अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने USAID को लेकर एक और बड़ा फैसला लिया है। बताया जा रहा है कि ट्रंप सरकार ने USAID के विदेशी सहायता वाले कॉन्ट्रैक्ट्स में 90 फीसदी से ज्यादा की कटौती करने का फैसला लिया है। इससे पहले ट्रंप ने USAID की फंडिंग रोक दी थी। एजेंसी के 1,600 कर्मचारियों को भी निकाल दिया था।
अमेरिकी वेबसाइट वॉशिंगटन फ्री बीकन ने दस्तावेजों के हवाले बताया है कि अमेरिकी विदेशी विभाग ने विदेशों को दी जाने वाली सहायता की समीक्षा करने के बाद USAID के कॉन्ट्रैक्ट में कटौती करने का फैसला लिया है।
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कितने कॉन्ट्रैक्ट्स में हुई कटौती?
वेबसाइट का दावा है कि अमेरिकी विदेश विभाग ने 15 हजार से ज्यादा कॉन्ट्रैक्ट्स को खत्म कर दिया है। इनके जरिए USAID और विदेश विभाग, दोनों ही 60 अरब डॉलर से ज्यादा की विदेशी सहायता मुहैया करा रहे थे।
जिन कॉन्ट्रैक्ट्स को खत्म किया गया, उनमें से 4 हजार से ज्यादा अमेरिकी विदेशी विभाग के थे। इनसे 4.4 अरब डॉलर खर्च हो रहे थे। वहीं, USAID की ओर से 54 अरब डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट्स को खत्म कर दिया है। ये एजेंसी के सालभर के खर्च का 92 फीसदी है।
ट्रंप सरकार के इस फैसले के बाद अब USAID के कुछ ही कॉन्ट्रैक्ट्स बचे हैं। न्यूज एजेंसी AP की रिपोर्ट के मुताबिक, USAID अब भी कुछ वकीलों को मदद देना जारी रखेगी, जो कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
1600 कर्मचारियों को निकाल दिया था
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में USAID के लगभग 1,600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया था जबकि बाकी बचे हुए कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया था। ट्रंप के फैसले के बाद अब सिर्फ कुछ ही देशों में USAID के बेहद जरूरी स्टाफ को ही रखा जाएगा।
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क्या है USAID?
USAID यानी यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट। इस एजेंसी की स्थापना 1961 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी ने की थी। दुनियाभर में इस एजेंसी के 10 हजार से ज्यादा कर्मचारी थे। USAID दुनियाभर के मुल्कों को विदेशी मदद पहुंचाती थी। ये एजेंसी हर साल दुनियाभर के देशों में स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति सुधारने के लिए अरबों डॉलर खर्च करती है।
डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद USAID को बंद करने का फैसला लिया है। अब USAID अमेरिकी विदेश विभाग के तहत ही काम करेगी। राष्ट्रपति ट्रंप और उनकी सरकार में अहम जिम्मेदारी संभाल रहे एलन मस्क USAID के कट्टर आलोचक रहे हैं। ट्रंप ने आरोप लगाया था कि USAID को 'कुछ कट्टर वामपंथी' चला रहे हैं। एलन मस्क ने इस एजेंसी को 'आतंकी संगठन' बताया था।