ट्रंप का फायदा या नीति? 46 साल बाद सीरिया से प्रतिबंध क्यों हटा रहा US
दुनिया
• WASHINGTON D.C. 14 May 2025, (अपडेटेड 14 May 2025, 8:34 AM IST)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया से प्रतिबंध हटाने का ऐलान किया है। अमेरिका ने 1979 में सीरिया को आतंकी देश घोषित कर दिया था और उस पर प्रतिबंध लगा दिए थे।

प्रतीकात्मक तस्वीर। (AI Generated Image)
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया से प्रतिबंध हटाने का ऐलान किया है। ट्रंप ने यह ऐलान सऊदी अरब के दौरे पर किया। उन्होंने यह ऐलान सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के सामने किया। ट्रंप ने ऐलान किया, 'मैं सीरिया से प्रतिबंध हटाने का आदेश देने जा रहा हूं, ताकि उसे भी महान बनने का मौका मिला। मैं यह सब क्राउन प्रिंस के लिए कर रहा हूं।'
तीन दिन में ट्रंप सऊदी अरब के साथ-साथ संयुक्त अरब अमीरात और कतर का दौरा भी करेंगे। सीरिया से प्रतिबंध हटाने का ऐलान करते हुए ट्रंप ने कहा, 'अब वहां नई सरकार है और उम्मीद है कि वह देश में स्थिरता और शांति लाने में कामयाब होगी।'
बताया जा रहा है कि बुधवार को ट्रंप सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा से भी मुलाकात कर सकते हैं। यह मुलाकात रियाद में होने की उम्मीद है।
In a major US policy shift ahead of an expected meeting with Syria's President Ahmed al-Sharaa, US President Donald Trump said he would order the lifting of sanctions on Syria at the behest of Saudi Arabia's crown prince https://t.co/w7YWOMFVOH pic.twitter.com/Jv9YeEBhKN
— Reuters (@Reuters) May 14, 2025
ट्रंप ने यह ऐलान ऐसे वक्त किया है, जब पिछले साल दिसंबर में बशर अल-असद की सरकार का तख्तालपट हो गया था। सीरिया की सत्ता में असद परिवार 53 साल तक सत्ता में रहा था। पिछले साल 8 दिसंबर को उनकी सत्ता चली गई थी, जिसके बाद विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम ने सरकार बना ली थी। अल-शरा को अबु मोहम्मद अल जुलानी के नाम से भी जाना जाता है। एक समय वह अल-कायदा से जुड़ा था। हालांकि, अब वह सीरिया का राष्ट्रपति बन गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से प्रतिबंध हटाए जाने का ऐलान करने के बाद सीरिया में जश्न का माहौल है। अमेरिकी प्रतिबंध हटने के बाद सीरिया को अपनी अर्थव्यवस्था में सुधार आने की उम्मीद है।
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मगर सीरिया पर कौन से प्रतिबंध थे?
सीरिया की सत्ता पर 53 साल तक असद परिवार का कब्जा रहा है। साल 2000 से दिसंबर 2024 तक बशर अल-असद सत्ता में थे। उनसे पहले 1971 से 2000 तक उनके पिता हाफिज अल-असद राष्ट्रपति रहे थे। असद परिवार के सत्ता में रहने के दौरान अमेरिका ने सीरिया में कई प्रतिबंध लगाए थे।
अमेरिका ने 1979 में सीरिया पर प्रतिबंध लगाए थे। अमेरिका ने सीरिया को 'स्टेट स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म' घोषित किया था। इसके बाद अमेरिका ने उस पर हथियारों की खरीद-फरोख्त से लेकर वित्तीय प्रतिबंध तक लगा दिए थे। इससे सीरिया को मिलने वाली विदेशी सहायता भी बंद हो गई थी। 2004 में अमेरिका ने इन प्रतिबंधों को और कड़ा कर दिया था।
सीरिया पर यह अमेरिकी प्रतिबंध इतने सख्त थे कि कोई भी देश उसके साथ कारोबार करने या उसकी मदद करने से बचता था।
2011 में सीरिया में गृह युद्ध छिड़ गया था। सीरिया के लोग राष्ट्रपति बशर अल-असद के विरोध में सड़कों पर उतर आए थे। असद सरकार ने इन विद्रोहों को बुरी तरह कुचल दिया। इसके बाद अमेरिका ने और भी कई सारे प्रतिबंध लगा दिए थे। इससे सीरियाई व्यक्तियों की विदेशों में संपत्ति को जब्त कर लिया गया।
प्रतिबंध लगाए क्यों गए थे?
अमेरिका का मानना था कि सीरिया आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। अमेरिका का मानना था कि वहां कई आतंकी संगठन सक्रिय हैं।
एक वक्त अमेरिका ने अहमद अल-शरा पर 1 करोड़ डॉलर का इनाम भी रखा था। अल-शरा के संगठन हयात तहरीर अल-शाम को भी 'फॉरेन टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन' घोषित कर दिया था। अमेरिका ने ऐसा इसलिए किया था, क्योंकि उसका मानना था कि अल-शरा और हयात तहरीर अल-शाम के संबंध अल-कायदा से हैं। अब यह बात और है कि आज अल-शरा सीरिया का राष्ट्रपति है।
बशर अस-असद की सरकार में विद्रोहों को जिस तरह से कुचला गया था, उसकी दुनियाभर में आलोचना हुई थी। माना जाता है कि इन विद्रोहों को कुचलने के लिए केमिकल हथियारों का इस्तेमाल भी किया था। इस कारण अमेरिका ने इन प्रतिबंधों को और कड़ा कर दिया था।
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अब प्रतिबंध क्यों हटा रहा है अमेरिका?
