कनाडा में रह रहे भारतीयों के लिए बुरी खबर है। देश में इमिग्रेशन सिस्टम पर ज्यादा बढ़ाव बढ़ने के कारण यहां 3300 नौकरियों में कटौती की जाएगी। स्टडी और वर्क परमिट जैसे डॉक्यूमेंट जारी करने वाले संस्थान 'इमिग्रेशन, रिफ्यूजी एंड सिटिजनशिप कनाडा (IRCC) ने 2028 तक 3 हजार से अधिक नौकरियों में कटौती करने का ऐलान किया है।
बता दें कि इसका सीधा असर परमिट प्रोसेसिंग पर पड़ेगा। दरअसल IRCC ने सरकारी खर्च में कटौती करने के लिए नौकरियों से लोगों को हटाने का फैसला किया है। हालांकि, इस फैसले से कई भारतीय कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटका हुआ है क्योंकि कनाडा में काम करने या बसने की योजना बनाने वाले भारतीयों पर इसका सबसे अधिक असर पड़ेगा।
IRCC के फैसले की हो रही आलोचना
आईआरसीसी के इस कदम की पब्लिक सर्विस अलायंस ऑफ कनाडा (पीएसएसी) और कनाडा एम्प्लॉयमेंट एंड इमिग्रेशन यूनियन (सीईआईयू) ने आलोचना की है।आईआरसीसी के कर्मचारी चिंता में हैं क्योंकि उन्हें फरवरी के मध्य तक पता चल जाएगा कि वे छंटनी किए जाने वाले कर्मचारियों की सूची में हैं या नहीं। बता दें कि 19 जनवरी को ईमेल के माध्यम से इन कटौतियों या 'बजट स्थिति' के बारे में सूचना जारी की थी।
कनाडा में भारतीय बड़ी संख्या में हैं। कनाडा ने पिछले नवंबर में अपना फास्ट-ट्रैक वीजा कार्यक्रम समाप्त कर दिया था। हालांकि, अब तक यह सुनिश्चित नहीं है कि इन कटौतियों से कौन प्रभावित होगा लेकिन इसमें सभी सेक्टर और ब्रांच के लोग शामिल होंगे। इसके अलावा प्रभावित लोगों को 30 दिन का नोटिस दिया जाएगा।
कनाडा में नौकरियों में कटौती से भारतीयों पर क्यों असर पड़ेगा?
ये कटौती पहले से ही तनावपूर्ण प्रणाली पर दबाव बढ़ाएगी, जिससे सभी प्रकार के आव्रजन आवेदनों का वेटिंग टाइम बढ़ जाएगा। एक कारण यह भी है कि कनाडा में पढ़ाई या काम करने वाले भारतीयों पर इसका असर पड़ेगा। नेशनल फाउंडेशन फॉर अमेरिकन पॉलिसी (NFAP) के एक स्टडी के अनुसार, '2013 और 2023 के बीच, कनाडा में अप्रवासी भारतीयों की संख्या 326% बढ़कर 32,828 से 139,715 हो गई थी।' पिछले दो दशकों में कनाडाई विश्वविद्यालयों में भारतीयों का नामांकन 5,800% से अधिक बढ़ा है।
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भारतीय प्रवासियों की बड़ी संख्या
कनाडा में बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासी रहते हैं, जो अलग-अलग सेक्टर जैसे आईटी, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा में काम करते हैं। अगर कंपनियां इन सेक्टर में नौकरियों में कटौती करती हैं, तो भारतीय प्रवासी सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा अगर टेक कंपनियां छंटनी करती हैं, तो भारतीय पेशेवरों की नौकरियां सबसे अधिक प्रभावित होंगी। हाल के वर्षों में, तकनीकी क्षेत्र में मंदी की वजह से वैश्विक स्तर पर छंटनी हो रही है, जिसका सीधा असर कनाडा में भारतीयों पर भी पड़ता है।
इसके अलावा हर साल हजारों भारतीय छात्र कनाडा जाते हैं। वो अपनी पढ़ाई के दौरान पार्ट-टाइम काम करते हैं और बाद में वर्क परमिट के जरिए फुल टाइम नौकरी तलाशते हैं। अगर नौकरी के अवसर कम होते हैं, तो भारतीय छात्रों और वर्क परमिट धारकों को रोजगार मिलने में कठिनाई हो सकती है। पीआर (Permanent Residency) पाने वाले लोगों को भी अपनी आर्थिक स्थिति बनाए रखने में दिक्कत हो सकती है।