भारत ने गुरुवार को चीन के क्विंगदाओ में हुई शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, इस बयान से भारत का आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा पर रुख कमजोर पड़ता।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के इस फैसले के कारण दस सदस्यों वाले इस संगठन, जिसमें पाकिस्तान, चीन और रूस शामिल हैं, कोई अंतिम घोषणा जारी नहीं हो सकी। अधिकारियों ने बताया कि बयान के मसौदे में आतंकवाद को लेकर अलग-अलग राय थी।
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‘दोहरे मापदंड की कोई जगह नहीं’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आतंकवाद के वित्तपोषण और आतंकियों को पनाह देने पर कड़ा संदेश दिया। उन्होंने बिना पाकिस्तान का नाम लिए कहा, 'कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति के हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मापदंडों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। SCO को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।'
उन्होंने जम्मू-कश्मीर में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले का जिक्र किया। सिंह ने कहा, '22 अप्रैल 2025 को आतंकी समूह 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मासूम पर्यटकों पर क्रूर हमला किया। इस हमले में एक नेपाली नागरिक सहित 26 निर्दोष लोग मारे गए।'
उन्होंने बताया कि हमलावरों ने धार्मिक पहचान के आधार पर लोगों को निशाना बनाया। यह हमला संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकी संगठन घोषित लश्कर-ए-तैयबा के प्रॉक्सी समूह 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' ने किया।
आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस
पहलगाम हमले का जवाब देते हुए भारत ने तेजी से कार्रवाई की। सिंह ने कहा, 'पहलगाम हमले में जिस तरह से हमला किया गया उसका तरीका लश्कर-ए-तैयबा के पिछले हमलों से मिलता-जुलता था। आतंकवाद से बचाव और भविष्य में सीमा पार हमलों को रोकने के लिए भारत ने 7 मई 2025 को 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसमें सीमा पार आतंकी ढांचे को नष्ट किया गया।'
उन्होंने भारत की नीति को दोहराया, 'भारत का आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस का रवैया आज उसकी कार्रवाइयों में दिखता है। हमने दिखाया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे।'
चीन के साथ द्विपक्षीय बैठक
गलवान घाटी में जून 2020 के संघर्ष के बाद किसी भारतीय रक्षा मंत्री की चीन की पहली यात्रा थी। उन्होंने चीनी रक्षा मंत्री एडमिरल डोंग जुन के साथ द्विपक्षीय बातचीत की।
दोनों ने सैन्य संचार तंत्र पर चर्चा की, जिसमें भविष्य में सीमा पर तनाव से बचने के लिए भारत-चीन हॉटलाइन की संभावना भी शामिल थी। हालांकि कोई बड़ा समझौता नहीं हुआ, लेकिन यह बैठक इस बात का संकेत थी कि तनाव के बावजूद बातचीत का रास्ता खुला है।
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भारत का रुख
भारत का क्विंगदाओ में बयान पर हस्ताक्षर न करना उसकी पुरानी नीति के अनुरूप है। 2023 के SCO शिखर सम्मेलन में भारत ने चीन के बेल्ट एंड रोड पहल का समर्थन करने से इनकार किया था। इसी तरह, भारत ने बीजिंग के ब्रिक्स मुद्रा बास्केट प्रस्ताव का भी विरोध किया था।