हिजाब, नकाब और बुर्का...मुस्लिम महिला समाज का हिस्सा रही हैं लेकिन इसे बांधने को लेकर हमेशा से ही विवाद चलता रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पिछले कुछ समय से हिजाब को लेकर मामला बहुत बढ़ा है। कई देशों में इसे बैन कर दिया गया तो वहीं इसके विपरित, कई देशों में मुस्लिम महिलाओं को हिजाब पहनना अनिवार्य है।
हाल ही में सीरिया के विद्रोही नेता अहमद अल-शरा ने एक महिला के साथ फोटो खिंचवाने से पहले उसे सिर ढकने के लिए कहा था। पिछले हफ्ते हुई इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सीरिया पर विद्रोहियों के कब्जा किए जाने के बाद से इस देश के भविष्य पर सवाल खड़े हो रहे है।
बता दें कि एचटीएस ने 2017 में विद्रोहियों के गढ़ इदलिब पर कब्जा किए जाने के बाद शुरुआती दौर में सार्वजनिक व्यवहार और ड्रेस कोड के कड़े नियम लागू किए गए थे। हालांकि, लोगों की आलोचना के बाद ये नियम वापस ले लिए गए।
सीरियाा में महिलाओं के लिए लागू होगा हिजाब?
इस्लाम की पवित्र किताब कुरान में कहा गया है कि पुरुषों और महिलाओं को शालीन कपड़े पहनने चाहिए। पुरुष को नाभि से घुटने तक ढकने के लिए कहा जाता है जबकि महिलाओं के लिए चेहरा छोड़कर हाथ पैर और सबकुछ ढंकने के रूप में देखा जाता है।
खैर यह तो आने वाला वक्त बताएगा कि सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे के बाद क्या देश में हिजाब को अनिवार्य किया जाएगा की नहीं। वहीं, दो मुस्लिम देश ऐसे है जहां विद्रोह के बाद महिलाओं का हिजाब पहनना अनिवार्य हो गया। एक अफगानिस्तान और दूसरा ईरान।
ईरान क्रांति के पहले और बाद क्या बदला?
ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति से पहले हिजाब अनिवार्य नहीं था। अगर आप 1979 ईरान महिलाओं की तस्वीर गूगल पर सर्च करेंगे तो आपको इस मुस्लिम देश की बिल्कुल अलग तस्वीर देखने को मिलेगी। महिलाएं स्कर्ट पहने खुले बालों के आजाद चीड़ियां थीं। हालांकि, क्रांति के बाद इस देश की तस्वीर बिल्कुल बदल गई। 1980 के दशक के शुरुआत में नए इस्लामी अधिकारियों ने एक अनिवार्य ड्रेस कोड लागू कर दिया जिसके तहत सभी महिलाओं को हिजाब पहनना अनिवार्य हो गया।
सत्ता संभालने के तुरंत बाद, ईरान के नए सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने आदेश दिया कि सभी महिलाओं को बुर्का पहनना होगा। चाहे वो किसी भी धर्म या राष्ट्रीयता की हों। 8 मार्च, 1979 अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन सभी क्षेत्रों की हजारों महिलाएं इस कानून के विरोध में उतरीं। व केवल हिजाब बल्कि शुक्रवार की नमाज को लेकर भी नियम बनाए गए। शुक्रवार की नमाज़ अभी भी बहुत हद तक पुरुषों के अधिकार क्षेत्र में हैं। महिलाओं को पुरुषों के साथ एक ही कमरे में जाने की अनुमति नहीं होगी। वो प्रार्थना के लिए पुरुषों से दूर एक अलग जगह पर बैठेंगी।'
ईरान की महिलाओं को लेकर ये शर्तें
शादी के कपड़े वेसटर्न होने के कारण ईरानी महिलाएं अनिवार्य रूप से वहीं पहनेंगी जो वो चाहती हैं, बर्शते कि यह सब बंद दरवाजों के पीछे हो। बता दें कि ईरानी महिलाओं को सार्वजनिक स्थानों पर स्विमसूट पहनकर नहाने की मनाही है।
क्रान्ति के 46 सालों बाद भी ईरान में कुछ नहीं बदला। महसा अमिनी से लेकर ईरानी सिंगर शरवीन की गिरफ्तारी केवल इसलिए हुई क्योंकि उनका सिर हिजाब से ढका हुआ नहीं था। ईरान में इस समय खबरें सामने आई जिसके तहत हिजाब न पहनने पर महिलाओं को मौत की सजा तक दी जा सकती है। हालांकि, बवाल के बाद ईरान ने इन कानूनों पर फिलहाल रोक लगाई है।
अफगानिस्तान में क्या बदला?
'महिलाओं को पूरा शरीर ढकना होगा'
'सार्वजनिक जगहों पर महिलाओं को चुप रहना होगा'
'सार्वजनिक स्थानों के साथ घर में भी गाना गाना और ज़ोर से पढ़ना मना है'
'कपड़े टाइट नहीं होने चाहिए'
'गैर मर्द से शरीर, चेहरा छिपाना होगा'
ऊपर लिखे हुए यह शब्द अफगानिस्तान में सत्ता संभाल रही तालिबानियों द्वारा महिलाओं पर लागू किए गए है। अगर आप 1970 के दशक की अफगानिस्तान की तस्वीरें इंटरनेट पर देखेंगे तो आपको महिलाएं नीले या काले बुर्के में नहीं बल्कि स्कर्ट और जींस में हंसती हुई नजर आएंगी। जान लेकर आजादी की बात करने वाले इस तालिबान राज में अब महिलाओं कि जिंदगी को हर सेंकड पैरों तले कुचला जाता है।