अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने शुक्रवार को बताया कि पाकिस्तान को दी गई वित्तीय सहायता का इस्तेमाल केवल निर्धारित उद्देश्यों के लिए ही किया जा सकता है, और इसका दुरुपयोग रोकने के लिए सख्त नियम हैं। यह सहायता पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक को एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत दी गई है, और इसका गलत इस्तेमाल, जैसे सरकार द्वारा अनधिकृत खर्च या उधार, नहीं हो सकता।
IMF की संचार प्रमुख जूली कोजैक ने गुरुवार को पत्रकारों से कहा कि यह सहायता देश की भुगतान संतुलन समस्याओं को हल करने के लिए है। अगर पाकिस्तान प्रोग्राम की शर्तों, जैसे वित्तीय प्रबंधन में सुधार इत्यादि का पालन नहीं करता, तो भविष्य में की जाने वाली समीक्षा पर इसका असर पड़ेगा। उन्होंने बताया कि IMF का कार्यकारी बोर्ड समय-समय पर इन कार्यक्रमों की समीक्षा करता है ताकि नीतियों को सही रखा जाए।
उन्होंने कहा, ‘हमारे बोर्ड ने पाया कि पाकिस्तान ने सभी लक्ष्य पूरे किए और कुछ सुधारों में प्रगति की। इसलिए, बोर्ड ने इस कार्यक्रम को मंजूरी दी।’
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दुनिया ने उठाए सवाल
यह स्पष्टीकरण तब आया जब भारत ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा पाकिस्तान को इस समय अरबों डॉलर की सहायता देने पर सवाल उठाए, खासकर पहलगाम आतंकी हमले और पाकिस्तानी सेना के सैन्य हमलों के बाद। सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने IMF की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जिएवा से बात की और पाकिस्तान को कोई नई वित्तीय सहायता न देने की अपील की।
जॉर्जिएवा को बताया गया कि भारत किसी देश को सहायता देने के खिलाफ नहीं है, लेकिन यह सहायता गलत समय पर की जा रही है। पहली किश्त तब दी गई जब पाकिस्तानी सेना भारत के पश्चिमी क्षेत्रों में ड्रोन और मिसाइल हमले कर रही थी। भारत ने IMF को बताया कि पिछले वर्षों के आंकड़े दिखाते हैं कि सहायता मिलने के बाद पाकिस्तान हथियारों की खरीद बढ़ा देता है। 1980 से 2023 तक, जब पाकिस्तान को IMF सहायता मिली, उसके हथियार आयात में 20% से अधिक की वृद्धि हुई।
दो किश्तों में दिए पैसे
IMF ने अब तक 7 अरब डॉलर के EFF सौदे के तहत पाकिस्तान को दो किश्तों में 2.3 अरब डॉलर दिए हैं। भारत ने इन किश्तों पर सवाल उठाए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले हफ्ते कहा कि पाकिस्तान को दी गई सहायता ‘आतंकवाद को अप्रत्यक्ष रूप से फंडिंग’ की तरह है।
हालांकि, IMF ने बताया कि EFF को सितंबर 2024 में मंजूरी मिली थी, और मार्च 2025 में पहली समीक्षा हुई, जो पहलगाम हमले से पहले थी। इस समीक्षा के बाद 9 मई को किश्त दी गई।
क्या है भारत की चिंता
भारत को डर है कि IMF की सहायता का इस्तेमाल पाकिस्तान आतंकवादी गतिविधियों या सैन्य गतिविधियों को बढ़ाने के लिए कर सकता है। भारत फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) से भी पाकिस्तान को फिर से ‘ग्रे लिस्ट’ में डालने की मांग करेगा, ताकि आतंकवाद को वित्तीय मदद पर रोक लगे।