यूरोपियन देश बेल्जियम से एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि अमेरिका से खरीदे गए लगभग 10 मिलियन डॉलर (लगभग 83 करोड़ रुपये) के गर्भनिरोधक अब नष्ट कर दिए जाएंगे। ये गर्भनिरोधक कई महीनों से बेल्जियम के Geel नाम के शहर के एक गोदाम में पड़े हुए थे।
इसकी शुरुआत जनवरी 2025 में तब हुई जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई विदेशी सहायता कार्यक्रमों को अचानक बंद कर दिया था। इसके साथ ही USAID (यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट) को भी बंद कर दिया गया। यह संस्था दुनियाभर के गरीब देशों में स्वास्थ्य, शिक्षा और महिलाओं के कल्याण व उनके अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए सहायता भेजती थी। जब यह एजेंसी बंद हुई, तो उसके पास बड़ी मात्रा में गर्भनिरोधक उपकरण जैसे कि IUDs, गर्भनिरोधक गोलियां और इंप्लांट बिना किसी के इस्तेमाल के रह गए।
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अमेरिका ने ठुकरा दी मदद की पेशकश
यूएन की एक प्रमुख संस्था UNFPA (United Nations Population Fund) समेत कई अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने अमेरिका से अनुरोध किया कि वह इन दवाओं को उन्हें दे दें, ताकि वे इनका सही इस्तेमाल गरीब देशों की महिलाओं की मदद के लिए कर सकें। यहां तक कि कुछ संगठनों ने यह प्रस्ताव भी दिया कि वह अपनी जेब से इन दवाओं को दोबारा पैक करके खुद ही भेज देंगे, पर अमेरिका ने कहा कि वह इन दवाओं को सिर्फ पूरी कीमत पर ही बेचेगा, यानी मुफ्त में नहीं देगा।
MSI Reproductive Choices संस्था की निदेशक सारा शॉ ने बताया कि उन्हें ऐसा लगा कि यह निर्णय पैसे बचाने के लिए नहीं, बल्कि यह एक वैचारिक सोच प्रजनन अधिकारों के खिलाफ का हिस्सा है। उनके अनुसार इस फैसले से अफ्रीका के कई हिस्सों में असुरक्षित गर्भपात की घटनाएं बढ़ सकती हैं, क्योंकि वहीं USAID के गर्भनिरोधक सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते थे।
इन दवाओं की एक्सपायरी डेट क्या थी?
एक समाचार एजेंसी के अनुसार जिन गर्भनिरोधक सामग्रियों को नष्ट किया जा रहा है, उनकी एक्सपायरी अप्रैल 2027 से सितंबर 2031 के बीच थी। इसका मतलब यह है कि इनका अभी पूरे छह साल से भी ज्यादा समय तक इस्तेमाल किया जा सकता था।
अब इन सारी गर्भनिरोधक सामग्रियों को फ्रांस के एक मेडिकल वेस्ट केंद्र में जलाकर नष्ट किया जाएगा, जिससे लगभग $160,000 (लगभग 1.3 करोड़ रुपये) का खर्च भी अमेरिकी टैक्सपेयर को देना पड़ेगा। यानी न सिर्फ मदद नहीं पहुंची, बल्कि इसे नष्ट करने में भी पैसा बर्बाद हो रहा है।
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बेल्जियम सरकार की कोशिशें भी विफल
जहां ये सारी दवाएं रखी गई थीं, उस बेल्जियम सरकार ने भी अमेरिका से संपर्क किया और समाधान निकालने की कोशिश की, पर वह किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पाए। बेल्जियम के विदेश मंत्रालय ने कहा कि उन्होंने पूरी कोशिश की ऐसा न हो लेकिन कोई रास्ता नहीं निकला।
अमेरिका की चिंता क्या है?
एक सूत्र ने बताया कि अमेरिका को यह चिंता थी कि यह गर्भनिरोधक दवाएं कहीं ऐसी संस्थाओं तक न पहुंच जाएं जो गर्भपात (अबॉर्शन) को बढ़ावा देती हैं। ट्रंप प्रशासन के समय जो नई नीतियां बनी थीं, उनमें ऐसे संगठनों को अमेरिकी सहायता देना मना था। इसी वजह से अमेरिका इन दवाओं को किसी को भी नहीं देना चाहता था। इसके साथ इन दवाओं पर USAID का लोगो छपा हुआ है, ऐसे में अमेरिका और भी ज्यादा सावधान है।