ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान को धूल चटाने के बाद भारत अब हर जगह पाकिस्तान को कूटनीतिक मोर्चे पर घेरने की तैयारी कर चुका है। भारत के 7 डेलिगेशन दुनिया के अलग-अलग देशों में जाकर पाकिस्तान को आतंकवादियों को अपनी धरती पर पनाह देने के लिए बेनकाब कर रहे हैं। इस बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अनिल चौहान शुक्रवार से सिंगापुर में शुरू हो रहे 22वें 'शांगरी-ला डायलॉग' में भाग लेंगे। शांगरी-ला डायलॉग दुनियाभर के सबसे बड़े रक्षा मंचों में से एक माना जाता है।
दरअसल, शांगरी-ला डायलॉग एशिया-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में से एक है। इस डायलॉग की शुरुआत साल 2002 में हुई थी और इसका नाम सिंगापुर के प्रसिद्ध 'शांगरी-ला होटल' के नाम पर रखा गया है। शांगरी-ला होटल में ही हर साल यह यह सम्मेलन आयोजित किया जाता है।
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भविष्य का युद्ध और युद्धकला
इस महत्वपूर्ण वार्ता के दौरान जनरल अनिल चौहान शनिवार को 'भविष्य के युद्ध और युद्धकला' विषय पर अपने विचार रखेंगे। अनिल चौहान कार्यक्रम के तहत विशेष सत्रों में भी हिस्सा लेंगे और भविष्य की चुनौतियों के लिए रक्षा नवोन्मेष समाधान विषय पर अपने विचार रखेंगे।
ये देश होंगे शामिल
सीडीएस अनिल चौहान ऑस्ट्रेलिया, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, जापान, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, फिलीपीन, सिंगापुर, ब्रिटेन और अमेरिका के वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों और सैन्य प्रमुखों के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। इन बैठकों में सैन्य संबंधों को मजबूत करने, रक्षा सहयोग को बढ़ाने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने पर ध्यान केंद्रित किए जाने की संभावना है।
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दक्षिण एशियाई पर्यवेक्षकों के मुताबिक, शांगरी ला वार्ता एक बड़ा रक्षा आयोजन है जहां रक्षा विशेषज्ञ भारत और पाकिस्तान संबंधी परिदृश्य को समझने की कोशिश करेंगे। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम और अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ भी वार्ता को संबोधित करेंगे। इस कार्यक्रम में 40 मंत्री-स्तरीय प्रतिनिधियों सहित 47 देशों के रक्षा विशेषज्ञों के भाग लेने की उम्मीद है।
इस बीच सवाल बनता है कि शांगरी-ला डायलॉग से भारत को क्या मिलेगा? आइए जानते हैं कि शांगरी-ला डायलॉग में शामिल होने के बाद भारत को क्या फायदा होगा...
भारत के लिए ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी अहमियत
शांगरी-ला डायलॉग में दुनिया भर के रक्षा मंत्री, सैन्य प्रमुख, नीति निर्माता और रणनीतिक विशेषज्ञ शामिल होते हैं। इस बार 47 देशों के नेता इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा चुनौतियों पर बात करेंगे। इससे सभी देशों के बीच रक्षा सहयोग मजबूत होगा और भारत की रणनीतिक साझेदारी बढ़ेगी। ऐसे में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच पैदा हुए हलातों को देखते हुए यह सम्मेलन रक्षा सहयोग को मजबूत करने का एक अच्छा मौका है। इससे भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
पाकिस्तान की साजिशों का पर्दाफाश
पहलगाम में आतंकवादी हमला और ऑपरेशन सिंदूर के बाद हो रहा शांगरी-ला डायलॉग भारत के लिए एक सुनहरा मौका भी है। इस सम्मेलन के जरिए भारत पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर घेर सकता है। सीडीएस अनिल चौहान इसमें वैश्विक समुदाय के सामने पाकिस्तान के आतंकवाद को समर्थन देने की नीति को उजागर कर सकते हैं।