दिगवीर जयस को मिला 'ऑर्डर ऑफ मैनिटोबा', अनाज भंडारण के लिए किया काम
दुनिया
• WINNIPEG 04 Jun 2025, (अपडेटेड 04 Jun 2025, 5:44 PM IST)
भारतीय मूल के दिगवीर जयस ने कार्बन डाई ऑक्साइड के स्तर के आधार पर अनाज के खराब होने की स्थितियों के बारे में पता लगाया।

दिगवीर जयस । Photo Credit: X/@uLethbridge
भारतीय मूल के कृषि इंजीनियर दिगवीर जयस को उनके 30 साल के रिसर्च और अनाज भंडारण में योगदान के लिए मैनिटोबा का सर्वोच्च सम्मान ‘ऑर्डर ऑफ मैनिटोबा’ दिया जाएगा। इस साल 12 लोगों को यह सम्मान मिलेगा, और जयस उनमें से एक हैं। वर्तमान में वह कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ लेथब्रिज के प्रेसिडेंट हैं। मई में मैनिटोबा की लेफ्टिनेंट गवर्नर अनीता नेविल ने जयस को फोन कर इस सम्मान की जानकारी दी। जयस ने कहा कि यह सम्मान मिलना बहुत गर्व की बात है। यह मेरे लिए काफी अप्रत्याशित और सुखद था। इस सम्मान का औपचारिक समारोह 17 जुलाई को मैनिटोबा विधान भवन में होगा।
जयस भारत के पंतनगर में जी.बी. पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से कृषि इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद मैनिटोबा विश्वविद्यालय में मास्टर डिग्री के लिए कनाडा गए थे। उस समय मैनिटोबा विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रोग्राम नहीं था, इसलिए उन्होंने सस्केचवान विश्वविद्यालय से पीएचडी की। जयस ने अनाज भंडारण और उसकी गुणवत्ता बनाए रखने पर काम किया, जो विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है। उन्होंने अनाज को खराब होने से रोकने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड मापने की तकनीक पर रिसर्च किया, जो आज अनाजों के संरक्षण में व्यापक रूप से उपयोगी है।
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CO₂ के स्तर पर दिया ध्यान
दिगवीर जयस एक कृषि इंजीनियर हैं, जो इंजीनियरिंग के जरिए अनाजों के खराब होने या इससे जुड़ी समस्याओं को हल करते हैं। अनाज एक बायोलॉजिकल पदार्थ है, जो आसानी से खराब हो सकता है। जयस ने बताया कि अनाज भंडारण के सिस्टम को बेहतर बना के अनाज के खराब होने की समस्या को हल किया जा सकता है। उनके मास्टर डिग्री के रिसर्च में उन्होंने अनाज के खराब होने पर उत्पन्न होने वाली कार्बन डाइऑक्साइड, नमी और गर्मी का अध्ययन किया। आमतौर पर तापमान और गर्मी को खराब होने का संकेत माना जाता है, लेकिन जयस ने कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर पर ध्यान दिया।
उन्होंने अनाज के भंडार में कार्बन डाइऑक्साइड मापने के लिए सेंसर का उपयोग किया और यह पता लगाया कि सेंसर को कहां लगाना चाहिए, भले ही खराब होने का स्थान स्पष्ट न हो। जयस ने कहा, ‘कार्बन डाइऑक्साइड खराब होने का एक अच्छा संकेतक है, क्योंकि सामान्य हवा में इसका स्तर बहुत कम होता है। अगर यह बढ़ता है, तो यह अनाज के खराब होने की चेतावनी देता है।’
मैथमेटिकल मॉडल का उपयोग
उनके रिसर्च ने अनाज भंडारण के पारिस्थितिकी तंत्र को समझने के लिए मैथमेटिकल मॉडल का उपयोग किया। जयस ने हॉरिजन्टल एयर फ्लो के जरिए सुखाने के सिस्टम पर काम किया और थर्मल इमेजिंग व निकट-इन्फ्रारेड इमेजिंग के जरिए अनाज में कीटों का पता लगाने की तकनीक विकसित की।
उनकी अगुवाई में एक रिसर्च टीम ने अनाज भंडारण में गर्मी, नमी और कार्बन डाइऑक्साइड को ट्रैक करने वाला पहला 3डी मॉडल बनाया। इस मॉडल ने अनाज भंडारण, सुखाने और मैनेजमेंट के सिस्टम में क्रांति ला दी।
जीते कई पुरस्कार
जयस ने कनाडा, चीन, यूक्रेन, भारत और अमेरिका के रिसर्चर के साथ मिलकर काम किया। उनके रिसर्च ने कीट नियंत्रण में कार्बन डाइऑक्साइड के उपयोग को बढ़ावा दिया। उन्होंने 1,000 से अधिक तकनीकी लेख, साइंस जर्नल और किताबों को लिखने में योगदान दिया है।
जयस ने अपने 30 साल के करियर में कई पुरस्कार जीते। वह मैनिटोबा विश्वविद्यालय के वॉइस प्रेसिडेंट और बायोसिस्टम्स इंजीनियरिंग विभाग में स्पेशल प्रोफेसर रहे। उस समय यह उपाधि केवल 20 प्रोफेसरों को दी जाती थी।
उन्हें कनाडा सरकार द्वारा स्टोर्ड ग्रेन इकोसिस्टम में सीनियर कनाडा रिसर्च चेयर का सम्मान मिला। वह नेचुरल साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च काउंसिल ऑफ कनाडा में अंतरिम प्रेसिडेंट भी रहे।
2018 में जयस को ‘ऑर्डर ऑफ कनाडा’ से सम्मानित किया गया। मैनिटोबा और कनाडाई कृषि हॉल ऑफ फेम में भी उनका नाम शामिल है। वह 40 साल से अपनी पत्नी मंजू के साथ हैं और उनके तीन बेटे व पांच पोते-पोतियां हैं।
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नहीं करवाया पेटेंट
जयस का मानना है कि रिसर्च से किसानों और समाज की समस्याएं हल हो सकती हैं। वह कहते हैं, ‘रिसर्च से समस्याओं के कारण समझने में मदद मिलती है और समाधान खोजने का रास्ता मिलता है।’ उनके रिसर्च ने ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को ट्रेनिंग का अनूठा अवसर दिया। जयस ने हॉरिजन्ट एयर फ्लो के जरिए सुखाने के सिस्टम को पेटेंट करने के बजाय इसे किसानों के साथ साझा किया, जिसे अब कई कंपनियां बनाती और बेचती हैं।
किसान परिवार में हुआ था जन्म
जयस भारत में एक किसान परिवार में बड़े हुए। उनके दादाजी की मेहनत और समुदाय के प्रति समर्पण ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। वह कहते हैं, ‘मैंने देखा कि किसानों को कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। भारत में अनाज के खराब होने की समस्या को देखकर मैंने सोचा कि इसके लिए कुछ करना चाहिए।’ वर्तमान में जयस, यूनिवर्सिटी ऑफ लेथब्रिज के प्रेसिडेंट और वॉइस-चांसलर हैं।
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