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कंबोडिया vs थाईलैंड: किसके पास कितनी सैन्य ताकत, कौन किस पर भारी?

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच संघर्ष छिड़ चुका है। 2011 के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहद खराब हुए हैं। आइये जानते हैं थाईलैंड और कंबोडिया की सैन्य ताकत।

Military strength of Cambodia and Thailand.

कंबोडिया और थाईलैंड की सैन्य ताकत। (AI Generated Image)

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच संघर्ष छिड़ चुका है। दोनों ही देश एक-दूसरे पर रॉकेट, लड़ाकू विमान और भारी हथियारों से हमला करने में जुटे हैं। अब तक लगभग 11 लोगों की जान जा चुकी है। मई से दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ने शुरू हुए और मामला अब संघर्ष तक पहुंच गया है। दोनों देशों ने अपनी-अपनी सीमाओं को बंद कर दिया है। राजनयिक संबंध भी टूट चुके हैं। दोनों ही देश एक-दूसरे पर हमला करने का आरोप लगाते हैं। पूरे विवाद के केंद्र में एक शिव मंदिर है। इस पर कंबोडिया और थाईलैंड अपना-अपना दावा करते हैं। 


दोनों देशों के बीच बिगड़ते रिश्तों से नई जंग का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में आइये जानते हैं कि थाईलैंड औ कंबोडिया के पास कितनी सैन्य ताकत है। एक-दूसरे के खिलाफ कितने मजबूत हैं और वैश्विक स्तर पर कहां टिकते हैं?

थाईलैंड की सैन्य ताकत

कंबोडिया की तुलना में थाइलैंड के पास अधिक बड़ी सेना है। स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति अनुसंधान संस्थान (SIPRI) की रिपोर्ट के मुताबिक थाईलैंड की सेना में 3,60,000 से अधिक सक्रिय सैनिक हैं। 2024 में थाईलैंड का रक्षा बजट 5.7 अरब डॉलर था। यह कंबोडिया की तुलना में लगभग चार गुना ज्यादा है। थाईलैंड की सेना के पास 1200 से अधिक बख्तरबंद वाहन हैं। 2600 से अधिक तोपें और करीब 400 टैंक हैं। हालांकि ग्लोबल फायरपावर के आंकड़े सिपरी से अलग हैं। उन्हें आप नीचे ग्राफिक्स में देख सकते हैं।  

 

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ग्लोबल फायरपावर के मुताबिक मिलिट्री ताकत वाले 145 देशों की सूची में थाईलैंड का 25वां स्थान है। अगर आसियान देशों की बात करें तो इंडोनेशिया और वियतनाम के बाद थाईलैंड तीसरे स्थान पर आता है। थाईलैंड के पास रॉकेट प्रोजेक्टर की कुल 26 इकाइयां हैं। थाईलैंड की वायुसेना के पास कुल 493 विमान हैं। इनमें 72 लड़ाकू फाइटर प्लेन हैं। हेलीकॉप्टरों की संख्या 258 है। दोनों ही देशों के पास कोई पनडुब्बी नहीं है। थाईलैंड की नौसेना के पास सात फ्रिगेट हैं, जबकि कंबोडिया के पास कोई नहीं। 

कंबोडिया की शक्ति

थाईलैंड की तुलना में कंबोडिया की सेना बेहद कमजोर है। मगर मौजूदा समय में हथियारों के दम पर किसी सेना की ताकत को नहीं आंका जा सकता है। विशाल और हथियार संपन्न रूस के आगे यूक्रेन बेहद कम संसाधनों के साथ खड़ा है। सिपरी की रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में कंबोडिया का रक्षा बजट 1.3 अरब डॉलर था। सेना में सक्रिय जवानों की संख्या 1,24,300 है। थाईलैंड की तुलना में यह संख्या लगभग तीन गुना से अधिक कम है।

 

 

 

कंबोडिया की सेना के पास 480 तोपें और 200 से अधिक टैंक हैं। ग्लोबल फायर पावर 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक सैन्य ताकत के मामले में कंबोडिया दुनियाभर में 95वें स्थान पर आता है। आसियान देशों में आठवें स्थान पर है। थाईलैंड के पास लगभग 2 लाख रिजर्व सैनिक हैं। मगर कंबोडिया के पास कोई रिजर्व सैनिक नहीं है। कंबोडिया के पास 10 हजार तो थाईलैंड के पास 25 हजार रिजर्व अर्ध सैनिक बल हैं। कंबोडिया के पास कुल 25 विमान है। इनमें से कोई लड़ाकू श्रेणी का विमान नहीं है। 

कैसे शुरू हुआ विवाद?

