कनाडा में समय से पहले चुनाव करवाना लिबरल पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होता दिख रहा है। कनाडा के चुनाव में एक बार फिर लिबरल पार्टी जीत की ओर बढ़ रही है। इसके साथ ही मार्क कार्नी का प्रधानमंत्री बनना भी लगभग तय हो गया है। हालांकि, अभी वोटों की गिनती चल रही है और इसमें लिबरल और कंजर्वेटिव के बीच तगड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है।
कनाडा की CBC न्यूज के मुताबिक, मंगलवार सुबह 11 बजे तक की गिनती में लिबरल पार्टी 165 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं, पियरे पोलीवियरे की कंजर्वेटिव पार्टी 147 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं। जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी महज 7 सीटों पर सिमटती दिख रही है। खुद जगमीत सिंह भी चुनाव हार गए हैं।
कनाडाई संसद में 343 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 172 सीटों की जरूरत है। मार्क कार्नी की लिबरल 144 सीटें जीत चुकी है और 21 पर आगे चल रही है। ऐसे में लिबरल पार्टी को सरकार बनाने के लिए दूसरी पार्टियों के सहारे की जरूरत होगी। कनाडा में यह लगातार चौथा चुनाव है, जब लिबरल पार्टी सत्ता में वापसी करने जा रही है। लिबरल पार्टी 2015 से सत्ता में हैं।
चुनाव में जीत के बाद समर्थकों को संबोधित करते हुए मार्क कार्नी ने कहा, 'ट्रंप हमें तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वे हम पर अपना हक जता सकें।'
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लिबरल पार्टी की सत्ता में वापसी कैसे?
- जनवरी में अमेरिका की सत्ता संभालने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा पर 25% टैरिफ लगाया। साथ ही कनाडा को अमेरिका का 51वां स्टेट बनाने की बात भी कई बार कही। मार्क कार्नी ने इसे मुद्दा बनाया। कार्नी शुरुआत से ही ट्रंप के विरोध में रहे। कार्नी ने ऐलान किया कि अमेरिका और कनाडा का पुराना रिश्ता खत्म हो गया है। उन्होंने वादा किया कि अगर वे सत्ता में लौटते हैं तो नए आर्थिक और सुरक्षा समझौता करेंगे।
- मार्क कार्नी कनाडा के ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिनके पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं था। बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ कनाडा के गवर्नर रह चुके मार्क कार्नी ने कनाडा को कई बार आर्थिक संकट से निकाला था। मार्च के आखिरी में ट्रंप ने जब विदेशी कारों पर 25% का टैरिफ लगाया तो इससे कार्नी को और मौका मिल गया।
- चुनाव से पहले जस्टिन ट्रूडो ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसका फायदा भी लिबरल पार्टी को मिला। ट्रूडो के दौर में लिबरल पार्टी के खिलाफ लोगों में गुस्सा था। उस वक्त कंजर्वेटिव नेता पियरे पोलीविये की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही थी। हालांकि, ट्रूडो के हटने के बाद जब मार्क कार्नी आए तो इसने जनता को अपने पक्ष में किया।
- लिबरल पार्टी की लगातार चौथी जीत की एक बड़ी वजह छोटी पार्टियों का खराब प्रदर्शन है। पिछले चुनाव में जगमीत सिंह की NDP को 21% वोट मिले थे लेकिन इस बार उसे 5% वोट ही मिल सके हैं। 2021 के चुनाव में जगमीत सिंह की पार्टी ने 25 सीटें जीती थीं।
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जगमीत सिंह खुद हार गए
कनाडा की सियासत में जगमीत सिंह बड़ा वामपंथी चेहरा थे। मगर इस बार जगमीत सिंह खुद हार गए हैं। जगमीत सिंह 8 साल से ब्रिटिश कोलंबिया की बर्नबी सेंट्रल सीट से सांसद थे। इस बार उनकी पार्टी को 7 सीटें मिलती नजर आ रही है। इसके साथ ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी खत्म हो गया है।
हार के बाद जगमीत सिंह ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए पार्टी के नेता पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा, जैसे ही पार्टी को नया नेता मिल जाएगा, वह पद छोड़ देंगे। उन्होंने कहा, 'हम तभी हारेंगे, जब हम लड़ना बंद कर देंगे।'
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कंजर्वेटिव को क्या मिला?
मार्च से पहले कनाडा के चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी की जीत का अनुमान लगाया जा रहा था। पार्टी के नेता पियरे पोलीवियरे ने मार्क कार्नी को टक्कर भी जोरदार थी। हालांकि, पार्टी इस बार फिर सत्ता में आने से चूक गई।
इस चुनाव में कंजर्वेटिव भले ही न जीत पाई हो लेकिन उसका वोट शेयर बढ़ गया है। 2011 के चुनाव में जब कंजर्वेटिव सत्ता में आई थी, तो पार्टी को 39.6% वोट मिले थे। इस बार कंजर्वेटिव को 41% से ज्यादा वोट मिलते दिख रहे हैं। इस बार कंजर्वेटिव 147 सीटें जीतती दिख रही है। मार्च में जब संसद भंग हुई थी, तब कंजर्वेटिव के पास 120 सांसद थे। कुल मिलाकर कंजर्वेटिव का न सिर्फ वोट शेयर बढ़ा है, बल्कि सीटें भी बढ़ गई हैं।