बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्यम कृष्ण दास को फिलहाल राहत मिलती हुई नहीं दिख रही है। बांग्लादेश में चट्टोग्राम कोर्ट ने चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को जमानत देने से इनकार कर दिया है। जमानत याचिका खारिज होने के बाद यह तय हो गया है कि फिलहाल उन्हें जेल में ही रहना होगा।
चिन्मय दास की तरफ से बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट के वकील अपूर्ब भट्टाचार्य और 10 अन्य कोर्ट में पेश हुए। उनके ऊपर राजद्रोह का मुकदमा चल रहा है। उन्हें 25 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। जज सैफुल इस्लाम ने 30 मिनट तक दलीलें सुनने के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी।
जाएंगे हाई कोर्ट
हालांकि, अब चिन्मय दास के वकीलों का इरादा हायर कोर्ट में जाने का है। सुनवाई के पहले मंगलवार को एसएसकेएम अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग में भर्ती होने वाले वकील रबीन्द्र घोष ने मीडिया को बताया कि उनका इरादा हायर कोर्ट में याचिका दायर करने का है।
खबर सुनने के बाद कोलकाता इस्कॉन के वीपी राधा रमण दास ने मीडिया से कहा कि 'यह काफी दुखद' समाचार है। हर किसी को लग रहा था कि नए साल में उन्हें आजादी मिल जाएगी लेकिन 42 दिनों के बाद भी सुनवाई के बाद उनकी जमानत को नामंजूर कर दिया गया।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर बढ़ रहे हमले
अगस्त में हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद हिंदुओं पर हिंसा बढ़ गई थी। यूनुस सरकार ने कभी भी इस बात को नहीं माना था। हालांकि, हाल ही में अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने माना था कि हसीना सरकार के जाने के बाद देशभर में सांप्रदायिक हिंसा की 88 घटनाएं हुई हैं, जिनमें 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह आंकड़े 5 अगस्त से 22 अक्तूबर के बीच के थे।
हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा था
बांग्लादेश में इसी साल जनवरी में शेख हसीना फिर से प्रधानमंत्री बनी थीं। हालांकि, हसीना सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे। आखिरकार 5 अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर बांग्लादेश छोड़ दिया था।
हसीना बांग्लादेश छोड़कर भारत आ गई थीं। अभी हसीना भारत में ही हैं। मोहम्मद यूनुस कई बार शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने की मांग कर चुके हैं।