बुर्किनी यानी वो फुल बॉडी स्विमसूट जो कई मुस्लिम महिलाएं पहनती हैं। शायद आपको एक मामूली कपड़ा लगे लेकिन आज यह दुनिया के कई हिस्सों में एक बड़ा मुद्दा बन चुका है। सीरिया की नई सरकार, जो इस्लामी विचारधारा से प्रेरित है, अब महिलाओं के लिए नए ड्रेस कोड ला रही है। अब वहां पब्लिक बीच पर महिलाओं को बुर्किनी जैसे पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनने होंगे।
इतना ही नहीं, तैराकी के बाहर भी महिलाओं को ढीले-ढाले कपड़े पहनने होंगे और पुरुषों को पब्लिक प्लेस में बिना शर्ट के घूमने पर रोक लगा दी गई है लेकिन एक ट्विस्ट है – यह नियम हर जगह लागू नहीं होते। प्राइवेट रिसॉर्ट्स और लग्जरी बीच क्लबों को छूट मिली है। वहां महिलाएं वेस्टर्न स्टाइल के स्विमसूट पहन सकती हैं, जब तक वो 'नैतिकता की हद में हों। सरकार का कहना है कि यह सब 'जनता के भले' के लिए किया गया है लेकिन लोग इस पर बंटे हुए हैं। कई लोग इसे जरूरत से ज्यादा दखल मान रहे हैं, खासकर जब बात निजी आजादी की आती है।

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फ्रांस जहां बुर्किनी पर पाबंदी
2016 में फ्रांस में बुर्किनी को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब कुछ समुद्र किनारे शहरों ने इस पर बैन लगा दिया। उनका कहना था कि यह फ्रांस के सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) सिद्धांतों के खिलाफ है और कभी-कभी सुरक्षा का मुद्दा भी बन सकता है। एक तस्वीर सामने आई जिसमें पुलिस अफसर एक महिला को बुर्किनी उतारने पर मजबूर कर रहे थे। इसने दुनियाभर में हंगामा मचा दिया लेकिन फ्रांस ने अपने रुख में खास बदलाव नहीं किया।
कौन-कौन इसके खिलाफ है?
ऑस्ट्रिया: यहां बुर्किनी को 'अनसेफ' माना गया और कई जगहों पर इसे पहनने पर रोक लगी। साथ ही पब्लिक प्लेसेस में हेडस्कार्फ और नकाब पर भी पाबंदी की मांग उठी।
इटली: बुर्किनी पहनने पर यहां 500 यूरो तक का जुर्माना लग सकता है। यह यूरोप में सबसे सख्त कानूनों में से एक है।
बेल्जियम: बुर्किनी को एक 'चलता-फिरता टेंट' कहने पर खूब बवाल हुआ। मुस्लिम महिलाओं ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया।
जर्मनी: कुछ शहरों ने स्वच्छता या सुरक्षा का हवाला देकर बुर्किनी पर बैन लगाया लेकिन कई मामलों में अदालत ने इन प्रतिबंधों को हटा दिया। फिर भी, कुछ जगहों पर बुर्किनी पहनने को लेकर समाज में अब भी दबाव बना रहता है।
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क्या है बुर्किनी?
बुर्किनी की शुरुआत 2004 में हुई थी, जब लेबनानी-ऑस्ट्रेलियाई डिजाइनर अहेदा जानेटी ने इसे खास तौर पर मुस्लिम महिलाओं के लिए बनाया। उनका मकसद था ऐसा स्विमसूट तैयार करना जो पहनने में आरामदायक हो, धर्म के अनुसार हो और तैराकी के लिए सुरक्षित भी हो।
'बुर्किनी' नाम दो शब्दों को मिलाकर बना है- बुर्का और बिकिनी। सुनने में यह नाम थोड़ा अजीब लग सकता है, लेकिन इसके पीछे की सोच थी संतुलन: ऐसा पहनावा जो महिलाओं को अपनी पसंद और विश्वास के साथ-साथ पानी में मजा लेने की आजादी भी दे। धीरे-धीरे बुर्किनी सिर्फ मुस्लिम महिलाओं तक सीमित नहीं रही। इसे कैंसर से ठीक हो चुकी महिलाएं, धूप से बचाव चाहने वाली महिलाएं और वो लोग भी पहनने लगे जो बस थोड़ा और ढका हुआ कपड़ा पसंद करते हैं- बिना किसी तरह के जजमेंट के।
2023 में बुर्किनी एक बार फिर चर्चा में आ गई, जब पाकिस्तान की पहली मिस यूनिवर्स प्रतिनिधि एरिका रॉबिन ने एक खूबसूरत बेबी पिंक बुर्किनी में स्विमसूट राउंड में हिस्सा लिया। उनकी यह झलक ग्लैमर के साथ-साथ संस्कृति और आत्मविश्वास का मिला-जुला रूप मानी गई।
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नतीजा?
बुर्किनी अब सिर्फ एक स्विमसूट नहीं रही, यह अब महिलाओं की आजादी, संस्कृति, और धर्म को लेकर चल रही बड़ी बहस का हिस्सा बन चुकी है। एक तरफ कुछ देश इसे मजबूरी बना रहे हैं, तो दूसरी तरफ कुछ इसे पूरी तरह बैन कर रहे हैं। इन सबके बीच, महिलाएं सवाल पूछ रही हैं – क्या उन्हें खुद तय करने का हक नहीं होना चाहिए कि वो क्या पहनें?