हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि म्यमेंसिंह (बांग्लादेश) में मौजूद भारतीय फिल्मकार सत्यजीत रे का पैतृक घर बांग्लादेश सरकार द्वारा तोड़ दिया गया है। इस खबर पर लोगों में नाराजगी और भ्रम फैल गया। हालांकि अब बांग्लादेश सरकार ने इस पर स्पष्ट रूप से इनकार किया है और कहा है कि यह खबर पूरी तरह से गलत और भ्रामक है।
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा कि जिस घर को लेकर विवाद हुआ है, उसका सत्यजीत रे या उनके पूर्वजों से कोई संबंध नहीं है। जांच के बाद पाया गया कि यह मकान स्थानीय जमींदार शशिकांत आचार्य चौधरी ने अपने कर्मचारियों के लिए बनवाया था। यह घर उनके ही बंगले ‘शशि लॉज’ के पास स्थित था।
शिशु अकादमी के कार्यालय के तौर पर हो रहा था इस्तेमाल
जमींदारी व्यवस्था के खत्म होने के बाद इस घर को सरकार ने अपने अधीन कर लिए और बाद में इसे बांग्लादेश शिशु अकादमी को दिया गया, जहां कई सालों से जिला शिशु अकादमी का कार्यालय था। सरकार ने यह भी बताया कि यह जमीन सरकारी जमीन है और इसे शिशु अकादमी को लंबे समय के लिए लीज पर दिया गया है।
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बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय ने बयान में यह भी स्पष्ट किया गया है कि इस भवन का न तो इतिहासिक महत्व है और न ही इसे पुरातात्विक स्मारक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
विवाद का एक कारण हरिकिशोर रे रोड भी जुड़ा है जो उस मकान के सामने है। यह नाम सत्यजीत रे के परदादा हरिकिशोर रे के सम्मान में रखा गया था। रे परिवार का कभी एक मकान इस रोड पर था लेकिन उन्होंने वह संपत्ति बहुत पहले बेच दी थी। वहां अब एक बहुमंजिला इमारत बन चुकी है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, स्थानीय साहित्यकार, वरिष्ठ नागरिकों और पत्रकारों ने भी पुष्टि की है कि विवादित घर का सत्यजीत रे परिवार से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने बताया कि यह पुराना मकान अब जर्जर और खतरनाक स्थिति में था और इसमें अवैध गतिविधियां हो रही थीं। ऐसे में शिशु अकादमी ने 2025 में इसे हटाने और नई इमारत बनाने की योजना बनाई। इसके लिए नियमानुसार नीलामी की प्रक्रिया अपनाई गई और अखबारों में इसकी जानकारी भी दी गई थी।