Axiom-4 मिशन में सॉफ्ट टॉय क्यों ले जा रहे हैं शुभांशु शुक्ला?
दुनिया
• FLORIDA 05 Jun 2025, (अपडेटेड 06 Jun 2025, 10:06 AM IST)
जब एक्सिओम-4 मिशन का क्रू अंतरिक्ष की ओर रवाना होगा, तो उनके साथ एक खास साथी भी होगा एक सफेद, मुलायम हंस सॉफ्ट टॉय, जिसका नाम है ‘जॉय’। क्या है इसके पीछे की वजह, यहां जानिए।

Axiom-4 मिशन के अंतरराष्ट्रीय यात्री, Photo Credit: X/@Axiom Space
फ्लोरिडा में 10 जून को एक बड़ा सा रॉकेट आसमान की ओर उड़ान भरेगा। इस रॉकेट का नाम है फाल्कन-9 और यह धरती से सीधा अंतरिक्ष की सैर पर जाएगा। इसके साथ कुछ खास लोग भी जाएंगे जो कि अंतरिक्ष यात्री होंगे लेकिन रुकिए! इस बार उनके साथ एक और खास मुसाफिर है- एक नन्हा, मुलायम और प्यारा हंस जिसका नाम है 'जॉय'। वह कोई असली हंस नहीं बल्कि एक सॉफ्ट टॉय है लेकिन बहुत ही खास काम के लिए जा रहा है। अब आप सोच रहे होंगे, खिलौना अंतरिक्ष में क्या करेगा? तो सुनिए, जब रॉकेट अंतरिक्ष में पहुंचता है और धरती की पकड़ छूट जाती है, तो वहां कुछ भी जमीन पर टिककर नहीं रहता। सब कुछ हवा में तैरने लगता है और तभी, ‘जॉय’ को यान में आजाद छोड़ दिया जाएगा। जैसे ही वह हवा में उड़ने लगेगा, सभी अंतरिक्ष यात्री खुश होकर कहेंगे – 'हां, अब हम सच में अंतरिक्ष में हैं!' इसलिए ‘जॉय’ सिर्फ एक सॉफ्ट टॉय नहीं है, वह अंतरिक्ष में तैरने वाला पहला पंखों वाला संकेत है जो बताता है कि अब धरती पीछे छूट गई है और असली स्पेस एडवेंचर शुरू हो चुका है!
कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरेगा फाल्कन-9
दरअसल, 10 जून को कैनेडी स्पेस सेंटर से फाल्कन-9 रॉकेट उड़ान भरेगा। इस दौरान अंतरिक्ष यात्रियों और साइंटिफिक सामान के साथ-साथ एक सॉफ्ट टॉय, जो एक छोटे से हंस जैसा दिखता है भी स्पेस में जाएगा। इसे 'जॉय' नाम दिया गया है। अंतरिक्ष में एक पुरानी परंपरा रही है कि जैसे ही स्पेसक्राफ्ट जीरो ग्रैविटी की स्थिति में पहुंचता है, तो एक छोटा टॉय या वस्तु खुलकर तैरने लगती है और वहीं से पता चलता है कि अब यान पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण सीमा से बाहर निकल गया है। ‘जॉय’ सिर्फ यह नहीं बताता कि स्पेस में गुरुत्वाकर्षण नहीं है, बल्कि अंतरिक्ष यात्रियों के लिए उसका एक खास और भावनात्मक मतलब भी है। चलिए जानते हैं कि यह छोटा, प्यारा हंस उनके लिए इतना खास क्यों है?
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'हंस' टॉय ही क्यों चुना?
Axiom-4 मिशन के चारों अंतरराष्ट्रीय यात्रियों ने अंतरिक्ष में अपने साथ ले जाने के लिए एक खास सॉफ्ट टॉय चुना – एक हंस। यह एक सांस्कृतिक और भावनात्मक प्रतीक है, जिसे सभी ने मिलकर चुना। मिशन के पायलट और इसरो के गगनयात्री शुभांशु शुक्ला के लिए हंस का मतलब बहुत गहरा है। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति में हंस ज्ञान की देवी सरस्वती का वाहन माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि हंस में दूध और पानी को अलग करने की अनोखी क्षमता होती है, जो समझदारी और शुद्धता का प्रतीक है।
राकेश शर्मा के बाद शुभांशु शुक्ला
शुक्ला ने कहा, 'हंस मुझे यह याद दिलाता है कि ज्ञान और जिम्मेदारी के बीच संतुलन कैसे बनाए रखें। ये मुझे उन मूल्यों से जोड़ता है जो मेरे लिए बहुत मायने रखते हैं। इस मिशन पर जाते हुए मैं खुद को प्रेरित, तैयार और आत्मविश्वासी महसूस करता हूं।' अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा, तो शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय बनेंगे। बता दें कि पहले थे राकेश शर्मा, जो करीब 40 साल पहले अंतरिक्ष में गए थे।
मिशन की कमांडर पैगी व्हिटसन ने क्या कहा?
