पहलगाम अटैक को लेकर जारी तनाव के बीच भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ बड़ा फैसला लिया है। बताया जा रहा है कि भारत ने चिनाब नदी पर बने बगलिहार बांध से पाकिस्तान की ओर जाने वाला पानी रोक दिया है।
न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि जम्मू के रामबन में बगलिहार और नॉर्थ कश्मीर में बने किशनगंगा बांध के जरिए पाकिस्तान को जाने वाला पानी रोका जा सकता है।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद भारत ने 1960 में सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इसे 'ऐक्ट ऑफ वॉर' बताया था। सिंधु जल संधि को रोके जाने पर पाकिस्तान के नेता भड़क गए हैं। पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने कहा था कि अगर सिंधु दरिया का पानी रोका तो खून बहेगा।
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भारत ने अब क्या किया है?
हिंदुस्तान टाइम्स ने एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि बगलिहार डैम में गाद निकालने का काम शुरू कर दिया है और गेट को नीचे कर दिया है, जिससे पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी में 90% तक कमी आ गई है। अधिकारियों ने बताया कि किशनगंगा डैम पर भी इसी तरह की योजना बनाई गई है।
बताया जा रहा है कि किशनगंगा डैम पर भी बहुत जल्द बड़े पैमाने पर मेंटेनेंस का काम किया जाएगा और इससे नीचे की ओर बहने वाले सभी पानी को रोक दिया जाएगा। किशनगंगा गुरेज घाटी में बना पहला मेगा हाइड्रोपावर प्लांट है। पाकिस्तान अक्सर किशनगंगा और बगलिहार डैम के डिजाइन पर आपत्ति जताता रहा है।
एक अधिकारी ने अखबार को बताया कि सिंधु जल संधि रोकने के बाद हम इन उपायों पर काम कर रहे हैं कि कैसे इस पानी का इस्तेमाल अपने लोगों के लिए किया जा सके।
इससे पहले शनिवार को जल शक्ति मंत्रालय ने सिंधु सिस्टम की नदियों से उत्तरी राज्यों को पानी की सप्लाई बढ़ाने के उपायों के बारे में गृह मंत्रालय को जानकारी दी थी। बताया जा रहा है कि इस पानी को उत्तरी राज्यों तक पहुंचाने की योजना पर NHPC के करीब 50 इंजीनियरों की देखरेख में काम किया जा रहा है।
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चिनाब नदी पर बन रहे हाइड्रो प्रोजेक्ट
चिनाब और उसकी सहायक नदियों पर भारत के 4 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है और इनके 2027-28 तक पूरा होने की उम्मीद है। इनमें पाकल दुल, किरू, क्वार और रतले डैम है।
हिंदुस्तान टाइम्स ने अधिकारियों के हवाले से बताया है कि पाकल दुल प्रोजेक्ट का 66 फीसदी काम पूरा हो गया है। किरू का 55 फीसदी, क्वार का 19 फीसदी और रतले का 21 फीसदी काम हो चुका है।
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क्या है सिंधु जल संधि?
वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता से 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई थी। यह संधि इसलिए हुई थी, ताकि सिंधु नदी और उसकी 5 सहायक नदियों- सतलुज, रावी, ब्यास, झेलम और चिनाब के पानी का बंटवारा हो सके। दोनों देश अपनी कृषि और ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए पानी का इस्तेमाल कर सकें।
संधि के तहत, पश्चिमी नदियां- सिंधु, झेलम और चेनाब का लगभग 80% पानी पाकिस्तान को मिला। भारत इन नदियों की सीमित इस्तेमाल कर सकता है। इन नदियों के 13.5 एकड़ फीट पानी का पाकिस्तान इस्तेमाल करता है। पूर्वी नदियां- रावी, ब्यास और सतलुज का पूरा नियंत्रण भारत के पास है। इन नदियों के 3.3 एकड़ फीट पानी का भारत बिना रोक-टोक इस्तेमाल कर सकता है। भारत को पाकिस्तान के साथ पानी के प्रवाह का डेटा साझा करना होता है। साथ ही एक सिंधु जल आयोग बना, जिसकी बैठकें होती रहती हैं।
भारत ने फिलहाल सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है। भारत इस संधि से पूरी तरह से हट नहीं सकता, क्योंकि इसमें वर्ल्ड बैंक भी शामिल है। संधि से बाहर निकलने के लिए अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी। संधि को स्थगित करके भारत अब इसके नियम मानने को बाध्य नहीं है।