तेल पर दबदबा, दुनिया की आधी आबादी; कितना ताकतवर है BRICS
दुनिया
• NEW DELHI 04 Jul 2025, (अपडेटेड 05 Jul 2025, 8:35 AM IST)
BRICS में पहले 5 सदस्य देश थे लेकिन अब इनकी संख्या बढ़कर 11 हो गई है। पिछले कुछ सालों में BRICS ताकतवर संगठन बनकर उभरा है। ऐसे में जानते हैं कि BRICS कितना ताकतवर संगठन है?

BRICS नेता एक मंच पर। (Photo Credit: BRICS)
ब्राजील में 6 और 7 जुलाई को BRICS समिट होने वाली है। यह समिट ब्राजील के रियो में होगी। यह BRICS की 17वीं समिट है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसमें शामिल होंगे। 5 देशों के दौरे पर गए प्रधानमंत्री मोदी 6 जुलाई को ब्राजील पहुंचेंगे।
कुछ सालों में BRICS ताकतवर संगठन के रूप में उभरा है। इसे BRICS इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसमें ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन और साउथ अफ्रीका हैं। BRICS का हर अक्षर हर देश का प्रतिनिधित्व करता है। हालांकि, अब BRICS में 11 देश हो गए हैं।
क्या है यह BRICS?
2006 में ब्राजील, रूस, भारत और चीन ने मिलकर एक ग्रुप बनाया, जिसे 'BRIC' नाम दिया गया। 2010 में इसमें साउथ अफ्रीका भी इसमें शामिल हो गया, जिसके बाद इसका नाम 'BRICS' हो गया। माना जाता है कि यह ग्रुप इसलिए बना था, ताकि अमेरिका और यूरोपीय देशों को चुनौती दी जा सके।
अगस्त 2023 में 15वीं समिट के दौरान BRICS में 5 नए सदस्य- मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात की एंट्री हुई। जनवरी 2025 में इंडोनेशिया भी इसका सदस्य बन गया। BRICS में नए देशों के आने के बावजूद अभी तक इसका नाम नहीं बदला गया है। हालांकि, माना जा रहा है कि इसे BRICS+ नाम दिया जा सकता है।
अर्जेंटिना को भी इसमें शामिल होने का न्योता दिया गया था लेकिन दिसंबर 2023 में राष्ट्रपति जेवियर माइली ने पद संभालते ही इससे हाथ खींच लिए थे।
BRICS कोई अंतर्राष्ट्रीय संगठन नहीं है। इसकी बजाय यह एक प्लेटफॉर्म है, जो ग्लोबल साउथ देशों को मंच देता है। हर साल इसकी समिट होती है। हर सदस्य को बारी-बारी से इसकी अध्यक्षता मिलती है। पिछले साल इसका अध्यक्ष रूस था। इस साल ब्राजील है और अगले साल भारत होगा।
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कितना ताकतवर है BRICS?
- अर्थव्यवस्था के लिहाज सेः BRICS की वेबसाइट के मुताबिक, 2003 में ग्लोबल GDP में इस ग्रुप के 5 देशों की हिस्सेदारी 20% से भी कम थी। 2023 तक यह हिस्सेदारी बढ़कर 37% हो गई। BRICS में नए देशों के जुड़ने से यह हिस्सेदारी और बढ़कर 40% तक हो गई।
- आबादी के लिहाज सेः दुनिया की 49.5% आबादी BRICS के सदस्य देशों में ही रहती है। अकेले भारत और चीन की आबादी करीब 3 अरब है। अमेरिका, एशिया, यूरोप और अफ्रीका महाद्वीप के देश इसके सदस्य हैं। दुनिया के 38.3% इलाकों पर इन्हीं देशों का कब्जा है।
- कारोबार के लिहाज सेः 2003 तक ग्लोबल ट्रेड में BRICS के 5 देशों का शेयर 18% था। 2023 तक यह बढ़कर 22% पर आ गया। नए देशों के जुड़ने से यह हिस्सेदारी बढ़कर 26% हो गई है। यानी, दुनिया में जितना कारोबार होता है, उसका 26% BRICS के 11 देशों के बीच होता है।
- नैचुरल रिसोर्स के लिहाज सेः दुनिया के 44% तेल का उत्पादन इन्हीं देशों में होता है। प्राकृतिक गैसों का 55% भंडार भी इन्हीं देशों में है। इतना ही नहीं, दुनिया में होने वाला प्राकृतिक गैसों का 38% उत्पादन भी इन्हीं देशों में होता है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, दुनिया की 33% खेती लायक जमीन इन्हीं देशों के पास है।
- खाद्य उत्पादन के लिहाज सेः BRICS के 11 देश खाद्य उत्पादन में भी आगे हैं। संयुक्त राष्ट्र की फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (FAO) के मुताबिक, इन 11 देशों में मक्का का 43%, चावल का 61%, सोयाबीन का 53%, गेहूं का 47%, संतरे का 47%, आलू का 50% और गाय के दूध का 34% उत्पादन होता है। इतना ही नहीं, 43% भेड़ का मांस और 61% बकरे के मांस का उत्पादन भी यहीं होता है।
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क्या अमेरिका को मिल पाएगी चुनौती?
