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क्या फिक्स था अमेरिकी बेस पर ईरान का हमला? सीजफायर के बाद कई खुलासे

कतर में अमेरिकी एयरबेस पर ईरानी मिसाइलों की बारिश और तीन घंटे बाद ट्रंप का सीजफायर का एलान। इससे दुनिया न केवल हैरान है बल्कि 'फिक्सिंग' की भी चर्चा होने लगी है। समझते हैं पूरा मामला।

Iran and Israel conflict.

डोनाल्ड ट्रंप, बेंजामिन नेतन्याहू और अयातुल्लाह अली खामेनई। (AI Generated Image)

ईरान ने सोमवार की रात कतर, बहरीन और इराक में स्थित अमेरिकी मिलिट्री बेसों पर मिसाइलों से हमला किया। ईरानी हमले के कुछ समय बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक बयान सामने आया है। यह काफी चौंकाने वाला था। दुनिया को उम्मीद थी कि ट्रंप ईरान को करारा जवाब देंगे। मगर कहानी पूरी तरह से उलट चुकी थी। ट्रंप ने ईरानी हमलों का जवाब न देने की बात कही और एकतरफा युद्ध विराम का एलान कर दिया। एक कहानी यह भी सामने आ रही है कि ईरान पर अमेरिका और अमेरिकी बेस पर ईरान का हमला 'फिक्स' था। इस बात के संकेत डोनाल्ड ट्रंप की एक सोशल मीडिया पोस्ट में भी मिलता है। अचानक सीजफायर से दुनिया भले ही हैरान हो, लेकिन कतर, ईरान, अमेरिका और इजरायल के बीच अंदरखाते बातचीत चल रही थी। आइए समझते हैं हमले से सीजफायर तक की पूरी कहानी।

 

22 जून की तड़के अमेरिकी बी- बमबर्षक विमानों ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला किया। हमले से एक दिन पहले ट्रंप ने कहा था कि वह दो हफ्ते में तय करेंगे कि ईरान पर हमला करना है या नहीं, लेकिन 24 घंटे बाद ही अटैक कर दिया। अब अमेरिका में सवाल उठने लगे हैं कि ट्रंप ने अपनी नीति से ईरान को 24 घंटे का समय दिया है। अगर उन्हें अटैक करना ही था तो पहले ही क्यों नहीं किया गया, उसे अतरिक्त समय क्यों दिया गया?

 

यह भी पढ़ें: ट्रंप के ‘सीजफायर’ की बात से सहमत नहीं ईरान, बोला- कोई एग्रीमेंट नहीं

ईरान ने पहले ही हटा लिया था यूरेनियम

ईरान को अमेरिका हमले के बारे पहले से ही पता था। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि इजरायल अकेले फोर्डो परमाणु संयंत्र को नष्ट नहीं कर सकता है। उन्होंने अमेरिकी हमले का संकेत दिया। ईरान ने इसका फायदा उठाया। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चल रहा है कि हमले से पहले ही फोर्डो प्लांट के पास ट्रकों की आवाजाही देखी गई है। स्काई न्यूज के मुताबिक ईरान ने हमले से पहले ही संवर्धित यूरेनियम वहां से हटा लिया था। 

 

अमेरिका ने कतर बेस से सऊदी अरब भेजे विमान

अमेरिका ने फोर्डो परमाणु संयंत्र पर छह जीबीयू-57 बंकर बस्टर बमों से हमला किया। सोमवार यानी 23 जून को ईरान ने भी इतनी संख्या में मिसाइलें अमेरिकी बेस में दागीं। इन मिसाइलों को कतर के आसमान में मार गिराया गया। मिडिल ईस्ट आई की खबर के मुताबिक अमेरिका ने ईरानी हमले से पहले ही कतर स्थित अपने अल-उदयिद बेस से विमानों और भारी उपकरण को हटा लिया था। इन्हें सऊदी अरब भेजा गया है। अमेरिका को पहले से ही पता था कि ईरान सऊदी अरब पर हमला नहीं करेगा और ऐसा हुआ भी।