अमेरिका की सबसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्री और इस मिशन की कमांडर पैगी व्हिटसन ने कहा, 'हमारा अंतरिक्ष यान 'जॉय' तीन देशों – भारत, पोलैंड और हंगरी – के एक साथ मिलकर अंतरिक्ष में पहुंचेगा। 'हंस' (swan) हर देश में कुछ खास दर्शाता है: भारत में ज्ञान, पोलैंड में मजबूती और हंगरी में शांति और सुंदरता। हम 'जॉय' के जरिए दुनिया को दिखाएंगे कि हम भले ही अलग-अलग देश और कल्चर से आते हों लेकिन अंतरिक्ष की इस यात्रा में हम एकजुट हैं।'
यह मिशन, टेक्सास की कंपनी एक्सिओम स्पेस चला रही है (नासा और स्पेसएक्स के साथ मिलकर), चार अंतरिक्ष यात्रियों को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर लगभग दो हफ्तों के लिए भेजेगा। टीम में हैं:
- पैगी व्हिटसन (अमेरिका) – मिशन कमांडर
- शुभांशु शुक्ला (भारत) – मिशन पायलट
- स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की (पोलैंड) – मिशन विशेषज्ञ
- टिबोर कापू (हंगरी) – मिशन विशेषज्ञ
स्लावोज ने कहा, 'हमारी सबसे बड़ी यात्रा बस कुछ ही दिनों में शुरू होने वाली है। अब तक ये सब एक सपना लगता था, लेकिन अब ये हकीकत बन रहा है। और सबसे अच्छी बात ये है कि हमारे यान और ISS पर हमारे साथ एक और खास साथी 'जॉय' भी होगा – जो हमारे इस सफर की खुशी का प्रतीक है।'
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अंतरिक्ष में सॉफ्ट टॉय ले जाने की अनोखी परंपरा
आपको जानकर हैरानी होगी कि अंतरिक्ष यात्री अक्सर अपने साथ एक छोटा सा सॉफ्ट टॉय भी ले जाते हैं और इसके पीछे एक प्यारी परंपरा छिपी है! ये सिलसिला 1961 में शुरू हुआ, जब सोवियत कॉस्मोनॉट यूरी गगारिन अपनी पहली उड़ान पर एक छोटी सी गुड़िया लेकर गए थे। मकसद था: जैसे ही वो गुड़िया तैरने लगे, इसका मतलब होता कि अंतरिक्ष यान ने जीरो ग्रैविटी यानी भारहीनता में प्रवेश कर लिया है।
तब से लेकर अब तक, खासकर रूसी अंतरिक्ष यात्रियों ने इस परंपरा को जिंदा रखा है। कई बार तो वे अपने बच्चों के पसंदीदा खिलौने भी साथ ले जाते हैं। अब यह परंपरा सिर्फ रूस तक ही सीमित नहीं रही। स्पेसएक्स, बोइंग और यहां तक कि नासा के आर्टेमिस मिशन में भी सॉफ्ट टॉय को ‘ज़ीरो ग्रैविटी इंडिकेटर’ के रूप में शामिल किया जाता है।
अभी हाल ही में, एक नया खिलौना अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर गया- 'जॉय' नाम का एक प्यारा सा हंस। इससे पहले भी कई मजेदार टॉय उड़ान भर चुके हैं, जैसे ओरिगेमी क्रेन 'ड्रूग' और एक छोटा-सा फरिश्ता जो हॉर्न बजाता है। माना जा रहा है कि जॉय अंतरिक्ष में उड़ने वाला पहला हंस है जिसे जीरो ग्रैविटी इंडिकेटर के रूप में इस्तेमाल किया गया है। हालांकि, इससे पहले भी हंस जैसे खिलौने भेजे गए थे लेकिन वो बस सजावट के लिए थे।तो अगली बार जब आप अंतरिक्ष की कोई तस्वीर देखें, तो ध्यान दीजिए शायद वहां कहीं एक छोटा खिलौना भी तैर रहा हो, जो आपको बता रहा हो कि 'हम अब स्पेस में हैं!'
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