भारतीय मूल के काश पटेल अमेरिकी जांच एजेंसी FBI के 9वें डायरेक्टर बन गए हैं। एक दिन पहले ही अमेरिकी सीनेट ने उनकी नियुक्ति को मंजूरी दी थी। इसके बाद काश पटेल ने भगवद गीता पर हाथ रखकर FBI के डायरेक्टर पद पर शपथ ली। अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पैम बॉन्डी ने उन्हें शपथ दिलाई।
काश पटेल को अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का वफादार माना जाता है। ट्रंप ने चुनाव जीतने के बाद ही काश पटेल को FBI का डायरेक्टर नियुक्त करने का ऐलान कर दिया था। गुरुवार को सीनेट ने 51-49 के वोटों से उनकी नियुक्ति को मंजूरी दे दी थी।
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शपथ के बाद क्या बोले पटेल?
काश पटेल ने भगवत गीता पर हाथ रखकर शपथ ली। शपथ लेने के बाद पटेल ने कहा, 'लोग कहते हैं कि अमेरिकन ड्रीम खत्म हो चुका है लेकिन उन्हें देखना चाहिए कि मैं अमेरिकन ड्रीम जी रहा हूं।'
उन्होंने कहा, 'आप पहली पीढ़ी के भारतीय से बात कर रहे हैं, जो सबसे महान देश की अहम एजेंसी का नेतृत्व करने जा रहा है। ऐसा किसी और देश में नहीं हो सकता।'
ट्रंप ने क्या कहा?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर काश पटेल की तारीफ की। उन्होंने कहा कि मुझे यकीन है कि काश पटेल अब तक के सबसे अच्छे FBI डायरेक्टर होंगे।
पटेल ने दी थी वॉर्निंग
सीनेट से नियुक्ति को मंजूरी मिलने के बाद काश पटेल ने वॉर्निंग दी थी। उन्होंने कहा था, 'हम एक ऐसी FBI बनाएंगे जिस पर अमेरिकी गर्व करेंगे। जो लोग अमेरिकियों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं वो इसे मेरी चेतावनी मानें। हम उन्हें नहीं छोड़ेंगे, चाहे वो धरती के किसी भी कोने में चले जाएं।'
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कौन हैं काश पटेल?
काश पटेल मूल रूप से गुजरात से ताल्लुक रखते हैं। हालांकि, उनका जन्म अमेरिका में हुआ था। 44 साल के काश पटेल का पूरा नाम कश्यप प्रमोद पटेल है। उनके पिता एक अमेरिकी एविएशन कंपनी में काम करते थे। काश पटेल ने रिचमंड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और उसके बाद न्यूयॉर्क वापस आकर कानून की डिग्री हासिल की।

पटेल हाउस इंटेलिजेंस कमेटी के स्टाफ के तौर पर भी वो काम कर चुके हैं। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी उन्हें कई अहम जिम्मेदारियां मिली थीं। काश पटेल ने इंटेलिजेंस कम्युनिटी और यूएस स्पेशल ऑपरेशन फोर्स के कई ऑपरेशन की देखरेख भी की है।
घर से बाहर जाकर खाते थे नॉनवेज
अपनी किताब 'गवर्नमेंट गैंगस्टर' में काश पटेल लिखते हैं कि 'मेरे माता-पिता बहुत अमीर नहीं थे। वो भारत से आए थे। मेरा पालन-पोषण हिंदू परिवार में हुआ, इसलिए मेरा परिवार मंदिर जाता था और घर में बने मंदिर में पूजा करता था।' इस किताब में पटेल लिखते हैं कि जब भी उनका मन नॉनवेज खाने का करता था तो पिता के साथ जाकर बाहर से खाकर आते थे, क्योंकि उनकी मां घर में नॉनवेज नहीं लाने देती थीं।