अमेरिका और यूक्रेन के बीच एक अहम समझौता हुआ है। समझौते के तहत यूक्रेन, अमेरिका को रेयर अर्थ मिनरल (दुर्लभ खनिज) देने को तैयार हो गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बताया है कि इस डील पर साइन करने के लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की शुक्रवार को वॉशिंगटन आ सकते हैं।
माना जा रहा है कि जेलेंस्की ने अमेरिका के साथ ये डील ट्रंप के दवाब के कारण की है। ट्रंप ने करीब महीनेभर पहले कहा था कि अगर यूक्रेन को अमेरिकी मदद चाहिए तो उसे खनिजों तक पहुंच देनी होगी। मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि इस डील के बाद अमेरिका से सैन्य मदद मिलती रहेगी।
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क्या ट्रंप के आगे झुक गए जेलेंस्की?
डील पर साइन होने के बाद यूक्रेन के खनिजों तक अमेरिका की पहुंच हो जाएगी। इससे पहले मिनरल डील को लेकर ट्रंप और जेलेंस्की के बीच बयानबाजी हुई थी।
ट्रंप ने कहा था, 'हमने यूक्रेन को अरबों डॉलर की मदद दी है। अब टैक्सपेयर्स को उनका पैसा वापस मिलेगा।' हालांकि, जेलेंस्की ने ट्रंप के इस प्रस्ताव को ये कहते हुए खारिज कर दिया था कि वो 'किसी भी कीमत पर अपने देश को नहीं बेचेंगे।'
लेकिन अब ट्रंप ने खुद बताया है कि इस हफ्ते जेलेंस्की अमेरिका आ सकते हैं। इसलिए माना जा रहा है कि ट्रंप के आगे जेलेंस्की ने सरेंडर कर दिया है।
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इस डील से किसे क्या मिलेगा?
ट्रंप ने पहले प्रस्ताव रखा था कि वो सैन्य मदद के बदले में यूक्रेन को खनिज से होने वाली कमाई में 500 अरब डॉलर चाहते हैं। हालांकि, अब बताया जा रहा है कि ट्रंप ने शर्त को हटा दिया है।
अधिकारियों का कहना है कि इस डील के मसौदे पर अभी भी काम किया जा रहा है। हालांकि, उन्होंने बताया कि समझौते के तहत अमेरिका और यूक्रेन मिलकर एक फंड बनाएंगे। इस फंड में यूक्रेन खनिजों से होने वाली कमाई का 50% देगा। यूक्रेन तब तक इसमें पैसा जमा कराएगा, जब तक ये 500 अरब डॉलर नहीं हो जाते।
हालांकि, जेलेंस्की चाहते थे कि इस डील के बदले में यूक्रेन को अमेरिका से सुरक्षा की गारंटी मिले। मगर इस समझौते में गारंटी शामिल नहीं है।
वहीं, अमेरिका की अब यूक्रेन के खनिज भंडार तक पहुंच हो जाएगी। ये पूछे जाने पर कि इसके बदले में यूक्रेन को क्या मिलेगा? ट्रंप ने कहा था, 'हम पहले ही उन्हें 350 अरब डॉलर दे चुके हैं। लड़ने के लिए बहुत सारे हथियार दे चुके हैं।'
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ट्रंप को क्यों चाहिए यूक्रेन के खनिज?
ट्रंप ने चुनाव प्रचार में 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' का नारा दिया था। अमेरिका को महान बनाने के लिए उन्हें इन खनिजों की जरूरत है। यूक्रेन के पास जो खनिज हैं, उनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक कार, हथियार, सैन्य उपकरण और सेमीकंडक्टर बनाने के लिए होता है।
अभी दुनिया में रेयर अर्थ मिनरल्स पर चीन का दबदबा है। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में 60-70 फीसदी खनिजों का उत्पादन चीन में ही होता है। दुनिया के 90 फीसदी रेयर मिनरल्स चीन में ही प्रोसेस होते हैं। ग्लोबल सप्लाई में भी चीन आगे है। अमेरिका भी इन मिनरल्स के लिए चीन पर निर्भर है। ट्रंप चीन पर इस निर्भरता को कम करना चाहते हैं।
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कितना बड़ा है यूक्रेन का खनिजों का खजाना?
रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन के पास उन 30 में से 21 खनिजों का भंडार है, जिन्हें 'रेयर' यानी 'दुर्लभ' माना जाता है। रेयर मिनरल्स का 5 फीसदी भंडार यूक्रेन के पास ही है।
रिपोर्ट्स बताती हैं कि यूक्रेन के पास सेरियम, डिस्प्रोसियम, अर्बियम, यूरोपियम, गैडोलीनियम, होल्मियम, लैंथेनम, ल्यूटेटियम, नियोडिमियम, प्रेसियोडीमियम, प्रोमेथियम, समैरियम, स्कैंडिंयम, टेरबियम, थ्यूलियम, येटरबियम और इट्रियम जैसे दुर्लभ खनिज हैं। इन खनिजों का इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स, हथियार जैसे सामान बनाने में किया जाता है।
यूक्रेन के पास 1.90 करोड़ टन का ग्रेफाइट का भंडार भी है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी बनाने में किया जाता है।
रूस के साथ जंग शुरू होने से पहले यूक्रेन ने टाइटेनियम का उत्पादन भी शुरू किया था, जिसका इस्तेमाल हवाई जहाज से लेकर बिजली स्टेशनों तक में किया जाता है।
ज्यादातर भंडारों पर रूस का कब्जा
रूस के साथ जंग में यूक्रेन ने अपने खनिज भंडार भी गंवा दिए हैं। यूक्रेन के खनिज भंडारों पर रूस ने कब्जा कर लिया है। यूक्रेन की मंत्री यूलिया स्विरीडेन्को का दावा है कि रूस ने यूक्रेन के 350 अरब डॉलर के खनिज भंडारों पर कब्जा कर लिया है।