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'बाढ़ के साथ भारत से लाशें भी आ रहीं', ख्वाजा आसिफ का बेतुका दावा

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने एक बेतुका दावा है किया है। उनका कहना है कि भारत से बाढ़ के साथ लाशें और मलबा आ रहा है। इस वजह से पानी निकासी में दिक्कत आ रही है।

Pakistan flood Crisis.

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ। (AI Generated Image)

भारत और पाकिस्तान के कई हिस्से बाढ़ की चपेट में है। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में उफनाती नदियों का पानी तेजी के साथ पाकिस्तान जा रहा है। इससे वहां भी बाढ़ जैसे हालात हैं। लगातार हो रही बारिश ने लोगों के सामने विकट स्थिति पैदा कर दी है। 

 

इस बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने अलग ही दावा कर दिया। उन्होंने भारत को पाकिस्तान में आई बाढ़ का जिम्मेदार बताया और कहा कि सीमा पार से आने वाले बाढ़ के पानी के साथ लाशें भी आ रही हैं।

 

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सियालकोट में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने मीडिया से बातचीत में कहा कि भारत ने दो बार पानी छोड़ने की जानकारी दी थी। मगर सियालकोट जम्मू से निकलने वाले जलमार्गों के नीचे बसा है। इस कारण भारत से पानी छोड़े जाने पर यह इलाका अक्सर बाढ़ का सामना करता है।

 

उन्होंने आगे दावा किया कि स्थानीय लोगों ने सीमा पार लाशों को बहते देखा है। बाढ़ का पानी भारत से मलबा, लाशें और मवेशियों को अपने साथ लाया है। इस वजह से पानी निकासी में जुटीं नगरपालिका की टीमों को भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

पाकिस्तान में बाढ़ से 820 की मौत

खैबर पख्तूनख्वा के बाद अब पाकिस्तान का पंजाब प्रांत बाढ़ की चपेट में है। अभी तक 4 लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा चुका है। यहां पड़ने वाली सभी नदियां उफान पर हैं। पंजाब प्रांत में इस हफ्ते बाढ़ में 20 लोगों की जान जा चुकी है। प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुताबिक बाढ़ से करीब साढ़े 14 लाख लोग प्रभावित हैं। लगभग 1,769 गांव पानी में डूबे हैं। जून से अभी तक बाढ़ में 820 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

 

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10-10 लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान


बाढ़ में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया गया है। पाकिस्तान के अधिकारियों का कहना है कि करीब चार दशक में पहली बार रावी, सतलुज और चिनाब नदियां एक साथ बाढ़ लाई हैं। 365 सरकारी भवनों में राहत शिविरों की स्थापना की गई। बाढ़ से 3,01,174 जानवरों को भी बचाया गया है।

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