BRICS का गठन ही अमेरिका और यूरोप को चुनौती देने के लिए हुआ था। बीते कुछ सालों में यह संगठन तेजी से उभरा है। दुनिया के तीन दर्जन देश इससे जुड़ना चाहते हैं। BRICS जिस तरह से ताकतवर हो रहा है, उससे दुनिया की 7 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के संगठन G-7 को भी चुनौती मिल रही है। G-7 में अमेरिका, यूके, जापान, इटली, जर्मनी, फ्रांस और कनाडा हैं।
2023 में जब रूस के पास BRICS की अध्यक्षता थी, तब इसके राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बताया था कि 1992 में ग्लोबल GDP में G-7 देशों की हिस्सेदारी 45.5% और BRICS की 16.7% थी। 2023 तक G-7 की हिस्सेदारी घटकर 29.3% और BRICS की बढ़कर 37.4% हो गई। उन्होंने बताया था कि BRICS देशों की GDP 60 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा है।
यह दिखाता है कि दुनिया में अब BRICS तेजी से उभर रहा है। BRICS के विस्तार का सबसे ज्यादा समर्थन रूस और चीन करते हैं। यह दोनों अमेरिका के कट्टर विरोधी माने जाते हैं। BRICS से अमेरिका का एक और कट्टर विरोधी ईरान भी जुड़ गया है। नए देशों के आने से BRICS में अमेरिका विरोधियों की संख्या बढ़ी है। इतना ही नहीं, दुनिया के 9 सबसे बड़े तेल उत्पादकों में से 6 अब BRICS के सदस्य हैं। इनमें सऊदी अरब, रूस, चीन, ब्राजील, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात है। इसका मतलब हुआ कि तेल मार्केट पर भी इनका दबदबा हो गया है।
इतना ही नहीं, BRICS देश आपसी कारोबार भी बढ़ा रहे हैं। BRICS की ताकत बढ़ने का मतलब सीधा-सीधा अमेरिका को चुनौती मिलना है। रूस और चीन तो डॉलर के दबदबे को ही खत्म करना चाहते हैं। BRICS देश अपनी करंसी लाने की भी बात करते रहे हैं। अगर भविष्य में डॉलर को चुनौती देने की बात आती है, तो BRICS अपनी नई करंसी लाकर या फिर अपनी-अपनी करंसी में ही कारोबार करना शुरू कर सकते हैं। BRICS देशों का मानना है कि अगर डॉलर पर निर्भरता कम करनी है तो अपनी करंसी में कारोबार करना होगा।
और तो और, वर्ल्ड बैंक और IMF जैसी अमेरिकी दबदबे वाली संस्थाओं का मुकाबला करने के लिए भी BRICS ने न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) शुरू किया है। यह बैंक BRICS देशों की मदद करता है। अब तक यह बैंक 39 अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज दे चुका है। इसके अलावा, BRICS देशों में 120 प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है।
छोटे और गरीब देशों के अलावा अमेरिका और पश्चिम विरोधी देश भी BRICS से जुड़ना चाहते हैं। BRICS के 11 सदस्य देशों के अलावा 9 देश इसके पार्टनर हैं। इनमें बेलारूस, बोलिविया, कजाकिस्तान, क्यूबा, मलेशिया, थाईलैंड, युगांडा, उज्बेकिस्तान और नाइजीरिया शामिल हैं। अगर BRICS से ज्यादा से ज्यादा देश जुड़ते हैं तो इससे अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए सिरदर्द बढ़ने की पूरी-पूरी संभावना है।
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