TTP ने पाकिस्तान को कितने जख्म दिए, नूर वाली से क्यों डरे मुनीर?
पाकिस्तान और टीटीपी के बीच जंग करीब ढाई दशक से जारी है। मगर पिछले तीन साल से इस लड़ाई का रुख बदलता दिख रहा है। पाकिस्तान की एयर स्ट्राइक से अफगानिस्तान खफा है। दोनों की जगह में उसकी एंट्री हो चुकी है।

पाकिस्तान सेना प्रमुख आसिम मुनीर। (Photo Credit: PTI)
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के कुछ इलाकों पर एयर स्ट्राइक की। राजधानी काबुल पर को भी निशाना बनाया। हालांकि अभी तक पाकिस्तान की सेना ने आधिकारिक तौर पर हमले की बात स्वीकारी नहीं है, लेकिन अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब ने पाकिस्तान को नतीजे भुगतने की धमकी दे दी है। उधर, पाकिस्तानी मीडिया का दावा है कि एयर स्ट्राइक में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का मुखिया नूर वली महसूद मारा गया है। इस बीच टीटीपी ने वली महसूद का ऑडियो जारी करके उसके जिंदा होने दावा किया। यह कोई पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हमला किया है। वह पहले भी कई बार ऐसी ही हिमाकत दिखा चुका है। इन हमलों की वजह से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अब क्षेत्रीय संघर्ष का खतरा बढ़ने लगा है। आइये जानते हैं कि टीटीपी अब तक पाकिस्तान को कितना जख्म दे चुका है, पाकिस्तान अपने पड़ोसी अफगानिस्तान पर क्या आरोप लगता है, कब-कब उसने अफगानिस्तान पर एयर स्ट्राइक की?
अफगानिस्तान पर 2021 में तालिबान का शासन लौटा। इसी के साथ पाकिस्तान में आतंक की नई लहर शुरू हुई। 2020 में प्रकाशित संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट बताती है कि अफगानिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के 6,000 से अधिक आतंकवादी थे। 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद बड़ी संख्या में आतंकियों को जेलों से रिहा किया गया। अब यही आतंकी पाकिस्तान के सामने सबसे बड़ी समस्या बने हैं।
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एक आंकड़े के मुताबिक पाकिस्तान में 2005 से 2013 के बीच आतंकी हमलों में 80 हजार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। अगर टीटीपी के कुछ चर्चित हमलों की बात करें तो साल 2014 में पाकिस्तान के पेशावर में एक स्कूल पर हमला किया था। कुल 141 की जान गई थी। मरने वालों में अधिकांश मासूम बच्चे थे। टीटीपी ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली थी, लेकिन पाकिस्तान ने उसे ही जिम्मेदार ठहराया था।
मासूमों की हत्या से पूरे पाकिस्तान में जन आक्रोश फैला। पाकिस्तानी सेना ने टीटीपी के खिलाफ ऑल आउट अभियान चलाया। नतीजा यह हुआ कि अधिकांश आतंकियों को पाकिस्तान छोड़कर अफगानिस्तान में शरण लेनी पड़ी। शांति का नोबेल पुरस्कार जीतने वाली मलाला यूसुफजई को अगर आप जानते हैं तो उन्हें 2012 में टीटीपी के आतंकियों ने ही गोली मारी थी।
क्या इमरान खान का फैसला बना काल?
2021 में अमेरिका से करीब 20 साल के संघर्ष के बाद तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता अपने हाथों में संभाली। तब पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार थी। उन्होंने तालिबान की वापसी पर खुशी जाहिर की। इमरान खान को लगता था कि तालिबान के आने से अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच रिश्ते बेहतर होंगे। इस बीच उन्होंने एक बड़ा कदम उठाया है। पाकिस्तान छोड़कर अफगानिस्तान भागे आतंकियों को घर वापसी का ऑफर दे दिया।
आतंकी लौटे तो लेकिन हथियार सौंपने से मना कर दिया। इस बीच 2022 में इमरान खान की सरकार गिर गई। पाकिस्तान की नई सरकार ने आंतिकयों से वार्ता बंद कर दी और उनकी मांगों को भी खारिज कर दिया। जवाब में नवंबर 2022 में टीटीपी ने सीजफायर तोड़ दिया। तब से पाकिस्तान में आतंकी हमलों की एक नई लहर शुरू हो गई।
2023 के फरवरी महीने में पाकिस्तान के पेशावर में एक मस्जिद पर आत्मघाती हमला किया गया। इसमें 100 से ज्यादा लोगों की जान गई। मरने वालों में अधिकांश सुरक्षा बल थे। जिम्मेदारी टीटीपी ने ली। आंकड़ों के मुताबिक 2020 में यह आतंकी संगठन पाकिस्तान में एक महीने में औसतन 14 हमले करता था। मगर 2022 में यह आकंड़ा बढ़कर 45 हमलों तक पहुंच गया।
पाकिस्तान से क्या चाहता है टीटीपी?
