अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 10 मई को एक बयान में कहा कि उन्होंने एप्पल के सीईओ टिम कुक से आग्रह किया है कि वे भारत में मैन्युफैक्चरिंग न करें। हालांकि, भारत सरकार अमेरिका को 'नो-टैरिफ डील' वाला व्यापार प्रस्ताव दे रही है। साथ ही यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार और कूटनीतिक मुद्दों को लेकर तनाव बना हुआ है।
ट्रंप की नाराजगी क्यों?
ट्रंप ने बताया कि उन्होंने टिम कुक से कतर में मुलाकात की थी और वहीं उन्होंने यह बात कही। उनका कहना था, 'वह (कुक) भारत में खूब फैक्ट्रियां बना रहे हैं। मैंने उनसे कहा- मैं नहीं चाहता कि आप भारत में निर्माण करें। भारत अपनी जरूरतें खुद पूरी कर सकता है।'
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ट्रंप ने यह भी याद दिलाया कि उन्होंने पहले भी टिम कुक से बातचीत के दौरान एप्पल द्वारा अमेरिका में निर्माण बढ़ाने की तारीफ की थी। उनका कहना है कि कुक अब अमेरिका में 500 अरब डॉलर तक के उत्पादन की योजना बना रहे हैं, जो देश के लिए अच्छा है।
भारत को लेकर ट्रंप की शिकायतें
ट्रंप ने भारत की व्यापार नीतियों पर भी सवाल उठाए। उनका कहना था कि भारत दुनिया के सबसे ऊंचे टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने वाले देशों में से एक है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को अपने उत्पाद वहां बेचना बेहद मुश्किल होता है।
हालांकि, भारत सरकार ने अमेरिका को एक प्रस्ताव दिया है जिसमें वह अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क नहीं लगाने के लिए तैयार है लेकिन इसके बदले कुछ शर्तें भी रखी गई हैं। ट्रंप ने यह स्पष्ट किया कि भारत की तरफ से यह प्रस्ताव उन्हें फिलहाल मंजूर नहीं है।
भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
भारत सरकार हाल के वर्षों में तकनीकी निर्माण को बढ़ावा देने और ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दिशा में तेजी से काम कर रही है। एप्पल जैसी बड़ी कंपनियों की भारत में मौजूदगी इस दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है।
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एप्पल ने पिछले 12 महीनों में भारत में करीब 22 अरब डॉलर के iPhones का निर्माण किया है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 60% ज्यादा है। ये फोन्स ज्यादातर फॉक्सकॉन, टाटा ग्रुप, और पेगाट्रॉन जैसी कंपनियों की भारतीय यूनिट्स में बनते हैं।
अगर अमेरिका की ओर से भारत में निर्माण को लेकर नकारात्मक रुख जारी रहता है, तो विदेशी निवेश के साथ-साथ भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसे अभियानों को झटका लग सकता है।