logo

ट्रेंडिंग:

बांग्लादेश में फिर हो गया तख्तापलट? इस्तीफा क्यों देने वाले हैं युनूस

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस इस्तीफा देने का सोच रहे हैं। बताया जा रहा है कि आर्मी से नाराजगी और राजनीतिक पार्टियों से असहमति के कारण यूनुस इस्तीफा देने जा रहे हैं।

muhhamad yunus

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)

बांग्लादेश में एक बड़ी सियासी हलचल पैदा हो गई है। अंतरिम सरकार के चीफ मोहम्मद यूनुस इस्तीफा देने के बारे में सोच रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि राजनीतिक पार्टियों के बीच आम सहमति नहीं बन पाने के कारण उनके लिए काम करना मुश्किल हो रहा है। बीबीसी बांग्ला ने छात्रों की नेशनल सिटीजन पार्टी (NCP) के नेता नाहिद इस्लाम के हवाले से यह खबर दी है। 


नाहिद इस्लाम ने बीबीसी बांग्ला से कहा, 'हम आज सुबह ही उनके इस्तीफे की खबर सुन रहे हैं। इसलिए मैं उनसे चर्चा करने के लिए मिलने गया था। उन्होंने कहा कि वह इस बारे में सोच रहे हैं। उन्हें लगता है कि ऐसे हालात में वह काम नहीं कर सकते।' इस्लाम ने कहा, 'यूनुस का कहना है कि जब तक राजनीतिक दल एक आम सहमति पर नहीं पहुंच जाते, तब तक मैं काम नहीं कर पाऊंगा।'


इस्लाम ने बताया कि उन्होंने मोहम्मद यूनुस से कहा है कि देश की सुरक्षा और भविष्य के लिए मजबूत बने रहें और लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरें।

'उनके रहने का कोई मतलब नहीं'

नाहिद इस्लाम ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि हर राजनीतिक दल एकजुट होकर उनके साथ सहयोग करेगा।' हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर यूनुस अपना काम नहीं कर सकते तो उनके रहने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने कहा, 'अगर राजनीतिक दल चाहते हैं कि वह अभी इस्तीफा दे दें तो वह ऐसे पद पर क्यों रहेंगे, जहां उन्हें बाकियों का साथ और भरोसा नहीं मिल रहा है?'


मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की चर्चा ऐसे वक्त हो रही है, जब कुछ दिन से अंतरिम सरकार और सेना के बीच कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बताया जा रहा है कि सेना भी अब युनूस सरकार से नाराज हो गई है। आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमां ने यूनुस सरकार को 'अवैध' बताया है। इस कारण यूनुस इस्तीफा देने का सोच रहे हैं।

 

यह भी पढ़ें-- अफगानिस्तान का CPEC से जुड़ना क्यों है भारत के लिए टेंशन की बात? समझिए

इस्तीफा क्यों देना चाहते हैं यूनुस?

  • राजनीतिक दलों का साथ नहींः बांग्लादेश में कई राजनीतिक पार्टियां यूनुस सरकार पर जल्द से जल्द चुनाव कराने का दबाव बना रहीं हैं। बांग्लादेश की अहम पार्टी बांग्लादेश नेशनल पार्टी (BNP) सत्ता में वापसी के लिए बेताब है। BNP ने युनूस की अंतरिम सरकार को अवैध बताया है और जल्द चुनाव चाहती है। शेख हसीना की सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ने वाले छात्रों ने भी अपनी पार्टी NCP बना ली है। 
  • सेना भी बना रही दबावः मोहम्मद यूनुस को सत्ता में लाने वाली आर्मी भी अब उनसे नाराज चल रही है। बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमां यूनुस सरकार पर दिसंबर 2025 तक चुनाव कराने का दबाव डाल रहे हैं। आर्मी चीफ 'रखाइन कॉरिडोर' पर भी नाराज हैं। एक दिन पहले ही उन्होंने इस कॉरिडोर को 'खूनी कॉरिडोर' बताया है। उन्होंने यूनुस सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, 'बांग्लादेश की सेना कभी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होगी, जिससे संप्रभुता को खतरा हो। न किसी को ऐसा करने की इजाजत देगी।'
  • कानून व्यवस्था भी हुई फेलः बांग्लादेश में अभी भी जबरदस्त अस्थिरता बनी हुई है। लोग सड़कों पर हैं और आए दिन हिंसा भड़क रही है। उग्रवादी अल्पसंख्यकों को निशाना बना रहे हैं। इसने यूनुस सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि बांग्लादेश के कई पुलिसकर्मियों ने अपनी ड्यूटी पर लौटने से इनकार कर दिया है, जिस कारण इस हिंसा को रोकने और कानून व्यवस्था बनाए रखना मुश्किल हो रहा है। 

यह भी पढ़ें-- अमेरिका की धमकी और इंदिरा गांधी की जिद, 1971 की जंग की कहानी

रखाइन कॉरिडोर ने बढ़ा दी मुश्किलें?