अफगान तालिबान और टीटीपी की विचारधारा मिलती-जुलती है। मगर दोनों संगठन अलग हैं। टीटीपी पाकिस्तान पर कब्जा करके वहां शरिया कानून लागू करना चाहता है। यह आतंकी संगठन अब तक हजारों लोगों की जान ले चुका है। हालांकि उसका दावा है कि पाकिस्तान की आम जनता के साथ उसकी कोई लड़ाई नहीं है। अदावत पाकिस्तान की सेना और पुलिस से है।
संगठन स्कूल, बाजार और मस्जिदों पर होने वाले हमलों की जिम्मेदारी लेने से बचता है, जबकि पाकिस्तान की सरकार उसे इसका कसूरवार ठहराती है। आतंकी संगठन की स्थापना 2007 में हुई। बैतुल्लाह महसूद इसका पहला नेता बना।
टीटीपी के चर्चित हमले
2016 में लाहौर के एक पार्क में ईस्टर मना रहे लोगों के बीच आत्मघाती हमला। 70 से अधिक की जान गई। 300 से ज्यादा घायल हुए।
2016 के अगस्त महीने में क्वेटा के अस्पताल में बड़ा हमला, 75 लोगों की जान गई और 100 से अधिक लोग घायल हुए।
जनवरी 2023 में पेशावर की मस्जिद में आत्मघाती हमला, 100 से अधिक की मौत और 200 से ज्यादा जख्मी हुए।
नूर वाली महसूद से क्यों डरता है पाकिस्तान?
आतंकी संगठन ने 2009 में पाकिस्तान के मलकंद डिवीजन के एक बड़े भू-भाग पर कब्जा कर लिया था। उसका करीब एक साल तक शासन चला। यह पाकिस्तान में सबसे अधिक लोगों की जान लेने वाला आतंकी संगठन है। एक अनुमान के मुताबिक टीटीपी ने साल 2012 में एक हजार पाकिस्तानियों को मौत के घाट उतारा था। 2009 में ही बैतुल्लाह महसूद की मौत हो गई। हकीमुल्लाह महसूद संगठन के दूसरे प्रमुख बने। चार साल बाद यानी 2013 में एक ड्रोन हमले में उसकी भी जान चली गई। तब मुल्ला फजलुल्लाह को नया सरगना नियुक्त किया गया। वह महसूद जनजाति से बाहर से आने वाला टीटीपी का पहला प्रमुख था। उसने अपने नेतृत्व में कई हमलों को अंजाम दिया।
फजलुल्लाह की अगुवाई में ही 2014 में पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल पर हमला किया गया था। इसके बाद न केवल पाकिस्तान बल्कि अमेरिकी सेना ने भी टीटीपी पर ड्रोन से हमला किया। जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान ने सैकड़ों आतंकियों को पकड़ा। 2015 से 2019 तक 641 आतंकियों को अदालतों ने दोषी ठहराया। इनमें से 345 को फांसी की सजा सुनाई गई। नतीजा यह हुआ कि 2014 की तुलना में 2015 में आतंकी हमलों में 33 प्रतिशत की कमी आई।
2016 में पाकिस्तान सेना के अभियान में कुल 3500 आंतकी मारे गए। 500 से अधिक सैनिकों की भी जान गई। 2018 में अमेरिका की सत्ता में ट्रंप के आने के बाद पाकिस्तान की आर्थिक मदद रोक दी गई। इससे आतंक के खिलाफ पाकिस्तान का अभियान धीमा पड़ गया। इस बीच 2018 में ही अफगानिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमले में टीटीपी का तत्कालीन सगरना फजलुल्लाह मारा गया।
फजलुल्लाह के बाद नूर वली बना टीटीपी का प्रमुख
मुल्ला फजलुल्लाह की मौत के बाद नूर वाली महसूद को टीटीपी का नया प्रमुख बनाया गया। पाकिस्तान को नूर वाली से अधिक जख्म शायद ही किसी ने दिया हो। यही वजह है कि नूर वली को खत्म करने की खातिर वह किसी हद तक जा सकता है। चाहे काबुल पर ही हमला क्यों न करना पड़े। आइये जानते हैं कि नूर वाली से पाकिस्तान इतना खौफजदा क्यों हैं?