थाईलैंड और कंबोडिया के बीच लगभग 818 किमी लंबी सीमा लगती है। कंबोडिया में फ्रांसीसी औपनिवेश के वक्त 1907 में सीमा निर्धारित की गई थी। इस पर ही पूरा विवाद है। सीमा विवाद पर पहले भी दोनों देशों के बीच संघर्ष हो चुका है। इसी साल फरवरी महीने में थाईलैंड के सुरीन प्रांत में स्थित 'प्रसात ता मोआन थोन' मंदिर में कंबोडिया के पर्यटक पहुंचे थे। यहां उन्होंने कंबोडिया का राष्ट्रगान गाया तो थाईलैंड की पुलिस ने उन्हें रोक दिया। मौजूदा विवाद की शुरूआत यही से हुई है। प्रसात ता मोआन थोन एक प्रसिद्ध शिव मंदिर है। 

2011 में भी हो चुकी हिंसक झड़प

थाईलैंड,कंबोडिया और लाओस सीमा के पास एमरल्ड ट्रायंगल है। यहां कई प्राचीन मंदिर हैं। इन पर कंबोडिया और थाईलैंड दोनों अपना-अपना दावा करते हैं। इसी क्षेत्र में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल प्रीह विहियर मंदिर भी है। साल 2011 में इसी मंदिर के पास कंबोडिया और थाईलैंड की सेना के बीच हुई झड़प में 15 से 20 लोगों की जान गई थी। हजारों लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े थे। 

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थाईलैंड और कंबोडिया के बीच कब-क्या हुआ?

  • 13 फरवरी: कंबोडिया के सैनिक 13 फरवरी को 25 पर्यटकों के साथ प्रसात ता मोआन थोन मंदिर पहुंचे। यहां कंबोडिया का राष्ट्रगान गया। जवाब में थाईलैंड के सैनिकों ने ऐसा करने से रोका। 
  • 17 फरवरी: थाईलैंड की सेना ने कंबोडिया पर गलत व्यवहार का आरोप लगाया। उसकी सेना को एक चेतावनी पत्र भेजा और 13 फरवरी को हुई घटना को न दोहराने का कहा। 
  • 28 मई: कंबोडिया और थाईलैंड की सेना के बीच झड़प हुई। एमराल्ड ट्रायंगल में एक कंबोडियाई सैनिक की जान गई। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हमला करने का आरोप लगाया।  
  • 12 जून: कंबोडिया ने अपने टीवी चैनलों पर थाई फिल्मों का प्रसारण रोका। थाईलैंड से गैस, ईंधन, फल-सब्जी के आयात पर भी प्रतिबंध लगाया। थाईलैंड से आने वाली बिजली और इंटरनेट पर निर्भरता खत्म करने का एलान। 
  • 14 जून: दोनों देशों के बीच बैठक हुई। मगर कोई हल नहीं निकला। 
  • 15 जून: थाईलैंड की पीएम पैतोंगटार्न शिनावात्रा ने कंबोडिया के हुन सेन से फोन पर बातचीत की। हुन सेन के बेटे हुन मानेट ही कंबोडिया के प्रधानमंत्री हैं।
  • 26 जून: थाईलैंड ने कंबोडिया के मोबाइल इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवा ठप की।
    1 जुलाई: कंबोडियाई नेता हुन सेन के साथ पीएम  पैतोंगटार्न शिनावात्रा की बातचीत वायरल हुई। इसमें वह अपनी सेना की कार्रवाई की आलोचना करती हैं। बाद में शिनावात्रा को पीएम पद से निलंबित कर दिया गया। 
  • 16 जुलाई: एक बारूदी सुरंग में धमाका। थाईलैंड के एक सैनिक को अपना एक पैर गंवाना पड़ा। थाईलैंड ने कंबोडिया पर लैंड माइन बिछाने का आरोप लगाया। 
  • 23 जुलाई: एक और बारूदी सुरंग में धमाका। थाईलैंड के पांच शामिल घायल हुए। जवाब में थाईलैंड ने कंबोडिया के राजदूत को निकाल दिया और अपने राजदूत को वापस बुला लिया। कंबोडिया से लगने वाली अपनी सीमाओं को बंद कर दिया। 
  • 24 जुलाई: प्रसात ता मोआन थोन मंदिर के पास कंबोडिया और थाईलैंड के बीच संघर्ष शुरू हुआ। एक-दूसरे पर हमला और पहली बार लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल। कंबोडियाई हमले में थाईलैंड में 11 लोगों की मौत हुई। 

 

 

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