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'किल एंड डंप', अपने ही लोगों पर कितना अत्याचार करती है PAK आर्मी?

पाकिस्तानी सेना के अत्याचार की खबरें एक बार फिर आने लगी हैं। कई बलूच एक्टिविस्ट ने पाकिस्तानी सेना पर अत्याचार का आरोप लगाया है।

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

बलूचिस्तान ने पाकिस्तान से आजादी का ऐलान कर दिया है। बलूच नेता मीर यार बलोच ने आजादी का ऐलान करते हुए कहा कि अब बलूचिस्तान के लोगों ने अपना 'फैसला' सुना दिया है और अब दुनिया को चुप नहीं रहना चाहिए। उन्होंने बलूचिस्तान में दशकों से हो रही हिंसा, अत्याचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन का हवाला दिया। 


मीर यार ने X पर लिखा, 'तुम मारोगे, हम निकलेंगे, हम नस्ल बचाने निकले हैं, आओ हमारा साथ दो। पाकिस्तान के कब्जे वाले बलूचिस्तान में लोग सड़कों पर हैं और यह उनका फैसला है कि बलूचिस्तान अब पाकिस्तान नहीं है और दुनिया अब चुप नहीं बैठ सकती।'

 

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'हम पाकिस्तानी नहीं, बलूचिस्तानी हैं'

उन्होंने एक दूसरी पोस्ट में लिखा, 'बलूचिस्तान 14 मई 2025 को पाकिस्तान से PoK खाली करने के भारत के फैसले का पूरा समर्थन करता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान से PoK को तुरंत खाली करने को कहना चाहिए, ताकि ढाका में हुए 93 हजार सैनिकों के सरेंडर के एक और अपमान से उसे बचाया जा सके। भारत, पाकिस्तानी सेना को हराने में सक्षम है और अगर अगर पाकिस्तान ने कोई ध्यान नहीं दिया तो सिर्फ पाकिस्तानी सेना के लालची जनरलों को ही इस खूनखराबे के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि वह PoK के लोगों को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।'

 


उन्होंने भारतीयों, खासकर यूट्यूबर्स, मीडिया और बुद्धिजीवियों से अपील की कि वे बलूचों को 'पाकिस्तानी नागरिक' कहने से बचें। उन्होंने कहा, 'हम पाकिस्तानी नहीं, बलूचिस्तानी हैं। पाकिस्तान के अपने लोग सिर्फ पंजाबी हैं, जिन्होंने कभी बमबारी और नरसंहार का सामना नहीं किया।'


मीर यार बलोच ने भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से बलूचिस्तान की आजादी को मान्यता देने की अपील की है। उन्होंने कहा कि दुनिया को पाकिस्तान के कहे पर भरोसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि उसने विदेशी ताकतों की मदद से बलूचिस्तान को हड़प लिया था।

 

क्या फंसता जा रहा है पाकिस्तान?

बलूचिस्तान के नेताओं और लोगों ने पाकिस्तान पर अत्याचार करने का आरोप लगाया है। बलूच यकजेहती कमेटी (BYC) ने महरंग बलोच की मार्च में दी गई स्पीच को फिर से शेयर किया है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान पर अत्याचार करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था, 'आप जितने बलूचों की हत्या करेंगे, उतने ही और उठ खड़े होंगे।'


बलोच यकजेहती कमेटी (BYC) का दावा है कि पाकिस्तान की सेना दशकों से बलूचिस्तान में उत्पीड़न कर रही है, लोगों को गायब कर रही है और उनकी हत्याएं कर रही है। BYC ने X पर कई पोस्ट की हैं, जिनमें कथित तौर पर हत्याओं के लिए पाकिस्तान की सेना को जिम्मेदार ठहराया गया है।

 


इस बीच कैलफोर्निया में रह रहीं अफगानिस्तान की निर्वासित सांसद मरियम सोलायमानखिल ने दावा किया है कि पाकिस्तान की सेना से हर कोई परेशान है। उन्होंने कहा, 'सिर्फ बलूच ही नहीं, बल्कि पश्तून, सिंधि और यहां तक कि पंजाबी भी, हर कोई सेना से परेशान है। बलूचिस्तान में महरंग बलोच जैसे शांतिपूर्ण और अहिंसक कार्यकर्ता हैं, जो जेल में बंद हैं लेकिन ओसामा बिन लादेन और लश्कर के आतंकी जैसे लोग खुलेआम घूमते हैं। बलूचिस्तान में दशकों से लोग गायब हो रहे हैं, हत्याएं हो रही हैं और उनके प्राकृतिक संसाधनों को लूटा जा रहा है।'

 


इससे पहले मंगलवार को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने दावा किया था कि उसने 51 जगहों पर 71 हमले किए हैं। यह हमले पाकिस्तानी सेना पर किए गए थे।

 

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क्या अत्याचार कर रही है पाकिस्तान की सेना?

