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सोशल मीडिया, AI और एंबेसी; चीन ने राफेल को बदनाम कैसे किया?

फ्रेंच अधिकारियों ने दावा किया है कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद चीन ने राफेल को बदनाम करने की कोशिश की थी। चीन ने इसके लिए सोशल मीडिया पर फर्जी दावे किए थे। दूतावास के अधिकारियों को भी इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

rafale china

राफेल। (Photo Credit: dassault-aviation.com)

चीन की 'हरकतों' को लेकर फ्रांस ने बड़ा दावा किया है। फ्रांस के अधिकारियों ने दावा किया है कि मई में भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद चीन ने राफेल फाइटर जेट को बदनाम करने की साजिश रची थी। इसके लिए चीन ने अपने दूतावासों का इस्तेमाल किया था। फ्रेंच अफसरों ने न्यूज एजेंसी AP को बताया है कि ऐसा करने के पीछे चीन का मकसद अपने लड़ाकू विमानों को बेचना था। चीन ने अपने दूतावासों में मौजूद डिफेंस अधिकारियों को काम पर लगाया था कि वे राफेल की परफॉर्मेंस पर सवाल उठाएं। रिपोर्ट में बताया गया है कि चीनी दूतावासों ने उन देशों को प्रभावित करने की कोशिश की थी, जो राफेल खरीद चुके हैं या इसे खरीदने का प्लान कर रहे हैं। हालांकि, चीन ने इन दावों को खारिज कर दिया है।


दरअसल, 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकी हमले के बाद 6 और 7 मई की रात को भारत को 'ऑपरेशन सिंदूर' लॉन्च किया था। इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान और PoK में बने आतंकी ठिकानों को उड़ा दिया था। भारतीय सेना की इस कार्रवाई में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए थे। इसके बाद पाकिस्तान की सेना ने भारत पर हमला करने की कोशिश की थी। पाकिस्तान ने यह भी दावा किया था कि उसने भारत के कई लड़ाकू विमानों को मार गिराया है, जिसमें राफेल भी शामिल है।


अब फ्रांस के खुफिया अधिकारियों ने AP को बताया है कि इस ऑपरेशन के बाद चीन ने अपने दूतावासों को राफेल को बदनाम करने और इसकी बिक्री को प्रभावित करने की कोशिश की थी।

 

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क्या किया था चीन ने?

फ्रांस के खुफिया अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी AP को बताया है कि चीन ने राफेल के खिलाफ 'मिसइन्फोर्मेशन कैंपेन' चलाया था। 


अधिकारियों ने दावा किया है कि चीन ने फर्जी सोशल मीडिया पोस्ट्स, फर्जी तस्वीरें और AI जनरेटेड कंटेंट के जरिए यह कैंपेन चलाया। यहां तक कि उसने वीडियो गेम से भी कुछ क्लिप काटकर चलाईं। एक हजार से ज्यादा सोशल मीडिया अकाउंट्स बनाए, जिनसे भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान राफेल को मार गिराने का दावा किया गया।

 

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दूतावासों का किया इस्तेमाल

फ्रेंच अधिकारियों ने यह भी बताया कि राफेल को बदनाम करने के लिए चीन ने अपने दूतावासों का भी इस्तेमाल किया। चीनी दूतावासों में मौजूद डिफेंस अधिकारियों ने कई देशों के सुरक्षा और रक्षा अधिकारियों के साथ मीटिंग की थी। इस मीटिंग में राफेल की परफॉर्मेंस पर सवाल उठाए गए और चीन में बने हथियार और लड़ाकू विमानों की तरफदारी की गई थी।


चीन ने उन देशों को टारगेट किया था, जिन्होंने राफेल का ऑर्डर दिया है और जो राफेल खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं। चीन ने सबसे ज्यादा फोकस इंडोनेशिया में किया, क्योंकि इसने हाल ही में 42 राफेल का ऑर्डर दिया है।


फ्रांस के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, 'राफेल को निशाना बनाकर कुछ लोगों ने फ्रांस और उसकी रक्षा तकनीक की विश्वसनीयता को कम करने की कोशिश की।' वहीं, जानकारों का मानना है कि चीन की कथित हरकतों का मकसद एशिया में फ्रांस की बढ़ती रक्षा साझेदारी को कमजोर करना था।

 

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चीन ने क्या कहा?

चीन ने इन दावों को खारिज किया है। चीन के रक्षा मंत्रालय ने इन आरोपों को निराधार और बदनामी भरा बताया है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि चीन डिफेंस एक्सपोर्ट को लेकर विवेकपूर्ण और जिम्मेदाराना रवैया रखता है और क्षेत्रीय और वैश्विक शांति बनाए रखता है।

भारत के पास हैं 36 राफेल

भारत ने फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन के साथ 2015 में समझौता किया था। समझौते के तहत, भारत ने फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन से 36 राफेल विमान खरीदे थे। अब तक डसॉल्ट एविएशन 533 राफेल डिलिवर कर चुका है। इनमें से 323 विमान मिस्र, भारत, कतर, संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया ने खरीदे हैं।

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