टैरिफ मामले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका की एक फेडरल कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने ट्रंप के टैरिफ को अवैध करार दिया है। अब आशंका जताई जा रही है कि इस मामले में अमेरिका में कानूनी टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है। ट्रंप प्रशासन ने फेडरल कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश की शीर्ष अदालत में अपील दाखिल करने का निर्णय लिया है। डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने भारत, चीन और मेक्सिको समेत दुनियाभर के देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया है। मगर अब कोर्ट के फैसले से उनकी यह नीति उलट सकती है। हालांकि अदालत का फैसला 14 अक्तूबर तक लागू नहीं होगा।
ट्रंप प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम (IEEPA) के तहत टैरिफ लगाया है। फेडरल कोर्ट में अमेरिका सरकार ने तर्क दिया कि इस अधिनियम के तहत उसे ऐसी शक्ति प्राप्त है। मगर फेडरल कोर्ट ने 7-4 के बहुमत से ट्रंप प्रशासन के तर्क को न केवल खारिज किया बल्कि उसे कानून के खिलाफ और अमान्य तक करार दिया। मई महीने में अमेरिका की एक निचली अदालत ने भी ट्रंप को झटका दिया था। उसने कहा था कि टैरिफ दशकों पुराने कानून से मिले अधिकार से ऊपर है। आइये जानते हैं कि अमेरिका का अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम क्या है, जिसके नाम पर डोनाल्ड ट्रंप दुनियाभर के देशों पर टैरिफ थोपने में जुटे हैं।
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क्या है अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम?
अमेरिकी कांग्रेस ने 1977 में नया अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्ति अधिनियम बनाया था। यह कानून अमेरिकी राष्ट्रपति को नेशनल इमरजेंसी की घोषणा के बाद वित्तीय लेनदेन को विनियमति करने का अधिकार देता है। इस कानून के मुताबिक अमेरिका राष्ट्रपति राष्ट्रीय सुरक्षा, विदेश नीति या अर्थव्यवस्था पर किसी खतरे से निपटने के लिए कई तरह के कदम उठा सकते हैं। अदालत ने अपने 127 पन्नों के आदेश में कहा कि IEEPA में न तो टैरिफ का उल्लेख है और न ही उसके पर्यायवाची शब्द का। अदालत का कहना है कि टैक्स और टैरिफ लगाने की शक्ति कांग्रेस के पास बनी रहेगी।
कानून के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति आपातकालीन स्थिति और अगर किसी संगठन, देश, शख्स से अमेरिका की सुरक्षा, विदेश नीति और अर्थव्यवस्था को खतरा होता है तो वह आर्थिक व व्यापारिक प्रतिबंध लगा सकते हैं। साइबर अटैक, परमाणु हथियारों के प्रसार, आतंकवाद जैसे हालात में भी इस कानून का इस्तेमाल किया जा सकता है। अब ट्रंप इन्हीं प्रावधानों का फायदा उठाने में जुटे हैं।
क्या-क्या कदम उठा सकता अमेरिकी राष्ट्रपति?
- कानून के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति किसी बाहरी कंपनी और दूसरे देश के बैंक को फाइनेंस सिस्टम से अलग कर सकता है।
- अमेरिका से सामान के आयात और निर्यात पर प्रतिबंध लगा सकता है। निवेश और व्यापारिक लेन-देन भी रोक सकता है।
- इस कानून से अमेरिकी राष्ट्रपति किसी भी देश, कंपनी या संस्था की अमेरिका में मौजूद संपत्ति को जब्त कर सकता है।
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ट्रंप को छोड़ किसी राष्ट्रपति ने नहीं किया IEEPA का इस्तेमाल
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के किसी भी राष्ट्रपति आयात होने वाले सामान पर टैरिफ लगाने की खातिर IEEPA का प्रयोग नहीं किया था। इस कानून के इतर अमेरिका के अधिकांश राष्ट्रपतियों ने 1962 के व्यापार कानून की धारा 232 का इस्तेमाल करके टैरिफ लगाया।
कांग्रेस को देनी होती है जानकारी
शत्रु के साथ व्यापार अधिनियम में अमेरिकी राष्ट्रपति को मिली आपात आर्थिक शक्तियों को सीमित करने के उद्देश्य से कांग्रेस ने IEEPA को पारित किया था। 1917 तक इस कानून के तहत राष्ट्रपति को युद्ध के समय अंतरराष्ट्रीय लेनदेन को विनियमित करने की व्यापक शक्तियां मिली थीं। 1971 में इस पूर्ववर्ती कानून का इस्तेमाल राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने किया था। उन्होंने ग्लोबल स्तर पर 10 फीसदी टैरिफ लगाया था। अगर अब कोई अमेरिकी राष्ट्रपति IEEPA कानून का इस्तेमाल करता है तो उसे इसकी जानकारी कांग्रेस को देनी होती है।