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बांग्लादेश में कितने जुल्म सहती हैं हिंदू महिलाएं? हैरान कर देगा डेटा

बांग्लादेश के कोमिला जिले में एक हिंदू महिला से रेप का मामला सामने आया है। इस मामले में पुलिस ने अब तक 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। ऐसे में जानते हैं कि बांग्लादेश में हिंदू महिलाओं की हालत कैसी है?

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प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

बांग्लादेश में एक हिंदू महिला के साथ दुष्कर्म का मामला सामने आया है। महिला के साथ दरिंदगी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल किया गया। इसके बाद पूरे बांग्लादेश में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। मामले में पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार जरूर किया है, लेकिन विरोध शांत होने का नाम नहीं ले रहे हैं।


इस बीच हाई कोर्ट ने भी बांग्लादेश टेलीकम्युनिकेशन एंड रेगुलेटरी कमीशन (BTRC) को सोशल मीडिया से इसका वीडियो हटाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही BTRC से 14 जुलाई तक प्रोग्रेस रिपोर्ट भी मांगी है। 

  • क्या है यह मामला?: हिंदू महिला से रेप का यह मामला कोमिला जिले के मुरादनगर का है। बताया जा रहा है कि 21 साल की महिला के साथ 26 जून की रात को रेप किया गया था।
  • मामला कैसे सामने आया?: महिला के साथ हुई इस दरिंदगी का वीडियो वायरल हुआ। कुछ लोगों ने निर्वस्त्र खड़ी महिला का वीडियो रिकॉर्ड कर उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया था।
  • क्या हुआ था?: पुलिस के मुताबिक, पीड़िता का पति दुबई में काम करता है और स्थानीय त्योहार हरि सेवा में शामिल होने के लिए मुरादनगर में अपने पैतृक गांव आया था। रात करीब 10 बजे फजर अली घर में घुसा और महिला के साथ दुष्कर्म किया।
  • आरोपी कौन है?: इसका मुख्य आरोपी फजर अली फजर को माना जा रहा है। स्थानीयों ने अली को पकड़ लिया था और उसे पीटा भी लेकिन बाद में उसे अस्पताल ले गए और छिपाकर रखा। अली बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) से जुड़ा हुआ है।
  • अब तक कितने गिरफ्तार?: फजर अली समेत 5 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। फजर अली के अलावा सुमोन, रमजान अली, मोहम्मद आरिफ और मोहम्मद अनीक को वीडियो लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

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बांग्लादेश और हिंदुओं की हालत

1971 में पाकिस्तान से अलग होकर जब बांग्लादेश अलग मुल्क बना तो शेख मुजीबुर्रहमान ने नया संविधान लागू किया। इससे अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं को बड़ी राहत मिली, क्योंकि उन्होंने एक नया और धर्मनिरपेक्ष संविधान लागू किया था। हालांकि, 1975 में शेख मुजीब की हत्या के बाद हालात बिगड़ गए।


सैन्य तख्तापलट के बाद 1982 में जनरल मुहम्मद इरशाद सत्ता में आए और उन्होंने 1988 में संविधान बदल दिया। इस्लाम को बांग्लादेश का राजकीय धर्म घोषित किया गया।


1990 के दशक में जब भारत में बाबरी मस्जिद को लेकर राम मंदिर आंदोलन तेज हुआ तो इसका असर बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं पर पड़ा। इसके बाद बांग्लादेश में हिंदू विरोधी घटनाओं में तेजी आ गई। 


इसके बाद 2001 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) सत्ता में आई और खालिदा जिया प्रधानमंत्री बनीं। उनकी सरकार में बड़े पैमाने पर दंगे भड़के। 2009 में एक सरकारी न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में सामने आया था कि दंगों के दौरान 18 हजार से ज्यादा हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ था।

 

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हिंदू महिलाओं पर अत्याचार के आंकड़े

हिंदू महिलाओं पर अत्याचार के कोई सटीक या आधिकारिक आंकड़े नहीं हैं। हालांकि, हिंदुओं के अधिकारों पर काम करने वाला संगठन 'बांग्लादेश जातीय हिंदू महाजोत' हर साल एक रिपोर्ट जारी करता है, जिसमें हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के आंकड़े दिए जाते हैं। इस संगठन की आखिरी रिपोर्ट 2022 की है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 2022 में देशभर में हिंदुओं के 519 घरों को तहस-नहस कर दिया गया था, जबकि 891 परिवारों पर हमले हुए थे।


'बांग्लादेश जातीय हिंदू महाजोत' ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि इस्लामिक कट्टरपंथियों ने 2022 में 154 हिंदुओं की हत्या कर दी थी, जबकि 424 की हत्या करने की कोशिश की गई थी। इसी दौरान 849 हिंदू ऐसे थे जिन्हें जान से मारने की धमकी दी गई थी। 


यह रिपोर्ट बताती है कि 2022 में 39 हिंदू महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था। वहीं, 27 हिंदू महिलाओं के साथ गैंगरेप हुआ था। इतना ही नहीं, 17 हिंदू महिलाओं का रेप के बाद मर्डर कर दिया गया था। जबकि, 55 महिलाओं का या तो यौन उत्पीड़न हुआ था या फिर रेप की कोशिश की गई थी। इसके अलावा, 1 जनवरी से 31 दिसंबर के बीच 152 हिंदू महिलाओं को जबरदस्ती इस्लाम कबूल करवाया गया था।

 

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हिंदुओं पर बांग्लादेश में कितने अत्याचार?

इस रिपोर्ट में बताया गया था कि 2022 में बांग्लादेश में 128 मंदिरों पर हमला किया गया था और 418 मूर्तियों को तोड़ा गया था। 72 मूर्तियों को तो मंदिरों से चुरा भी लिया गया था। 319 मंदिरों में लूटपाट की गई थी. 


हालिया सालों में बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार के मामले तेजी से बढ़े हैं। 2022 में 40 हिंदुओं का जबरदस्ती धर्मांतरण किया गया था और 127 हिंदू लापता हुए थे। और तो और 333 हिंदुओं को तो जबरदस्ती बीफ खिलाने की कोशिश भी की गई थी। हिंदुओं से जुड़े 179 संस्थानों पर बीफ फेंका गया था। 


बांग्लादेश में हिंदुओं की जमीनें भी हड़प ली जाती हैं। हर साल हजारों एकड़ जमीन हड़पीं जातीं हैं। 2022 में हिंदुओं की 8,990 एकड़ जमीन पर इस्लामिक कट्टरपंथियों ने कब्जा कर लिया था। 

 

 

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घट रही है हिंदुओं की आबादी!

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं की आबादी भी तेजी से घटी है। 1951 में जब पाकिस्तान में जनगणना हुई, तब वहां मुस्लिम आबादी 85.8% और गैर-मुस्लिमों की आबादी 14.2% थी। उस समय पश्चिमी पाकिस्तान में गैर-मुस्लिम आबादी महज 3.44% थी।


जबकि पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में 23.2% आबादी गैर-मुस्लिमों की थी। बांग्लादेश में आखिरी बार 2011 में जनगणना हुई थी। उसमें सामने आया था कि बांग्लादेश में गैर-मुस्लिमों की आबादी घटकर 9.4% हो गई है।


'बांग्लादेश जातीय हिंदू महाजोत' की रिपोर्ट के मुताबिक, 1971 में बांग्लादेश में 13.5% हिंदू आबादी थी। 50 साल में यह घटकर 7.95% पर आ गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 2011 की तुलना में 2022 में हिंदुओं की आबादी 1.55% की कमी आई है।

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