बांग्लादेश की राजधानी ढाका में कचरा व्यापारी लाल चंद उर्फ सोहाग की बेरहमी से की गई हत्या के मामले में अब तक कम से कम सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस घटना के बाद देश भर में एक बड़ा सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया है। यह जानकारी रविवार को गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जाहांगीर आलम चौधरी ने दी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने बताया कि देश में चुनाव के पहले शांति बनाए रखने के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। 9 जुलाुई को मितफोर्ड अस्पताल के पास रजनी घोष लेन में हुए इस नृशंस कांड ने पूरे बांग्लादेश को हिला कर रख दिया है। हत्या के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद लोगों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है।
शुरुआती जांच के अनुसार, व्यापारिक विवाद को लेकर scrap (कबाड़) व्यापारी लाल चंद को कुछ लोगों ने कंक्रीट के स्लैब से पीट-पीट कर मार डाला। वायरल वीडियो में यह भी देखा गया कि हमलावरों ने उनकी मौत हो जाने के बाद उनकी लाश पर चढ़कर डांस किया। पुलिस के अनुसार, 5 लोगों को पहले ही गिरफ्तार किया गया था, और शनिवार रात दो और आरोपियों को पकड़ा गया, जिसके बाद गिरफ्तार होने वालों की कुल संख्या 7 हो गई। मुख्य आरोपी टिटोन गाज़ी फिलहाल 5 दिन की पुलिस रिमांड पर है। घटनास्थल की जांच डिटेक्टिव ब्रांच (DB) कर रही है।
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क्या बोली सरकार
गृह मामलों के सलाहकार चौधरी ने साफ शब्दों में कहा कि अपराधी कोई भी हो, किसी को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे उसका राजनीतिक जुड़ाव किसी भी दल से हो। उन्होंने कहा, 'सरकार मानती है कि अपराधी, अपराधी होता है। उसे किसी तरह का राजनीतिक संरक्षण नहीं मिलेगा।'
उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले को स्पीडी ट्रायल ट्रिब्यूनल (तेज न्याय प्रक्रिया अदालत) में भेजने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है, ताकि पीड़ित को जल्द न्याय मिल सके।
भीड़ द्वारा हत्या के बढ़ते मामले
बांग्लादेश में पिछले कुछ महीनों से भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा और सार्वजनिक हत्याओं की घटनाओं में चिंताजनक बढ़ोतरी देखी गई है। इसी महीने की शुरुआत में कुमिल्ला के मुरादनगर इलाके में एक महिला और उसके बेटे-बेटी को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। उन पर नशा तस्करी का आरोप था, हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हुई थी।
छात्रों का गुस्सा, सड़कों पर प्रदर्शन
शनिवार को सैकड़ों छात्रों ने ढाका की सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि अंतरिम सरकार भीड़ हिंसा पर लगाम लगाने में विफल रही है। प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना था कि जनता में डर और असुरक्षा का माहौल है, और प्रशासन मूक दर्शक बना हुआ है।
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अगस्त 2024 के बाद से बिगड़ा माहौल
गौरतलब है कि अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री शेख हसीना की 16 साल पुरानी अवामी लीग सरकार को एक हिंसक आंदोलन के बाद सत्ता छोड़नी पड़ी थी। यह आंदोलन Students Against Discrimination (SAD) नामक छात्र संगठन ने शुरू किया था। उसके बाद से कानून व्यवस्था की स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। और कबाड़ व्यापारी की हत्या ने बांग्लादेश में कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।