeshi leader Mahfuz Alam, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, "We have registered our strong protest on this issue with the Bangladesh side. We understand that the post being referred to has reportedly been taken down. We… pic.twitter.com/o5w2QprZq4
— ANI (@ANI) December 20, 2024
बांग्लादेश में बढ़ रहे हिंदुओं पर हमले
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। शुक्रवार को केंद्र सरकार ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले के आंकड़े बताए थे। आंकड़ों से पता चलता है कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार की घटनाओं में सात गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
लोकसभा में विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों के आंकड़े रखे थे। उन्होंने बताया था कि इस साल 8 दिसंबर तक बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले के 2,200 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। जबकि, 2023 में 302 और 2022 में 47 मामले सामने आए थे।
इसी तरह से पाकिस्तान में भी हिंदुओं पर हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। सरकार के मुताबिक, इस साल अक्टूबर तक पाकिस्तान में हिंदुओं पर हिंसा की 112 घटनाएं हुईं हैं। जबकि, पिछले साल 103 और 2022 में 241 मामले सामने आए थे।
इस्कॉन ने कहा- हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित
बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े धर्मगुरु चिन्मय कृष्णा दास को 25 नवंबर को गिरफ्तार कर लिया गया था। चिन्मय दास पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया है। आरोप है कि अक्तूबर में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान उन्होंने बांग्लादेशी झंडे का अपमान किया था। पुलिस का दावा है कि इस प्रदर्शन में भगवा ध्वज को बांग्लादेशी झंडे से ज्याजा ऊंचा फहराया गया था। चिन्मय दास की गिरफ्तारी के बाद कई जगहों से हिंदुओं पर हिंसा की खबरें सामने आई हैं।
चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर भारत ने भी चिंता जताई थी। भारत ने कहा था कि अल्पसंख्यकों और हिंदुओं के मंदिरों में तोड़फोड़ करने वाले अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि शातिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने वाले धार्मिक नेताओं पर आरोप लगाए जा रहे हैं।
इस बीच, एक बार फिर इस्कॉन ने बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। इस्कॉन से जुड़े गौरंगा दास ने कहा, 'हम बांग्लादेश के हालातों को लेकर चिंतित हैं। हम सभी हिंदू और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। हम बांग्लदेश सरकार से अनुरोध करते हैं कि सभी नागरिकों, खासकर अल्पसंख्यकों को सुरक्षा दी जाए। हमारे मंदिरों की रक्षा की जाए।'
गौरंगा दास ने आगे कहा, 'बांग्लादेश सरकार से अनुरोध है कि वह सभी अल्पसंख्यकों को अपनी-अपनी धार्मिक स्वतंत्रता का पालन करने का अधिकार दे और सभी पूजा स्थलों की रक्षा करे।'
#WATCH | On the Bangladesh issue, Governing Body Commissioner (GBC), ISKCON, Gauranga Das says, "ISKCON is very concerned about this situation in Bangladesh and we are very concerned about the safety of all the Hindu minorities. We request the Bangladesh government and all the… pic.twitter.com/qQTxtw4DVa
— ANI (@ANI) December 21, 2024
बांग्लादेश सरकार का क्या है कहना?
अगस्त में हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद हिंदुओं पर हिंसा बढ़ गई थी। यूनुस सरकार ने कभी भी इस बात को नहीं माना था। हालांकि, हाल ही में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने माना था कि हसीना सरकार के जाने के बाद देशभर में सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाएं हुई हैं, जिनमें 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह आंकड़े 5 अगस्त से 22 अक्तूबर के बीच के थे।
5 अगस्त को हो गया था तख्तापलट
बांग्लादेश में इसी साल जनवरी में शेख हसीना फिर से प्रधानमंत्री बनी थीं। हालांकि, हसीना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। आखिरकार 5 अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर बांग्लादेश छोड़ दिया था। हसीना बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गई थीं। अभी हसीना भारत में ही हैं। मोहम्मद यूनुस कई बार शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने की मांग कर चुके हैं।
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