रखाइन कॉरिडोर एक मानवीय कॉरिडोर है, जिसका मकसद बांग्लादेश के चट्टोग्राम से म्यांमार के रखाइन प्रांत तक एक कॉरिडोर बनाना है, ताकि लोगों तक खाना और दवाओं जैसी जरूरतें पहुंचाई जा सके। रखाइन प्रांत में म्यांमार की सेना और अराकान आर्मी के बीच चल रहे संघर्ष के कारण 20 लाख से ज्यादा लोग भुखमरी का सामना कर रहे हैं। बांग्लादेश में 13 लाख रोहिंग्या शरणार्थी हैं। इन्हें भी इस कॉरिडोर के जरिए वापस भेजना है।


यह प्रोजेक्ट संयुक्त राष्ट्र (UN) की पहल पर शुरू किया गया है। यूनुस सरकार ने इसके लिए समर्थन दिया है। बांग्लादेश के विदेश सलाहकार तौहीद हुसैन ने अप्रैल 2025 में घोषणा की थी कि सरकार इस कॉरिडोर के लिए सहमत है। 

 


हालांकि, यह कॉरिडोर अब युनूस की अंतरिम सरकार के लिए मुसीबत बन गया है। बांग्लादेश के आर्मी चीफ वकार-उज-जमां साफ कर चुके हैं कि न तो सेना किसी ऐसी गतिविधि में शामिल होगी और न ही किसी को होने देगी, जिससे बांग्लादेश की संप्रभुता को खतरा हो। उनका कहना है, 'किसी भी काम में राष्ट्रीय हित सबसे ऊपर होना चाहिए।' वकार-उज-जमां ने युनूस सरकार को सेना के मामलों में दखलंदाजी न करने की नसीहत भी दी थी।

 

यह भी पढ़ें-- भारत के एक फैसले से बांग्लादेश को कैसे लगेगी 6570 करोड़ की चपत?


BNP भी इसका तगड़ा विरोध कर रही है। पूर्व पीएम खालिदा जिया के बेटे और BNP के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान ने कहा था, 'कॉरिडोर की अनुमति देने का फैसला अलोकतांत्रिक था और इसे जनता और राजनीतिक दलों को अंधेरे में रखकर लिया गया था।' उन्होंने तर्क दिया था कि यूनुस की अंतरिम सरकार लोकतांत्रिक रूप से नहीं चुनी गई थी, इसलिए उसके पास ऐसे फैसले लेने का अधिकार नहीं था।


इस फैसले का कड़ा विरोध होने के बाद युनूस सरकार ने यूटर्न ले लिया है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलीलुर रहमान ने 21 मई 2025 को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार ने इस कॉरिडोर पर कोई औपचारिक चर्चा नहीं की और भविष्य में भी नहीं करेगी। उन्होंने साफ किया कि बांग्लादेश केवल UN के साथ सीमित सहायता भेजने की संभावना पर विचार कर रहा है, वह भी बिना कॉरिडोर बनाए।

 

यह भी पढ़ें-- क्या मीर जाफर ने अकेले गद्दारी की थी? 'एक रात की जंग' की पूरी कहानी

अब आगे क्या होगा?

पिछले साल 5 अगस्त को शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद आर्मी ने एक अंतरिम सरकार का गठन किया था और इसका मुख्य सलाहकार मोहम्मद युनूस को बनाया था। हालांकि, अब युनूस और आर्मी के बीच रिश्ते बिगड़ने लगे हैं। 


मोहम्मद युनूस जब अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार बने थे तो उन्होंने कहा था कि सारे सुधार होने के बाद ही चुनाव कराए जाएंगे। उनका कहना था कि 2026 में ही चुनाव हो सकते हैं। हालांकि, अब आर्मी और राजनीतिक पार्टियां जल्द से जल्द चुनाव चाहती हैं। यूनुस से आर्मी की नाराजगी की एक वजह बांग्लादेश राइफल्स (BDR) के 300 से ज्यादा विद्रोहियों को रिहा करने का फैसला भी है। इन विद्रोहियों ने 2009 में 57 सैन्य अधिकारियों की हत्या कर दी थी और इन्हें रिहा किया जाने से आर्मी नाराज हो गई है।


यही कारण है कि आर्मी चीफ वकार-उज-जमां अब समय से पहले चुनाव कराने का दबाव डाल रहे हैं। आर्मी साफ कर चुकी है कि वह सत्ता में नहीं आना चाहती लेकिन लोकतंत्र की बहाली जरूरी है। वहीं, युनूस पर आरोप लग रहे हैं कि वह बिना चुनाव का सामना किए 2026 तक सत्ता में बना रहने का बहाना ढूंढ रहे हैं। ऐसी भी आशंका जताई जा रही है कि यूनुस की अंतरिम सरकार ही सड़कों पर आंदोलन करवा रही है, ताकि सत्ता में बने रहे। हालांकि, हाल ही में सैनिकों को संबोधित करते हुए आर्मी चीफ ने साफ कर दिया था कि सेना एकजुट है और अराजकता और अव्यवस्था को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


आर्मी की नाराजगी और राजनीतिक पार्टियों से असहमति ने यूनुस पर इस्तीफे का दबाव बढ़ा दिया है। इसलिए यूनुस अब इस्तीफा देने का सोच रहे हैं। अगर युनूस इस्तीफा देते हैं तो बांग्लादेश में इमरजेंसी लागू हो जाएगी और इसके बाद चुनाव करा लिए जाएंगे।

शेयर करें

संबंधित खबरें

Reporter

और पढ़ें

हमारे बारे में

श्रेणियाँ

Copyright ©️ TIF MULTIMEDIA PRIVATE LIMITED | All Rights Reserved | Developed By TIF Technologies

CONTACT US | PRIVACY POLICY | TERMS OF USE | Sitemap