ईरान को मनाने में जुटा था अमेरिका

ईरान कोई बड़ा हमला न करें, इसके लिए अमेरिका मनाने में जुटा था। अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक अमेरिका और ईरान के अधिकारियों के बीच अप्रत्यक्ष तौर पर बात हुई और कतर ने इसमें मध्यस्थ की। ईरानी हमले के बाद जवाब देने के अधिकार की बात करने वाला कतर इस 'फिक्स खेल' का मुख्य किरदार था। 

क्या हमले से पहले ईरान ने भेजा था संदेश?

ईरान के हमले के तीन घंटे बाद ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, 'ईरान का हमला बेहद कमजोर था। हमारा जवाबी कार्रवाई और अमेरिका को युद्ध घसीटने का कोई इरादा नहीं है।' एक्सियोस की खबर के मुताबिक अल उदीद बेस पर हमले से पहले ईरान कतर से बातचीत कर रहा था। ट्रंप प्रशासन को भी इसकी जानकारी थी। ट्रंप के सोशल मीडिया पोस्ट में इसके संकते मिले। उन्होंने लिखा, 'मैं ईरान को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उसने हमें पहले ही सूचना दे दी। इससे किसी की जान नहीं गई और कोई घायल नहीं हुआ।' मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हमले से कुछ समय पहले ही ईरान ने कतर को संदेश भेज दिया था। 

ईरान पर हमले का आदेश

डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध विराम का एलान किया और लिखा कि युद्धविराम अब प्रभावी है। कृपया इसका उल्लंघन न करें। मगर इस बीच इजरायल ने ईरान पर युद्ध विराम के उल्लंघन का आरोप लगाया। दूसरी तरफ ईरान ने मिसाइल हमलों की खबरों का खंडन किया।  इजरायल सेना का आरोप है कि ईरान ने मिसाइल से हमला किया है। जवाब में इजरायल ने भी तेहरान पर हमला करने का आदेश दिया है। इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज का कहना है कि युद्ध विराम उल्लंघन के बाद हमने मध्य तेहरान में हमले का निर्देश दिया है। तेहरान का रुख भी इजरायल की तरह है। उसका कहना है कि अगर इजरायल ने हमला रोका तो हम भी रोकेंगे। मतलब गेंद अब इजरायल के पाले में है।

 

सीजफायर पर इजरायल ने क्या कहा? 

शुरुआती तौर पर इजरायल ने ट्रंप के युद्ध विराम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। घंटों की चुप्पी के बाद अब उसने भी सीजफायर पर सहमति जता दी। मगर यह नाजुक स्थिति में है, क्योंकि इजरायल का सीजफायर के बाद भी हमला करने का इतिहास पुराना है। युद्ध विराम से ठीक पहले इजरायल ने तेहरान में एक हमले में ईरान के परमाणु वैज्ञानिक मोहम्मदरेजा सिद्दीकी की हत्या की।

 

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सीजफायर के पीछे की कहानी

रॉयटर्स ने व्हाइट हाउस के एक अज्ञात अधिकारी के हवाले से बताया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और मध्य पूर्व में अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने ईरान से बातचीत की। इसमे कतर के प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल थानी ने मध्यस्थता की। उन्होंने ईरानी अधिकारियों के साथ फोन पर बातचीत की और अमेरिका के प्रस्तावित सीजफायर की जानकारी दी। बाद में डोनाल्ड ट्रंप ने कतर के प्रधानमंत्री से बात की और कहा कि इजरायल सीजफायर पर सहमित है। उन्होंने ईरान से बात करने की अपील की। अमेरिकी आग्रह पर कतर के पीएम ने तेहरान को सीजफायर के लिए मनाया। तीनों देशों की सहमति और कतर में अपने एयरबेस पर हमले के बाद ट्रंप ने सीजफायर का एलान किया। 

 

 

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