फ्रांस और ब्रिटेन के बाद अब कनाडा ने भी फिलिस्तीन को देश का दर्जा देने की घोषणा की है। कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा है कि कनाडा सितंबर में फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने की योजना बना रहा है। इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा को धमकी दे डाली है। डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि कनाडा के ऐसा करने से अमेरिका और कनाडा की ट्रेड डील और मुश्किल हो जाएगी। इसी के साथ ट्रंप ने इजरायल को फैसले लेने की खुली छूट भी दे डाली है।
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी का कहना है कि कनाडा सितंबर 2025 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में फिलिस्तीन को देश के तौर पर मान्यता देगा। हालांकि, उन्होंने मान्यता के बदले एक शर्त भी रखी है। कार्नी ने कहा है, 'हम फिलिस्तीन को तभी देश का दर्जा तभी देंगे जब वहां का प्रशासन हमें गारंटी दे कि वे लोकतांत्रिक तरीकों से देश को चलाएंगे और हमास के बिना देश में नियमित रूप से चुनाव कराएंगे।'
कनाडा के इस ऐलान पर इजरायल ने आपत्ति जताई है। इजरायल ने कहा है, 'कनाडा का यह कदम हमास उग्रवादियों को शह देने वाला है।' वहीं, कनाडा ने कहा है कि फिलिस्तीन को देश का दर्जा देने की वजह वेस्ट बैंक में इजरायली बस्तियों के विस्तार, गाजा में बिगड़ती मानवीय स्थिति है।
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कनाडा के फैसले पर ट्रंप की धमकी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अच्छे सहयोगी हैं। फिलिस्तीन मुद्दे पर ट्रंप ने इजरायल को फैसले लेने की खुली छूट दी है। इस बीच कनाडा का फिलिस्तीन को मान्यता देना ट्रंप का रास नहीं आया और धमकी दे दी। ट्रंप ने कहा कि कनाडा का फिलिस्तीन को देश का दर्जा देना अमेरिका के साथ होने वाली उनकी ट्रेड डील को और मुश्किल बना देगा। इससे पहले अमेरिका इदरायल और हमास के बीच सीजफायर की कोशिशों से भी बाहर हो गया था।
हालांकि, फ्रांस, ब्रिटेन और कनाडा की तरफ से फिलिस्तीन के लिए की गई पहल इजरायल के लिए मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। इसकी वजह यह है कि ये तीनों देश गाजा में लड़ाई के लिए इजरायल को हथियार दे रहे थे और इजरायल के सहयोगियों में शामिल हैं। इनकी तरफ से फिलिस्तीन को देश का दर्जा देना दुनिया में इजरायल के खिलाफ मैसेज देने की कोशिशों के तौर पर देखा जाएगा। इससे इजरायल को गाजा में लड़ी जा रही जंग में कुछ रिआयत देनी पड़ सकती है। हाल ही में भारत ने भी इजरायल-फिलिस्तीन विवाद को सुलझाने के लिए टू स्टेट सॉल्युशन पर समर्थन को दोहराया था।
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145 देश दे चुके फिलिस्तीन को मान्यता
फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र देश के तौर पर मान्यता देने की मांग दशकों पुरानी है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर यह मुद्दा अकसर चर्चा में रहता है। फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) ने 15 नवंबर 1988 को अल्जीरिया में फिलिस्तीनी स्वतंत्रता का ऐलान किया था। तब से इसे कई देशों ने फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर मान्यता दी है। फिलहाल, संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से 145 से ज्यादा फिलिस्तीन को एक देश का दर्जा दे चुके हैं। इनमें भारत, रूस और चीन जैसे देश भी शामिल हैं।
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क्या है 2 स्टेट सॉल्यूशन?
दशकों से चले आ रहे इजराइल-फिलिस्तीन संघर्ष के बीच टू-स्टेट सॉल्यूशन की अक्सर बात होती है। इसके तहत फिलिस्तीन और इजरायल के विवाद का 2 अलग स्टेट यानी देश बनाकर समाधान करने पर जोर दिया जाता है।
इजरायल पहले से ही अलग देश है। हालांकि, फिलिस्तीन के साथ ऐसा नहीं है। अभी समस्या यह है कि इजरायल और फिलिस्तीन के बीच कोई सीमा रेखा ही तय नहीं है। फिलिस्तीन के एक हिस्से जिसे वेस्ट बैंक कहते हैं उस पर इजरायल का कब्जा है जबकि गाजा पर अब तक हमास ने कब्जा कर रखा था। ऐसे में 2 स्टेट सॉल्यूशन दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर समझौता कराने की कोशिश है।