जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में 26 भारतीय पर्यटकों के मारे जाने के बाद भारत ने पाकिस्तान के ऊपर एक के बाद एक कड़े फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। भारत ने पड़ोसी देश के ऊपर कई बड़े और प्रभावित करने वाले प्रतिबंध लगाए हैं। दोनों पड़ोसी देशों के बीच तनाव बढ़ने के बीच पाकिस्तान ने शनिवार को भारत पर पाकिस्तानी अधिकारियों को बिना बनाए झेलम नदी में अचानक पानी छोड़ने का आरोप लगाया।
पाकिस्तान के समाचार चैनल दुनिया न्यूज की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मुजफ्फराबाद के पास झेलम के जलस्तर में अचानक से बढ़ोतरी देखी गई है। इसके लिए पाकिस्तान ने भारत को जिम्मेदार ठहराया गया। झेलम में बाढ़ आने को लेकर सोशम मीडिया पर वीडियो भी शेयर किए जा रहे हैं।
PoK में जल आपातकाल लागू
दावा यह भी किया गया है कि PoK के स्थानीय प्रशासन ने मुजफ्फराबाद से 40 किलोमीटर दूर झेलम नदी के किनारे हट्टियन बाला क्षेत्र में जल आपातकाल लागू कर दिया है। वहीं, स्थानीय लोगों को मस्जिदों से घोषणा करके उन्हें सुरक्षित जगहों पर जाने की चेतावनी दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस घोषणा से झेलम के किनारे रहने वाले लोगों में दहशत फैल गई है।
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भारत ने लगाई शर्तें
पाकिस्तान के अधिकारियों ने भारत के इस कदम की निंदा करते हुए इसे अंतर्राष्ट्रीय नियमों और जल समझौतों का उल्लंघन बताया। पाकिस्तान ने भारत पर ये आरोप ऐसे समय में सामने आए है जब भारत ने पहले ही सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। भारत सरकार ने घोषणा करते हुए कहा है कि सिंधु जल संधि तब तक निलंबित रहेगी जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय तौर से सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को बंद नहीं करता।
क्या भारत ने वाटर बम का किया इस्तेमाल?
अगर पाकिस्तान के दावों को मानें तो भारत ने पड़ोसी देश पर 'वाटर बम' का इस्तेमाल किया है। नदी के पानी को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने को वाटर बम कहा जाता है। दरअसल, भारत ने पाकिस्तान को बिना बताए झेलम नदी में लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा है, जिससे पाकिस्तान में बाढ़ आ सकती है। बिना बताए नदी में अचानक से पानी आने से लोगों को जीवन बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है। वाटर बम का इस्तेमाल भौगौलिक रूप से ऊपर के देश करते हैं दुश्मन देश पर करते हैं।
भौगोलिक स्थिति के मुताबिक जो देश आपस में सीमाएं साझा करते हैं उनमें से एक की स्थिति दूसरे से ऊपर है। उदाहरण के तौर पर रूस के नीचे चीन, चीन के नीचे भारत, और भारत के नीचे पाकिस्तान मौजूद है। ऐसे में ऊपरी देश निचले देशों के खिलाफ पानी को आसानी से 'हथियार' बना सकते हैं।
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क्योंकि पहले भारत से ही होकर रावी, ब्यास, सतलुज, सिंधु, झेलम और चेनाब बहती हुई पाकिस्तान के निचले इलाकों की तरफ जाती हैं। ऐसे में भारत पाकिस्तान पर कभी भी बिना बताए लाखों क्यूसेक पानी छोड़कर देश में बाढ़ जैसी स्थितियां पैदा कर सकता है।
सिंधु जल संधि क्या है?
साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता के बीच जल बंटवारा हुआ था। संधि के तहत भारत को तीन नदियों रावी, ब्यास और सतलुज पर पूर्ण नियंत्रण दिया गया था, जबकि पाकिस्तान को भी तीन नदियों सिंधु, झेलम और चेनाब पर अधिकार दिया गया था। यह सभी नदियों भारत के जम्मू-कश्मीर से होकर बहती हैं।
सिंधु जल संधि भारत-पाकिस्तान के बीच लड़े गए 1965, 1971 और 1999 के युद्धों और कूटनीतिक तनातनी के बावजूद भी आजतक कायम है लेकिन पहलगाम में मारे गए निर्दोश पर्यटकों के बाद भारत ने संधि को निलंबित कर दिया।
सिंधु पाकिस्तान के लिए कितनी जरूरी?
पाकिस्तान सिंधु नदी सिस्टम के करीब 93 फीसदी पानी का इस्तेमाल सिंचाई और बिजली उत्पादन के लिए करता है। साथ ही पाकिस्ताम की करीब 80 फीसदी कृषि नदी के पानी पर निर्भर है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में कृषि का बड़ा योगदान है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो की ओर से दी गई धमकी से पता चलता है कि सिंधु जल सिस्टम पाकिस्तान के अस्तित्व के लिए कितना अहम है। भुट्टो ने कहा, 'या तो हमारा पानी इसमें बहेगा या उनका खून बहेगा।'