संगठन का मास्टरमाइंड है नूर वली
दरअसल, महसूद जनजाति से ताल्लुक न रखने वाले फजलुल्लाह को जब टीटीपी का प्रमुख बनाया गया तो कई संगठनों ने उससे नाता तोड़ लिया। जमात-उल-अहरार नाम एक नया गुट खड़ा किया। 2018 में अमेरिकी ड्रोन हमले में अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में मुल्ला फजलुल्लाह मारा गया। इसके बाद नूर वली महसूद को टीटीपी का नया नेता घोषित किया गया। नूर का रिश्ता महसूद जनजाति से है। नूर के नेता बनते ही टीटीपी से अलग होने वाले गुटों ने घर वापसी की। इससे टीटीपी की क्षमता में भारी इजाफा हुआ।
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बलूचिस्तान से पंजाब तक फैलाई जड़ें
साल 2020 में नूर वली ने सूचना और प्रसारण, राजनीतिक मामले, रक्षा, जवाबदेही, शिक्षा, वित्त और कल्याण समेत कई मंत्रालयों की स्थापना की। इसके अलावा जनरल इंटेलिजेंस निदेशालय, आत्मघाती ब्रिगेड, ट्रेनिंग कैंप, त्रिस्तरीय अदालत का भी गठन किया और संगठन को मजबूत बनाया। नूर वली ने पाकिस्तान के अन्य आतंकी संगठन जैसे जमात-उद-दावा और लश्कर-ए-तैयबा से हाथ मिलाया। इनकी मदद से उसने बलूचिस्तान से पंजाब तक हमलों को अंजाम दिया। आतंकी समहूों में नूर वली को संगठन का मास्टर माइंड कहा जाता है।
वर्ष | हमले |
2018 | 12 |
2019 | 21 |
2020 | 28 |
2021 | 267 |
2022 | 365 |
पूर्व पीएम की भी ले चुका जान
नूर वली महसूद ने अपनी किताब 'द महसूद रेवोल्यूशन इन साउथ वजीरिस्तान: फ्रॉम ब्रिटिश राज टू ऑप्रेसिव अमेरिका' में दावा किया कि 2007 में रावलपिंडी में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या टीटीपी ने की थी। 2018 में पेशावर में आवामी नेशनल पार्टी के नेता हारून बिलौर की हत्या में भी उसी के संगठन ने की थी। इसके बाद डेरा इस्माइल खान में एक आत्मघाती हमले में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता इकराम उल्लाह गंडापुर की मौत हुई थी। इस हमले के पीछे भी टीटीपी था।
पाकिस्तान ने कब-कब की एयर स्ट्राइक?
- 20 दिसंबर 2014 को पाकिस्तान की वायुसेना ने पहली बार अफगानिस्तान की धरती पर एयर स्ट्राइक की थी। कुनार प्रांत में पाकिस्तान हवाई हमलों में 50 से ज्यादा लोगों की जान गई थी।
- 16 अप्रैल 2022 को पाकिस्तान की एयरफोर्स ने दूसरी बार एयर स्ट्राइक की। इस बार खोस्त और कुनार प्रांत को निशाना बनाया गया। कई लोग मारे गए, लेकिन वास्तविक संख्या का अभी तक खुलासा नहीं हुआ।
- 25 दिसंबर 2024 को पाकिस्तान ने टीटीपी को निशाना बनाकर तीसरी बार अफगानिस्तान पर हमला किया। अबकी बार पक्तिका प्रांत पर एयर स्ट्राइक की गई थी। नतीजा महिलाओं और बच्चों समेत कुल 46 लोगों की जान गई।
- साल 2025 में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर दो बार हवाई हमला किया। पहला हमला अगस्त महीने में हुआ। इसमें तीन लोगों की जान गई और सात घायल हुए। दूसरा हमला 9 अक्तूबर को किया गया। पाकिस्तान ने जलालाबाद, पक्तिका, खोस्त और राजधानी काबुल में बमबारी की गई। अभी तक किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
अफगानिस्तान पर पाकिस्तान क्या आरोप लगाता है?
अफगानिस्तान की मौजूदा तालिबान सरकार पर पाकिस्तान आतंकियों को आश्रय देना का आरोप लगाता है। उसका आरोप है कि अफगानिस्तान की धरती से उसके खिलाफ आंतकी अभियानों का संचालन हो रहा है। हालांकि तालिबान कई बार खुद को टीटीपी से अलग कर चुका है, लेकिन यह संगठन दोनों देशों के बीच तनाव की वजह बना है। पाकिस्तान की एयर स्ट्राइक से न केवल अफगानिस्तान की जनता, बल्कि तालिबान नेतृत्व में भी गुस्सा है। किसी भी वक्त दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात पनप सकते हैं।
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