अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात सुर्खियों में है। 6 साल में पहली बार 15 अगस्त को मिले दो धुर विरोधियों के मिलने में भी कम नाटकीयता नहीं देखने को मिली। डोनाल्ड ट्रम्प और व्लादिमीर पुतिन जहां मिले, उसके बैकग्राउंड में बी2 बम वर्षक विमान, एफ-16 जैसे लड़ाकू विमानों की फौज खड़ी थी। पुतिन के लिए रेड कार्पेट तो बिछाई गई थी लेकिन बैकग्राउंड में यह संदेश देने की कोशिश की गई थी कि स्वागत हो रहा है लेकिन अमेरिका के तेवर, अपने प्रतिद्वंद्वियों के लिए बेहद कड़े हैं। मुलाकात से ठीक पहले, व्लादिमीर पुतिन को ट्रम्प ने धमकी भी दी थी। वोलोदिमी जेलेंस्की के साथ मिलने के दौरान उनका लहजा ज्यादा बदला नजर आया।
डोनाल्ड ट्रम्प की कूटनीति में शोबाजी और नाटकीयता साफ झलकती है। जब रूसी राष्ट्रपति पुतिन अमेरिका आए तो उनका स्वागत शानदार तरीके से किया गया। जेट, रेड कार्पेट, सैन्य सम्मान, सब कुछ था। व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात के ठीक 4 दिन बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की का दौरा बिल्कुल सादा सादा रहा। कोई शोर-शराबा नहीं, कोई भव्य स्वागत नहीं।
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जेलेंस्की का कितना अपमान करेंगे ट्रम्प?
वोलोदिमीर जेलेंस्की के लिए यह दौरा ऐतिहासिक होने के साथ-साथ अपमानजनक भी है। ट्रम्प के कहने पर उन्होंने औपचारिक सूट पहना, क्योंकि पिछली बार टी-शर्ट में आने पर उनकी आलोचना हुई थी। उस मुलाकात में ट्रम्प और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने जेलेंस्की को युद्ध की दिशा को लेकर खरी-खोटी सुनाई थी। डोनाल्ड ट्रम्प ने उन्हें बेहद तल्ख लहजे में कहा था, 'जब शांति के लिए तैयार हो, तब वापस आना।'
कपड़ों पर ट्रम्प ने सुनाया था, अब तारीफ की
छह महीने बाद वोलोदिमीर जेलेंस्की फिर आए। इस बार माहौल शांत था, लेकिन व्लादिमीर पुतिन की भव्य मुलाकात के मुकाबले यह मुलाकात बेहद अलग थी। डोनाल्ड ट्रम्प ने वोलोदिमीर जेलेंस्की के कपड़ों की तारीफ की और कहा कि दोनों पक्ष युद्ध खत्म करना चाहते हैं लेकिन यह भी कह दिया कि अभी रास्ता खत्म नहीं हुआ।
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पुतिन को पागल कह रहे थे ट्रम्प, दोस्ती कर बैठे
ट्रम्प की कूटनीति अप्रत्याशित है। व्लादिमीर पुतिन के दौरे से पहले वे उन्हें पागल कह रहे थे और प्रतिबंधों की धमकी दे रहे थे। व्लादिमीर पुतिन जैसे ही अलास्का पहुंचे, डोनाल्ड ट्रम्प ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। यह अस्थिरता ही ट्रम्प का तरीका है। वे पक्ष चुनने की बजाय मौके चुनते हैं। एक दिन व्लादिमीर पुतिन को कोसते हैं, दूसरे दिन उनके साथ कार में बैठते हैं।
जंग कहीं भी हो, सीजफायर का क्रेडिट लेना चाहते हैं ट्रम्प
डोनाल्ड ट्रम्प के आलोचकों का कहना है कि उनकी यह रणनीति और अनिश्चितता तमाशे की तरह है, जिसके परिणाम गंभीर हैं। डोनाल्ड ट्रम्प का मकसद साफ है कि वह रूस और यूक्रेन की जंग रुकवाने का क्रेडिट लेना चाहते हैं। 24 फरवरी 2022 से ही दोनों देशों के बीच जंग चल रही है। लाखों लोग विस्थापित हैं, हजारों लोग मारे जा चुके हैं।
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6 युद्ध तो रोक दिए! सातवें में फेल हो रहे ट्रम्प?
डोनाल्ड ट्रम्प, खुद को हर जंग का सरपंच मानते हैं। भारत और पाकिस्तान से लेकर इजरायल और हमास तक, हर जगह जंग रुकवाने का क्रेडिट वह लेना चाहते हैं और खुद के लिए नोबल शांति पुरस्कार हासिल करना चाहते हैं। उनका दावा है कि उन्होंने 6 युद्ध रोके। डोनाल्ड ट्रम्प सातवें युद्ध को रोकने में कितने सफल हैं, अभी इस पर वह तय ही नहीं कर पा रहे हैं।
ट्रम्प कहते हैं सीजफायर, बरसने लगते हैं विमान
डोनाल्ड ट्रम्प बार-बार कहते हैं कि वे युद्ध खत्म करने के करीब हैं, लेकिन हकीकत में कुछ बदलता नहीं। वे ट्रुथ सोशल पर सीजफायर की बात करते हैं, लेकिन उनके कहने के बाद ही बमबारी शुरू हो जाती है। राष्ट्रपति चुनावों के दौरान ट्रम्प ने वादा किया था कि वे व्हाइट हाउस पहुंचने से पहले जंग रोक देंगे, राष्ट्रपति बनने के 8 महीने बीत गए हैं, न युद्ध रुका है, न ही यूक्रेन में मौतों का सिलसिला। डोनाल्ड ट्रम्प बार-बार कहते हैं कि बातचीत सही राह पर है, शांति वार्ता के लिए प्रगति हुई लेकिन सच्चाई यह है कि रूस ने यूक्रेन के कई हिस्सों में 15 अगस्त से लेकर 19 अगस्त के बीच में बम बरसाए हैं। लोग मर रहे हैं, ट्रम्प की कूटनीतिक मुलाकातें बस इवेंट भर नजर आ रही हैं।