पाकिस्तान की सेना और सरकार पर बरसों से मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं। यह पाकिस्तान की सेना ही थी, जिसने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में जमकर अत्याचार किया था, जिसके बाद लोग सड़कों पर उतर आए थे। इसका नतीजा यह हुआ कि 1971 में भारत के साथ जंग हुई और पाकिस्तान से अलग होकर बांग्लादेश बन गया।


अब पाकिस्तान दशकों से बलूचिस्तान में अत्याचार कर रहा है। इसकी गवाही कई अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने दी है। अमेरिकी सरकार की 2024 की रिपोर्ट में पाकिस्तानी सेना की 'किल एंड डंप' नीति का जिक्र है। रिपोर्ट में कई मानवाधिकार संगठनों ने दावा किया है कि पाकिस्तान की सेना बलूचिस्तान से विद्रोहियों को अगवा करती है, उन्हें प्रताड़ित करती है और फिर हत्या कर उनकी लाश को सड़क पर फेंक देती है।


बलोच यकजहेती कमेटी (BYC) ने हाल ही में पोस्ट कर पाकिस्तानी सेना की 'किल एंड डंप पॉलिसी' का उदाहरण दिया है। कमेटी ने पोस्ट कर दावा किया है कि 4 मई को बलूचिस्तान के मस्तंग में रहने वाले फहाद लहरी अचानक गायब हो गए थे। इसके बाद 14 मई को फहाद की गोलियों से छलनी लाश मिली थी।

 


इससे पहले BYC ने एक महिला का वीडियो शेयर किया था और दावा किया था कि उनका बेटा कई महीनों से गायब है। दावा है कि 5 फरवरी को तुरबत से नईम बशीर गायब हो गया था, जिसका अभी तक कुछ पता नहीं चला है। इस वीडियो में महिला रोते हुए कह रही है, 'नईम हमारा इकलौता बेटा है। कुरान की खातिर, मेरे बेटे को लौटा दो।'


ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) की 2024 की रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान की कानूनी एजेंसियां बिना किसी आरोप के लोगों को गिरफ्तार करती है और उनकी हत्या कर देती है। यह रिपोर्ट बताती है कि सरकार या सेना के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को गिरफ्तार कर लिया जाता है और बिना किसी फेयर ट्रायल के ही उन्हें सजा सुना दी जाती है। दिसंबर 2023 में पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने 60 लोगों को 10 साल तक की सजा सुनाई थी। इन्हें सैन्य ठिकानों पर हमला करने का दोषी पाया गया था।

 

कितना अत्याचार कर रहा पाकिस्तान?

कई अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट्स से पता चलता है कि पाकिस्तान और उसकी सेना न सिर्फ बलूचिस्तान बल्कि खैबर पख्तूनख्वाह में भी अत्याचार करती है।


अमेरिकी सरकार की रिपोर्ट ने पश्तून, सिंधि और बलूचिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के हवाले से बताया था कि यहां लोगों को जबरन अगवा कर लिया जाता है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का दावा है कि पाकिस्तान की कानूनी एजेंसियां बच्चों को भी अगवा कर लेती है, ताकि उनके माता-पिता पर दबाव बनाया जा सके।


बलूचिस्तान में काम करने वाले एक NGO ने दावा किया था कि जनवरी से जुलाई 2023 के बीच 177 बलूच गायब हुए हैं। NGO का दावा था कि साल 2000 के बाद से 6,808 लोग अगवा हो चुके हैं।


अगस्त 2023 में बलूच कार्यकर्ता हानी बलोच और उनके पति समीर बलोच की लाश बलूचिस्तान से सटे ईरानशहर में मिली थी। उनकी लाश मिलने से दो हफ्ते पहले ही दोनों को अगवा कर लिया गया था। 

 


ऐसा सिर्फ बलूचिस्तान में नहीं होता, बल्कि पूरे पाकिस्तान में इस तरह के मामले सामने आते हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) की 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक, डिफेंस ऑफ ह्यूमन राइट्स ने सालभर में 2,332 लोगों के लापता होने के मामले दर्ज किए थे।


इस रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ लोग ऐसे भी जो कई दिन, हफ्तों या महीनों तक लापता होने के बाद वापस लौट आए थे। कश्मीरी पत्रकार और कवि अहमद फरहाद दो महीने तक गायब रहने के बाद वापस आ गए थे। वापल लौटने के बाद उनपर केस दर्ज किए गए थे। जुलाई 2024 में 17 साल के फैजान उस्मान इस्लामाबाद में अपने घर से गायब हो गए थे। फैजान दो महीने बाद लौटकर आया था। 


पाकिस्तान की सरकार और सेना अपने खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों को बुरी तरह कुचल देती है। जनवरी 2024 में बलूच एक्टिविस्ट मोला बख्श की हत्या के विरोध में हुए धरने में शामिल होने पर 44 सरकारी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था। यह इसलिए किया गया था, ताकि ऐसे प्रदर्शनों में कोई सरकारी कर्मचारी शामिल न हों। इसके अलावा, बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वाह और सिंध में भी पाकिस्तान सरकार के अत्याचार के मामले सामने आए हैं। यही कारण है बलूचिस्तान के लोग आजादी चाहते हैं।

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