पिछले साल 8 दिसंबर को असद की सत्ता जाने के बाद अहमद अल-शरा सीरिया का राष्ट्रपति बन गया था। अल-शरा के राष्ट्रपति बनने से पहले ही उस पर से इनाम हटा लिया था। इससे अल-शरा को विदेश यात्रा करने से भी छूट मिल गई थी। इसके बाद अल-शरा ने सऊदी अरब और फ्रांस की यात्रा भी की। हफ्तेभर पहले ही अल-शरा ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों से मुलाकात की थी। उस दौरान मैक्रों ने यूरोपियन यूनियन से सीरिया पर लगे प्रतिबंध हटाने की अपील भी की थी।
अल-शरा की सरकार खुद को 'उदारवादी' बताती है। वह लगातार अंतर्राष्ट्रीय मान्यता हासिल करने पर लगे हैं। अल-शरा की सत्ता को कट्टरपंथी माना जा रहा था। इससे लग रहा था कि सीरिया में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को खतरा हो सकता है। हालांकि, अल-शरा ने खुद को उदारवादी बताया और कई बार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर बात कही।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट मुताबिक, इस हफ्ते सीरिया, अमेरिका को यह समझाने में कामयाब रहा था कि वह कोई खतरा नहीं, बल्कि भागीदार है। सीरिया यह समझाने में भी कामयाब रहा कि वह मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता लाना चाहता है। इजरायल की बमबारी के बावजूद वह उससे बात कर रहा है। इतना ही नहीं, कुछ हफ्तों पहले अमेरिका-सीरिया के बीच एक ट्रेड डील को लेकर भी चर्चा हुई थी, जिसमें राजधानी दमिश्क में ट्रंप टॉवर भी शामिल था।

ट्रंप ने मंगलवार को बताया कि सीरिया से प्रतिबंध हटाने का उनका फैसला सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन से बात करने के बाद लिया है।
मिडिल ईस्ट काउंसिल ऑन ग्लोबल अफेयर्स के फोलो उमर रहमान ने अल-जजीरा से बात करते हुए बताया कि सऊदी, अरब, कतर, यूएई और तुर्किए जैसे कई देश अमेरिका पर सीरिया से प्रतिबंध हटाने का दबाव डाल रहा थे। उन्होंने बताया कि सीरिया से प्रतिबंध हटाना ट्रंप के लिए मुश्किल नहीं था। उन्हें इसके लिए अमेरिकी संसद की मंजूरी की भी जरूरत नहीं थी।
अमेरिका ने सीरिया पर 1979 से प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया था। अब 46 साल बाद यह प्रतिबंध हटाने जा रहा है।
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प्रतिबंध हटने का किसे क्या फायदा?
- सीरिया कोः अमेरिकी प्रतिबंध हटने से अब सीरिया की अर्थव्यवस्था भी खुल जाएगी। दुनिया के देश न सिर्फ सीरिया में निवेश कर सकेंगे, बल्कि उसके साथ कारोबार भी कर सकेंगे। गृह युद्ध से तबाह हो चुके सीरिया को पुनर्निर्माण में मदद मिलेगी।
- मध्य पूर्व कोः सऊदी अरब जैसे कई खाड़ी देश सीरिया से प्रतिबंध हटवाना चाहते थे। ऐसा इसलिए क्योंकि सीरिया को पुनर्निर्माण की जरूरत है। प्रतिबंध हटेंगे तो खाड़ी देश वहां निवेश कर सकेंगे। प्रतिबंध हटना ईरान के लिए बहुत बड़ी खुशखबरी है, क्योंकि वहां की अल-शरा सरकार को उसका समर्थन हासिल है। हालांकि, यह इजरायल के लिए बड़ा झटका है।
- अमेरिका कोः ट्रंप अक्सर कहते रहे हैं कि उनका मकसद मध्य पूर्व में शांति बहाल करना है। ट्रंप सरकार इसे मध्य पूर्व में 'शांति और व्यापार' की अपनी नीति का हिस्सा बता रहे हैं। इतना ही नहीं, ट्रंप का भी अपना निजी फायदा है। ट्रंप सीरिया की राजधानी दमिश्क में ट्रंप टॉवर बनाना चाहते हैं। बिना प्रतिबंध हटाए, ऐसा नहीं हो सकता।
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क्या बदल जाएंगे सीरिया के दिन?
सीरिया दुनिया के उन मुल्कों में है, जो सबसे ज्यादा बर्बाद है। 2011 से गृह युद्ध की आग में जल रहा सीरिया तबाह हो चुका है। वहां की 90 फीसदी आबादी गरीबी में जी रही है। प्रतिबंधों ने सीरिया को आर्थिक रूप से तोड़ दिया है। अल-शरा की सरकार पर सीरियाई लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने का दबाव है। वहां जबरदस्त बेरोजगारी और गरीबी है। बिजली कटौती भी आम बात है।
अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण सीरिया में कोई भी निवेश करने से बचता रहा है। हालांकि, अब प्रतिबंध हटने से सीरिया में निवेश और व्यापार करना भी आसान हो जाएगा। जाहिर तौर पर इससे सीरिया की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। इससे सीरियाई लोगों को भी फायदा होगा।
प्रतिबंध हटाने के बाद अमेरिका खुद सीरिया में निवेश करता है या नहीं, यह देखने वाली बात होगी। हालांकि, सऊदी अरब और तुर्किए जैसे कई देश सीरिया में निवेश करना चाहते हैं।
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